एमसीएफ में विभागीय परीक्षा का हुआ बंटाधार: पेपर सेटर डिप्टी सीएमई को फौरन उल्टा लटकाया जाए!
परीक्षा में हुई अक्षम्य लापरवाही के लिए पेपर सेटिंग करने वाले ‘काहिल’ डिप्टी सीएमई और ‘स्लीपिंग’ सीपीएलई की जिम्मेदारी और जवाबदेही तय करते हुए इनके विरुद्ध अविलंब उचित विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए!
सुरेश त्रिपाठी
भारतीय रेल में पिछले कुछ सालों से लगातार चल रही तदर्थ (एडहॉक) व्यवस्था का दृश्य आए दिन यत्र-तत्र-सर्वत्र देखने को मिलता रहता है। तथापि इसका ताजा और ज्वलंत उदाहरण रविवार, 18 सितंबर को मॉडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) लालगंज, रायबरेली में देखने को मिला। प्रशासनिक अधिकारियों की काहिली, मनमानी और निरंकुशता का ऐसा उदाहरण शायद ही अब तक कहीं देखा गया होगा।
रविवार, 18.09.2022 को एमसीएफ मैकेनिकल विभाग में जेई के लिए विभागीय प्रमोशनल कोटा (पीक्यू) के 22 और इंटरमीडिएट कोटा (आईक्यू) के 20 पदों की लिखित परीक्षा होनी थी।
इसके लिए सुबह की प्रथम पाली में प्रमोशनल कोटे के लिए 66 कर्मचारियों ने तो परीक्षा दे दी। परंतु दूसरी पाली में इंटरमीडिएट कोटे की परीक्षा में 624 कर्मचारी भाग लेने के लिए जो दोपहर 1:30 बजे से परीक्षा कक्ष में बैठे थे, उन सभी को ओएमआर सीट भी 2 बजे दे दी गयी थी, किंतु प्रश्न पत्र उन्हें शाम 7 बजे तक भी नहीं दिया गया था।
फैक्ट्री प्रशासन की इस भयंकर लापरवाही और गैरजिम्मेदारी पर परीक्षार्थी कर्मचारियों सहित हजारों कर्मचारियों ने इकट्ठा होकर प्रशासन के विरुद्ध जब हंगामा किया, तब शाम 7 बजे अर्थात साढ़े पांच घंटे बाद प्रशासन द्वारा परीक्षा रद्द करने की घोषणा की गई।
प्राप्त जानकारी के अनुसार इंटरमीडिएट कोटे का पेपर दूसरी पाली में दोपहर बाद 2.30 बजे से 4.30 बजे तक होना तय था। पता चला है कि यह पेपर सेट करने के लिए एक डिप्टी सीएमई को इसकी जिम्मेदारी देकर दो महीने पहले तब अधिकृत किया गया था जब इस परीक्षा का दिन और दिनांक तय किया गया था। परंतु वस्तुत: वह इन दो महीनों में बैठा मक्खी मारता रहा।
यह भी पता चला है कि उक्त डिप्टी सीएमई को इसके लिए रविवार सुबह 8 बजे ही प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी (पीसीपीओ) ने स्मरण करवाया था, और साथ ही यह भी कहा था कि निर्धारित संख्या में उक्त पेपर की प्रतियां प्रिंट/जेरॉक्स करके निर्धारित समय पर उनके पास निश्चित रूप से पहुंचा देना सुनिश्चित किया जाए।
तथापि बताते हैं कि यह डिप्टी सीएमई बार-बार झूठ पर झूठ बोलता रहा। स्मरण करवाए जाने पर उक्त काहिल डिप्टी सीएमई हर बार यही कहता रहा कि “पेपर तैयार है, बस अभी लेकर आ रहा हूं!” कभी कहता कि “आधे घंटे में लेकर आ रहा हूं!” और ऐसा कहते-कहते उसने पेपर लाने में शाम के 6.30 बजा दिया।
तब तक परीक्षा कक्षों में लगभग साढ़े चार घंटों से खाली बैठे कर्मचारियों का धैर्य समाप्त हो चुका था और वे सब बुरी तरह भड़ककर अपनी-अपनी सीट छोड़कर बाहर आकर हंगामा करने लगे थे।
विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि इस डिप्टी सीएमई को लगातार फॉलो किया जा रहा था। तथापि पहली पाली में प्रमोशनल कोटे का पेपर खत्म होने से पहले और उसके तुरंत बाद तंग आकर लगभग 2 बजे फिर से पैनल अप्रूविंग अथॉरिटी सीपीएलई को बताया गया कि इंटरमीडिएट कोटे का पेपर अब तक नहीं पहुंचा है।
सूत्रों ने यह भी बताया कि यह सीपीएलई ही थे जिन्होंने उक्त डिप्टी सीएमई को पेपर सेट करने के लिए नामांकित किया था। सूत्रों ने बताया कि समय पर पेपर उपलब्ध नहीं होने के बारे में लगातार इसकी सूचना पीसीएमई, जो कि लुकिंग ऑफ्टर जीएम भी हैं, को भी दी जा रही थी। परंतु कोई भी काहिल डिप्टी सीएमई को कुछ नहीं कह रहा था, सब बस यही रट लगाए हुए थे, “आ जाएगा, आ जाएगा, धैर्य रखो, थोड़ा और इंतजार कर लो!”
उल्लेखनीय है कि पेपर सेटर डिप्टी सीएमई का बॉस सीपीएलई है। सीपीएलई ने ही इस ‘काहिल’ का नामांकन किया था। सीपीएलई ही पैनल अप्रूविंग अथॉरिटी भी है। सीपीएलई का बॉस पीसीएमई है, और पीसीएमई ही जीएम है। अर्थात कोई किसी को कुछ नहीं कह सकता, कोई किसी को कुछ नहीं मानता, ‘बैसवारा’ में पहुंचकर सब एक से बढ़कर एक लम्बरदार हो गए हैं। तथापि इनसे न कोच बन पा रहे हैं, न ही ये एक मामूली पेपर सेट कर पा रहे हैं, और न ही इनसे फैक्ट्री का प्रबंधन संभल पा रहा है!
बताते हैं कि उपरोक्त दोनों कोटे की यह परीक्षाएं पिछले लगभग तीन साल से लंबित चल रही हैं। पहले कोविड का बहाना मिल गया। फिर जब इनकी तैयारी की गई, तो परीक्षा पूर्व प्रशिक्षण नहीं देने के विरुद्ध आरक्षित वर्ग के कुछ कर्मचारी कैट में चले गए। कैट के आदेश पर उन्हें प्रशिक्षण दिया गया। इसके चलते भी इस परीक्षा में देरी हुई।
इसके परिणामस्वरूप सैकड़ों रेलकर्मी यथासमय पदोन्नति पाने से वंचित हो रहे हैं। इस कोताही के चलते सबसे अधिक नुकसान सामान्य वर्ग के कर्मियों का हो रहा है। अतः उपरोक्त लिखित परीक्षा में हुई अक्षम्य लापरवाही के लिए पेपर सेटिंग करने वाले डिप्टी सीएमई को तुरंत उल्टा लटकाया जाना चाहिए अर्थात सर्विस से बर्खास्त किया जाए, यह कर्मचारियों की मांग है, क्योंकि जब तक इस तरह का कड़ा दंड तय नहीं किया जाएगा, तब तक ऐसे अधिकारियों की काहिली दूर नहीं होगी, उन्हें अपने दायित्व का बोध नहीं होगा, और न ही ऐसे गैरजिम्मेदार लोगों को कोई गंभीर संदेश जाएगा! साथ ही ‘स्लीपिंग’ सीपीएलई की जिम्मेदारी और जवाबदेही भी तय करते हुए इनके विरुद्ध अविलंब उचित विभागीय कार्रवाई सुनिश्चित की जानी चाहिए!
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