भारतीय रेल के लिए आर्थिक परेशानी का सबब बने रेलकर्मियों के ‘सुविधा पास’
सुविधा पास को डिजिटल करने की तैयारी, फर्जी और दोहरी यात्राओं पर होगा नियंत्रण
सांसदों/विधायकों की रेलयात्राओं के संबंध में भी ‘डिजिटल पास प्रणाली’ लागू की जानी चाहिए
रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) ने रेलकर्मियों के सुविधा पास को डिजिटल करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं। हाल ही में जारी हुई भारत के नियंत्रक एवं लेखा महापरीक्षक (सीएजी) की रिपोर्ट में रेलकर्मियों के यात्रा सुविधा पास को रेलवे के आर्थिक घाटे के लिए एक बड़ा कारण माना गया है। सूत्रों के अनुसार रेल मंत्रालय ने सुविधा पासों और इन पर हो रही फर्जी एवं दोहरी-तिहरी यात्राओं पर शीघ्र नियंत्रण करने की कोशिशें शुरू कर दी हैं।
रेलवे बोर्ड ने सुविधा पास में कुछ आवश्यक फेरबदल करने की तैयारी शुरू की है। सूत्रों के अनुसार सुविधा पास के बढ़ते दुरुपयोग को लेकर रेल मंत्रालय ने अपने जांच एवं निरीक्षण तंत्र को सक्रिय कर दिया है। मंत्रालय ने सभी प्रकार के सुविधा पासों को डिजिटल फार्म में जारी किए जाने के लिए दिशा-निर्देश बनाने की तैयारी शुरू कर दी है।
इसका मतलब यह है कि जल्दी ही रेलकर्मियों और अधिकारियों को इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा और सभी कार्मिकों को मैन्युअल पास के बजाय संबंधित रूट का डिजिटल पास जारी किया जाएगा। यह पास केवल एक बार की यात्रा के लिए अधिकृत होगा।
हाल ही में रेलवे बोर्ड के सेंट्रल टिकट चेकिंग स्क्वाड की टीम द्वारा ‘सुविधा पास’ पर यात्रा करते पकड़े गए चार बोगस यात्री
हालांकि वर्तमान में भी यह सुविधा पास सिर्फ एक बार की यात्रा के लिए ही जारी किया जाता है, लेकिन अधिकांश रेलकर्मी इस पर कई बार यात्रा करते हैं और चेकिंग एवं आरक्षण स्टाफ से पास पर पीएनआर/गाड़ी नंबर/यात्रा की तारीख इत्यादि दर्ज नहीं करने का अनुरोध करते हैं। डिजिटल पास जारी होने के बाद यह सब कर पाना संभव नहीं होगा।
यहां पर यह उल्लेख करना और रेल प्रशासन का ध्यान आकर्षित करना आवश्यक हो जाता है कि इन पासों का सबसे ज्यादा दुरुपयोग और इनका कई-कई बार इस्तेमाल यूनियनों के पदाधिकारियों तथा रसूखदार कर्मचारियों द्वारा ही किया जाता है, जिनके विरुद्ध चेकिंग स्टाफ कोई उचित कार्रवाई नहीं कर पाता है।
डिजिटल प्रक्रिया शुरू होने से न सिर्फ सुविधा पास का दुरुपयोग पूरी तरह रुक जाएगा, बल्कि केवल इससे संबंधित कर्मचारी और उसका परिवार ही यात्रा कर सकेगा। इससे सुविधा पास के फर्जी एवं बोगस इस्तेमाल की समस्या भी समाप्त हो जाएगी। उल्लेखनीय है कि हाल ही में तमाम ऐसे मामले पकड़े गए हैं, जब सुविधा पास पर संबंधित कर्मचारी की जगह दूसरे व्यक्तियों को यात्रा करते पाया गया था।
जानकारों का मानना है कि उपरोक्त प्रक्रिया सभी सांसदों एवं विधायकों की रेलयात्राओं के संबंध में भी लागू की जानी चाहिए, क्योंकि इन सुविधाओं का सर्वाधिक दुरुपयोग इन्हीं के मामलों में होता है और रसूखदार तथा राजनीतिक पहलूओं के मद्देनजर कोई भी रेलवे अथॉरिटी इनके खिलाफ आवश्यक एवं कारगर कार्रवाई कर पाने में असमर्थ रहती है।