एक यात्रा के लिए दो बार किराया ले रही भारतीय रेल!
लगातार विकास का ढ़ोल पीटने वाला रेल प्रशासन अपने तुगलकी और समयबाह्य नियमों को तुरंत बदले!!
भारतीय रेल द्वारा बनाए गए जटिल नियमों के कारण भारतीय सेना और सुरक्षा बलों के कर्मियों को एक अनोखी परेशानी भुगतनी पड़ रही है। उनके विभागों द्वारा टिकट बुक करने के लिए पूरा भुगतान किए जाने के बाद भी थोड़ी सी चूक के लिए दूसरी बार किराया चुकाना पड़ रहा है।
असल में सेना और सुरक्षा बलों को रेल में यात्रा के लिए पहले फ्री वारंट और कन्सेशन वाउचर दिए जाते थे, जो अब संशोधित होकर रेलवे में ‘डिफेंस आई टिकट सिस्टम’ में बदल गया है। पूरे किराए का भुगतान उनके विभाग द्वारा रेलवे को इंटरनेट के माध्यम से किया जाता है और इसके फलस्वरूप उन यात्रियों को एक एसएमएस भी रेलवे द्वारा भेजा जाता है।
सामान्य यात्रियों को भी ई-टिकट बुक करने के बाद ऐसा ही एसएमएस भेजा जाता है, जिसके बाद चार्ट में नाम आने पर उनको पहचान पत्र दिखाने के पश्चात यात्रा करने दी जाती है। लेकिन सेना और सुरक्षा बलों के मामले में ऐसा नहीं है। उनको पूरे भुगतान के बाद चार्ट में नाम आने पर भी किसी पीआरएस काउंटर से टिकट का प्रिंट लेने का प्रावधान है।
अगर सैन्यकर्मी किसी कारण से टिकट का प्रिंट नहीं ले पाते हैं, तो पहचान पत्र और एसएमएस होने के बाद भी गाड़ी में टीटीई द्वारा रेलवे के नियमों के मुताबिक उनसे एक बार फिर से पूरे किराए की मांग की जाती है।
समय की कमी और आखिरी समय पर छुट्टी मिलने पर होने वाली भाग-दौड़ से पहले ही परेशान भारतीय सैन्यकर्मियों के ऊपर इस अनावश्यक औपचारिकता को क्यों लादा गया है, यह किसी की भी समझ से परे है।इस तरह से भारतीय रेल द्वारा जबरदस्ती के नियमों की आड़ में सैन्यकर्मियों से जबरन अवैध वसूली की जा रही है।
नियम इतना तर्कहीन और नासमझी भरा है कि जो भी सुनता है, वही इसको गलत ठहराने लगता है और फिर किराए की वसूली कर रहे टीटीई को सभी यात्री दुश्मन मानने लग जाते हैं, जिसके कारण आए दिन टीटीई और सैन्यकर्मियों के बीच अनावश्यक विवाद की स्थिति बन जाती है।
ऐसे में टीटीई, जीआरपी और आरपीएफ को बुलाकर उस किराए की वसूली करवाते हैं। रोजाना ऐसे सैकड़ों सैन्यकर्मियों के सामने यह स्थिति पैदा होती है। दबाव और कार्यवाही के डर के कारण उनको किराए का फिर से भुगतान करना पड़ता है।
इस तरह से रेलवे द्वारा एक ही यात्रा के लिए सैन्यकर्मियों से दो बार किराया वसूल कर लिया जाता है, जो पूरी तरह से गलत है और इस तरह देश की सुरक्षा में लगे सैन्यकर्मियों के साथ घोर अन्याय हो रहा है
लगातार विकास का ढ़ोल पीटने वाले रेल प्रशासन को ऐसे तुगलकी और समय बाह्य नियमों को तुरंत बदलने की जरूरत है।
“जब तक पीआरएस से प्रिंट नहीं निकलता, तब तक डिफेंस से पैसा रेलवे के खाते में जमा नहीं होता। डिफेंस और रेलवे के बीच यह एमओयू का पार्ट है। जब वारंट था, तब भी सैनिकों द्वारा फर्जीवाड़ा किया जा रहा था, अब टिकट में भी यही फर्जीवाड़ा किया जा रहा है।”
👆ये एक बहाना अधिकारियों द्वारा जानकारी के अभाव में बनाया जा रहा है।
परंतु वे इस सत्य को भूल जाते हैं कि कोई भी पीएनआर बिना पेमेंट या वाउचर का हवाला दिए बिना जनरेट ही नहीं होता और न ऐसे यात्री का नाम चार्ट में आता है।
अगर पीएनआर इशू हुआ है और यात्री या सैनिक का नाम चार्ट में है, तो इसका मतलब उस यात्री का पूरा किराया रेलवे द्वारा ले लिया गया है। रेल अधिकारी ऐसे लचर और बेवकूफाना बहाने बनाना बंद कर नियम में सुधार करें और सैनिकों से दोहरा किराया लेना तथा उन्हें परेशान करना बंद करें।