ईसीआर में चांडाल चौकड़ी का नया करनामा: जातिगत आधार पर ट्रांसफर/पोस्टिंग की नई खेती!

ईसीआर में सीनियर मोस्ट अधिकारी के मौजूद होने के बावजूद उससे दो बैच जूनियर अधिकारी को पीसीईई का लुकिंग ऑफ्टर चार्ज क्यों सौंपा गया?

वैसे तो पूरी भारतीय रेल एडहॉक पर यानि लुकिंग ऑफ्टर चार्ज में चल रही है। तथापि मेंबर स्तर पर छोड़कर लुकिंग ऑफ्टर चार्ज में रहते हुए किसी भी अधिकारी को नीतिगत फेरबदल करने अथवा ऐसा कोई निर्णय लेने का अधिकार नहीं है। चूंकि जोनल स्तर पर लुकिंग ऑफ्टर चार्ज का आदेश भी सामान्यत: रेलवे बोर्ड द्वारा ही जारी किया जाता है, अतः स्थानीय स्तर पर किसी अधिकारी को लुकिंग ऑफ्टर चार्ज सौंपे जाने का अधिकार जीएम को भी नहीं है। सीनियर अधिकारी की उपस्थिति में उससे दो बैच जूनियर अधिकारी को तो सौंपे जाने का बिल्कुल भी नहीं! और अगर है, तो यह गलत है!

पूर्व मध्य रेलवे में यही हुआ है। जहां इसके चलते जातिगत आधार पर नई खेती की शुरुआत अब इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में हुई है। उल्लेखनीय है कि यहां पीसीईई गत माह सेवामुक्त हुए। उनकी जगह रेलवे बोर्ड से अभी किसी नए पीसीईई की नियुक्ति नहीं की गई है। तथापि जीएम ने यहां सीईएलई अमरेंद्र कुमार को पीसीईई का लुकिंग ऑफ्टर चार्ज सौंप दिया है, जो कि वहीं बैठे सीनियर मोस्ट सीआरएसई ए. के. सिंह से दो बैच जूनियर हैं।

जीएम को यह अधिकार है, या नहीं, यह अलग मुद्दा है। फिलहाल मुद्दा यह है कि सीईएलई अमरेंद्र कुमार 1989 बैच के हैं, जबकि वहीं उनसे दो बैच सीनियर सीआरएसई ए. के. सिंह 1987 बैच के हैं, तो जीएम ने उन्हें पीसीईई का लुकिंग ऑफ्टर प्रभार क्यों नहीं सौंपा? यह पक्षपात जीएम ने क्यों किया?

अब हो यह रहा है कि इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में अमरेंद्र कुमार ने अवसर का लाभ उठाते हुए यहां अपनी जाति के आधार पर आजकल ट्रांसफर पोस्टिंग की खेती शुरू कर दी है। अधिकारियों द्वारा प्रश्न यह उठाया जा रहा है कि लुकिंग ऑफ्टर चार्ज में ट्रांसफर/पोस्टिंग करना कहां तक उचित है? उनका कहना है कि अस्थाई चार्ज में रहकर किसी अधिकारी द्वारा जाति के आधार पर अधिकारियों कर्मचारियों को पक्षपातपूर्ण तरीके से इधर-उधर करना सही नहीं है।

विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि मनचाही ट्रांसफर पोस्टिंग करने की एवज में कुछ सीनियर स्केल और जेएजी अधिकारियों से एडवांस कलेक्शन भी किया गया है। अधिकारियों का कहना है कि वैसे तो अभी अमरेंद्र कुमार का बैच 1989 है, और 1987 बैच के आईआरएसईई ऑफिसर्स पीसीईई के लिए लाइन में हैं, लेकिन मोके का फायदा उठाकर इन्होंने उगाही की खेती बड़े पैमाने पर शुरू कर दी है। इसलिए रेलवे बोर्ड को अविलंब ईसीआर में पीसीईई का पोस्टिंग आर्डर जारी करना चाहिए, जिससे अमरेंद्र कुमार को भ्रष्ट और गलत इरादों से रोका जा सके।

सूत्रों का कहना है कि अमरेंद्र कुमार भी ईसीआर की कुख्यात चांडाल चौकड़ी का ही एक हिस्सा हैं। इस चौकड़ी के एक महत्वपूर्ण सदस्य पीसीपीओ के स्वजातीय होने के कारण इन्हें उनका खूब सपोर्ट मिल रहा है। उधर अधिकारियों का कहना है कि इलेक्ट्रिकल डिपार्टमेंट में अमरेंद्र कुमार द्वारा निकाले जाने वाले कुछ सीनियर स्केल और जेएजी अधिकारियों के जो ट्रांसफर आर्डर अभी पाइप लाइन में हैं, उन्हें अविलंब रोका जाए।

इसके अलावा, अधिकारियों का यह भी कहना है कि ईसीआर में विद्युत विभाग में सीनियर मोस्ट अधिकारी को पीसीईई का लुकिंग ऑफ्टर चार्ज सौंपा जाना चाहिए। उनका कहना है कि सीईएलई से दो-दो साल सीनियर अधिकारी वर्तमान में यहां मौजूद होने के बावजूद जूनियर अधिकारी का आर्डर क्यों निकला गया, क्या इसमें भी कुख्यात चांडाल चौकड़ी का हाथ है?

लोकतंत्र के नाम पर जहर फैलाते हैं जातिगत संगठन!

“यदि पूर्व मध्य रेलवे में जाति और जातिगत वातावरण इस कदर हावी है और अगर यह सच है, तो अत्यंत दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण है! विशेषकर बिहार और यूपी की जमीन जाति और धर्म के मामले में सबसे ज्यादा उर्वरा है! देश का विभाजन भी यहां के मुसलमानों ने ही कराया था! लेकिन 21वीं सदी में यदि भारतीय रेल को बदलना है, तो रेलवे बोर्ड से लेकर नीचे तक जातिवाद के इन कीड़ों को मारना होगा! इनके संगठन तुरंत बर्खास्त किए जाएं! ये संगठन जातिवाद को और बढ़ावा दे रहे हैं। यह केवल रेलवे के लिए सुधार नहीं लाएगा, बल्कि पूरे देश की सरकारी मशीनरी को भी ठीक करेगा। लोकतंत्र के नाम पर जातिवादी संगठन दिन रात जहर फैलाते हैं। जातीय पक्षपात को बढ़ावा देते हैं!” जन्माष्टमी की शुभकामनाएं!
प्रेमपाल शर्मा, पूर्व एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर, रेलवे बोर्ड, अगस्त 19, 2022.

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी

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