रेलवे में सुधारों की अगली कड़ी में विभिन्न विभागों के विलय की योजना पर पुनर्विचार किया जाए -अधिकारी
सिर्फ इंजीनियर्स के भरोसे कोई व्यवस्था सफल नहीं होती, भारतीय रेल आज इसीलिए घाटे में चली गई!
रेलमंत्री पीयूष गोयल के नेतृत्व में रेल मंत्रालय, यात्री सुविधाओं, समय पालन, संरक्षा/सुरक्षा एवं आधुनिक तकनीक अपनाकर, अच्छा काम कर रहा है। तथापि अधिकारियों का उनसे निवेदन है कि रेलवे में सुधारों की अगली कड़ी के रूप में विभिन्न विभागों के विलय की योजना पर पुनर्विचार किया जाए।
उनका कहना है कि प्रशासनिक सेवाओं में आने वाले अधिकारियों की उपेक्षा करना रेलवे के हित में नहीं होगा।इससे न सिर्फ़ यात्री सुविधाओं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा, अपितु रेलवे अपने आधारभूत ढ़ांचे में अपेक्षित और समयबद्ध सुधार में भी पिछड़ जाएगी तथा अपने संसाधनों का अनुकूलतम उपभोग नहीं कर पाएगी
भारतीय अर्थव्यव्स्था पर भी इसका दूरगामी प्रभाव पाड़ेगा। अतः रेलमंत्री से पुनः निवेदन है कि वे अपने निर्णय पर पुनर्विचार करें, क्योंकि सिर्फ इंजीनियर्स के भरोसे आजतक कोई व्यवस्था सफल नहीं हो पाई है। यह अनुभव पिछले पांच-छह सालों में स्पष्ट रूप से परिलक्षित हुआ है, जिसके चलते भारतीय रेल आज करीब पचास हजार करोड़ रुपये के सालाना घाटे में चली गई है।