ईसीआर एसएलटी स्कैम: प्रधानमंत्री का ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत का प्रण और अभियान’ रेलवे में बना मात्र एक जुमला!

‘एसएलटी स्कैमर’ को ईसीआर का नया जीएम प्रोजेक्ट करके सबके मन में डर का माहौल बना दिया गया है। इसीलिए हर तरफ मरघट जैसा सन्नाटा पसरा है, और चांडाल चौकड़ी अट्टहास करके तांडव कर रही है!

एएम/वर्क्स और एएम/सीई द्वारा प्रमाणित किया जाए, “पूर्व सीएओ/सी/साउथ/ईसीआर द्वारा कराए गए सारे एसएलटी ‘स्पेशलाइज्ड नेचर ऑफ वर्क्स’ के लिए थे और उनको ओपन टेंडर से नहीं कराया जा सकता था!”

दो साल से अधिक कार्यकाल वाले विभाग प्रमुखों को बदलने और बाहर का रास्ता दिखाने में क्या दिक्कत आ रही है? इस लूटपाट की प्रथा को जारी रखने में किसकी दिलचस्पी है?

रेलवे में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है, सीवीसी की ताजा रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है! बढ़ता भ्रष्टाचार इस बात का भी प्रमाण है कि रेलवे में मंत्री-संत्री किसी के लिए प्रधानमंत्री की घोषणाओं का कोई अर्थ नहीं है!

पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) के सीएओ/सी/साउथ एवं वर्तमान पीसीई तथा पीएफए जैसे चर्चित भ्रष्टों की खैरात पर पलने वाले रेलवे बोर्ड में बैठे लोगों ने रेलमंत्री को गुमराह कर चांडाल चौकड़ी की चांदी करा दी, और पूरे मामले को उसके जीएम पैनल में नाम होने का नैरेटिव खड़ा करके सबका ध्यान सैकड़ों करोड़ के एसएलटी स्कैम से भ्रमित दिया।
 
किसी ने भी यह जानने की कोशिश नहीं की कि आखिर 250 करोड़ से अधिक के एसएलटी क्यों हुए? किसके लिए हुए? किसके कहने पर हुए? इससे किसका फायदा हुआ? इनका औचित्य क्या था? बहरहाल, एक बात तो तय है कि रेलवे का काफी बड़ा नुकसान हुआ, लेकिन फिर भी रेलवे बोर्ड में यह मरघट जैसा सन्नाटा आखिर क्यों पसरा हुआ है? क्या यह मान लिया जाए कि “सब कुछ चलता है, अभी भी चल रहा है, और निजाम के बदलने के बाद भी व्यवस्था का मिजाज अब भी ‘कांग्रेस’ जैसा ही है?”

जानकारों का मानना है कि सीएओ/सी/साउथ को उसी रेलवे का पीसीई बनाकर रेलवे बोर्ड में बैठे उसके खैरख्वाहों ने उसके एलटीटी स्कैम के साझीदारों को लूट जारी रखने का लाइसेंस दे दिया! अब रेलवे बोर्ड के इस कृत्य के परिणामस्वरूप बतौर पीसीई अब यह अपने चहेते अधिकारियों की फौज खड़ी करके और बाकी को ट्रांसफर/पोस्टिंग के नाम पर डरा-धमकाकर नए स्थानापन्न अधिकारी (सीएओ) को असफल करने और घुटने टेकने पर मजबूर कर देगा।

उनका कहना है कि जो अधिकारी 250 करोड़ के एसएलटी स्कैम का सूत्रधार हो, उसको वहीं का वहीं पीसीई बनाने के रेलवे बोर्ड के इस कृत्य को उसे क्लीन चिट देने और मामले को रफा-दफा करने के साथ-साथ नए सीएओ को असफल करने के कुत्सित प्रयास के रूप में भी देखा जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि बोर्ड का यह कृत्य इस चर्चा को बल प्रदान करता है कि “न केवल सब मिले हुए हैं, न केवल सब जानते हैं, बल्कि इस भ्रष्टाचार में सबकी समान भागीदारी भी है!” तब कार्यवाही कौन करेगा?

उन्होंने कहा कि पूर्व सीएओ के मातहत काम करने वाले इंजीनियरिंग विभाग के सीई/डिप्टी सीई आदि अपने पुराने आका के हुक्म के गुलाम हैं, जो कि उसके द्वारा खाए गए पैसों के बदले ठेकेदार को फायदा पहुंचाने के हर गलत काम करेंगे, जिसका ठीकरा नए सीएओ पर फोड़ा जाएगा। पीसीई की सहयोगी चांडाल चौकड़ी का सबसे कुख्यात सदस्य मुनीम का वित्त विभाग भी नए सीएओ को किसी प्रकार का सहयोग नहीं देगा और उसके इशारे पर फालतू मुद्दों पर उलझाकर परेशान भी करेगा।

बताते हैं कि “चांडाल चौकड़ी और उसकी पूरी मंडली को किसी भी अधिकारी का चरित्रहनन करने में महारत हासिल है। एक सुनियोजित साजिश के तहत आपको बिना पता चले आपको विलेन बना देती है, नए सीएओ को इनसे बचकर रहने की जरूरत है। हालांकि इसकी उम्मीद बहुत कम है।”

जानकारों का कहना है कि “इससे अच्छा तो यह होता कि रेलमंत्री, सुरसासुर को ही सीएओ बनाए रखते जिससे वह मुनीमजी के साथ मिलकर पैसों की हेराफेरी, लूट का कारोबार और जातपात आधारित अपने भ्रष्टाचार का व्यवसाय जारी रखता और रेलवे बोर्ड में अपने आकाओं की भी झोली भरता रहता!”

उन्होंने कहा कि इस एसएलटी स्कैम की सीबीआई जैसी संस्था से क्यों नहीं कराई जा रही है? इसकी तह तक जाना इतना दुर्गम क्यों है? एडीशनल मेंबर/वर्क्स, जो कि खुद उसी रेलवे में पीसीई और सीएओ रहे हैं, या फिर एडीशनल मेंबर/सिविल इंजीनियरिंग, अर्थात वर्तमान लुकिंग ऑफ्टर मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर, जो कि उसी रेलवे में डीआरएम और एसडीजीएम रहकर आए हैं, यह दोनों क्या लिखकर दे सकते हैं कि पूर्व सीएओ/सी/साउथ, ईसीआर द्वारा किए गए सारे एसएलटी आवश्यक एवं अनिवार्य किस्म के थे? स्पेशलाइज्ड वर्क के लिए थे? इन सभी कार्यों को ओपन टेंडर से नहीं कराया जा सकता था?

हमारे सूत्रों का दावे के साथ कहना है कि वे अर्थात एएम द्वय ऐसा नहीं कह सकते, लिखकर तो कदापि नहीं देंगे, क्योंकि उनको पूरी असलियत पता है, लेकिन यह बात समझ से परे है कि उनकी जुबान पर ताला क्यों लगा हुआ है? वह क्यों डरे हुए हैं? कहीं ऐसा तो नहीं है कि चांडाल चौकड़ी के पास उनके कुछ राज हैं जिससे वह ब्लैकमेल हो रहे हैं? या फिर सब कोई बहती गंगा में डुबकी लगा रहा है? चर्चा तो यही है कि यह दोनों ही पूर्व सीएओ के बचावनहार हैं!

सूत्रों का कहना है कि रेलमंत्री को एक साजिश के तहत अंधेरे में रखा जा रहा है। उन तक ऐसी बातें पहुंचने नहीं दी जा रही हैं। उनके तथाकथित सलाहकार, जो उसी रेलवे में डीआरएम थे, कहीं उनकी सांठ-गांठ तो नहीं है? कहीं अमानत में खयानत करने वाले इन भ्रष्टों पर उनका ही वरदहस्त तो नहीं है? क्योंकि इतने बड़े स्कैम की जानकारी होने के बाद भी अगर सबकी आंखों पर पर्दा पड़ा हुआ है, तो आखिर इस सबका अर्थ क्या निकाला जाए?

उन्होंने कहा कि भारतीय रेल में इस प्रकार का घोटाला पहले कभी भी नहीं हुआ होगा, लेकिन फिर भी सबकी रजामंदी से सीएओ को आगे का कार्यक्रम जारी रखने के लिए पीसीई बना दिया गया, जिसके लिए वह पहले कतई उत्सुक नहीं थे, तो उनमें ऐसा कौन-सा सुर्खाब का पर लगा हुआ है कि हर कोई उनके आगे-पीछे अपनी दुम हिला रहा है! तथा रेलमंत्री और प्रधानमंत्री कार्यालय तक को गुमराह किया जा रहा है!

उनका कहना है कि यहां “रोम जल रहा था और नीरो बांसुरी बजा रहा था” वाली कहावत रेलमंत्री पर सटीक बैठती है। माना कि रेलमंत्री बहुत ही व्यस्त हैं, यह भी मान लेते हैं कि #Railwhispers द्वारा उठाए गए रेलवे हित के मुद्दों को दरकिनार या नजरअंदाज करने पर उतारू हैं, फिर भी उनसे एक अनुरोध है कि वह बस एक बार एएम/वर्क्स) या एएम/सीई से लिखित रूप में एक प्रमाण पत्र ले लें, जिसमें उनके द्वारा यह प्रमाणित किया जाए कि “पूर्व सीएओ/सी/साउथ, ईसीआर द्वारा कराए गए सारे एसएलटी ‘स्पेशलाइज्ड नेचर ऑफ वर्क्स’ के लिए थे और उनको ओपन टेंडर से नहीं कराया जा सकता था!”

‘एक कास्ट रेलवे’ (ईसीआर) के बगुलाभगत जीएम और विजिलेंस डिपार्टमेंट, जो कि चांडाल चौकड़ी के इशारे पर नाचते हैं, उनसे कोई उम्मीद नहीं की जा सकती। उनके बारे में अब कुछ भी लिखना शब्दों की बर्बादी और बेईज्जती ही होगी। लोगों को भी अब इस बात पर कोई संदेह नहीं रह गया है कि चांडाल चौकड़ी ने डराकर, धौंस दिखाकर या अपने साथ मिलाकर जीएम को अपना गुलाम बना लिया है, इसीलिए उन्हें अपने इशारों पर नचा रहा है। ‘एसएलटी स्कैमर’ को ईसीआर का नया जीएम प्रोजेक्ट करके सबके मन में डर का माहौल बना दिया है इस चांडाल चौकड़ी ने, इसीलिए हर तरफ मरघट जैसा सन्नाटा पसरा है, और चांडाल चौकड़ी अट्टहास करके तांडव कर रही है।

सैकड़ों अधिकारी पूछ रहे हैं कि दो साल से अधिक कार्यकाल वाले विभाग प्रमुखों को बदलने और बाहर का रास्ता दिखाने में क्या दिक्कत आ रही है? इस लूटपाट की प्रथा को जारी रखने में किसकी दिलचस्पी है? रेलवे में भ्रष्टाचार लगातार बढ़ रहा है, सीवीसी की ताजा रिपोर्ट इस बात का प्रमाण है। यह बढ़ता भ्रष्टाचार इस बात का भी प्रमाण है कि रेलवे में मंत्री-संत्री किसी के लिए प्रधानमंत्री की घोषणाओं का कोई अर्थ नहीं है। अतः प्रधानमंत्री का ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत का प्रण और अभियान’ रेलवे में मात्र एक जुमला बनकर रह गया है।

बुरे लोग दुनिया का खतरा नहीं!
शरीफों की चुप्पी खतरनाक है!!

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी

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