कमजोर अधिकारियों को ही घर भेज रहे हैं पीएम मोदी जी!
अब तक कैसे बचे हुए हैं वी. पी. सिंह जैसे कामचोर अधिकारी?
रेलवे के सभी दफ्तरों में सीसीटीवी लगाए जाने की ठेकेदारों की मांग
उत्तर रेलवे के वी. पी. सिंह (आईआरएसई) जैसे कामचोर और निकम्मे रेल अधिकारी सरकारी व्यवस्था में एक कलंक हैं, जो रेलवे में रहकर सिर्फ मौज कर रहे हैं , सरकारी वाहन का दुरुपयोग करने वाले, फाइलों को सालों-साल दबाकर रखने वाले और मातहतों एवं काम करने वाले ठेकेदारों का उत्पीड़न करने वाले अधिकारी हैं। पीएम मोदी जी ऐसे निकम्मे, ना-लायक और कामचोर अधिकारियों का क्यों संज्ञान नहीं ले पा रहे हैं? क्या रेलमंत्री पीयूष गोयल ने वी.पी.सिंह के ऊपर कार्रवाई न करने का फैसला ले लिया या जांच ही नहीं करवाई? यह कहना है तमाम ठेकेदारों का।
ठेकेदारों ने बताया कि वी. पी. सिंह जब उत्तर रेलवे निर्माण संगठन में चीफ इंजीनियर/कंस्ट्रक्शन, कश्मीरी गेट में पदस्थ थे, तब वह दफ्तर में सरकारी मशीनरी का जमकर दुरुपयोग कर रहे थे। समय पर फाइलें निपटाने के बजाय अपने बच्चों के स्कूल की फोटो कॉपियां करवाया करते थे। साइट पर जाने और सर्वे करने की जगह सरकारी गाड़ियों का प्रयोग अपने निहित-निजी स्वार्थ के लिए अपने बच्चों और रिश्तेदारों के लिए किया करते थे। यही नहीं वह ऑक्शन और ठेकों में मिली गाड़ियों का इस्तेमाल भी अपने निजी कार्यों में किया करते थे।
वह बताते हैं कि आज भी उत्तर रेलवे मुख्यालय बड़ौदा हाउस और कश्मीरी गेट कंस्ट्रक्शन कार्यालय में वी. पी. सिंह की पकड़ बहुत मजबूत है। यदि सीसीटीवी और आवाज की रिकॉर्डिंग वाली मशीनें बड़ौदा हाउस तथा कश्मीरी गेट के दफ्तर में लगा दी जाएं, तो कुछ हद तक वी. पी. सिंह जैसे कामचोर और निठल्ले बैठने वाले अधिकारियों पर लगाम कसी जा सकती है। इसके साथ ही रिश्वतखोरी एवं कमीशन का आदान-प्रदान रोकने के लिए सभी को अनुमति दी जाए कि कोई भी आरटीआई के तहत सीसीटीवी और आवाज की रिकॉर्डिंग मांग सकता है।
#ModiGovt_wants_ministries to #Name #Corrupt_officers by nxt week for #forced_retirement
Will #Modi able to remove #Corrupt/#nonperforming #officers in #railways?#WHY not #VPSingh #IRSE?#corruption occur on #discretionary_powers#WillModiRemoveIt?@PMOIndia@RailMinIndia pic.twitter.com/2TgXE96U71
— kanafoosi (@kanafoosi) December 5, 2019
दि. 03.08.2017 को तत्कालीन चीफ इंजीनियर कंस्ट्रक्शन, उत्तर रेलवे निर्माण संगठन, कश्मीरी गेट, नई दिल्ली, वी. पी. सिंह की निकम्मी कार्यशैली और कामचोरी के खिलाफ 30 से अधिक ठेकेदारों ने जीएम/उ.रे., सीएओ/सी-I&II, एफएएंडसीएओ/सी को लिखित शिकायत (पत्र संख्या एफसीसीआई/मिस./जीएसटी एंड पेमेंट्स) सौंपी थी।
इस शिकायत के पहले पेज के चौथे पैरा में वी. पी. सिंह का नाम स्पष्ट रूप से लिखा गया था और साफ तौर पर मांग की गई थी कि उक्त शिकायत की जांच सीबीआई/सीवीसी अथवा अन्य किसी निष्पक्ष जांच एजेंसी से करवाई जाए। तथापि आज तक उसका कुछ नहीं हुआ। जाहिर है कि इस मामले में नीचे से ऊपर तक सभी संबंधितों की मिलीभगत रही है। इसके अलावा मीडिया में भी कई बार इस संबंध में प्रकाशित हुआ, पर रेल प्रशासन के कान में जूं तक नहीं रेंगी।
पिछले हफ्ते रेलवे ने जिन 21 अधिकारियों को उत्तरदायित्व निभाने में कोताही, संदिग्ध विश्वसनीयता आदि-इत्यादि के लिए जिम्मेदार ठहराकर घर भेजा है, उनमें सबसे ज्यादा 6 अधकारी इंजीनियरिंग विभाग के ही हैं। इसके बावजूद वी. पी. सिंह, आलोक सिंह, मनोज कुमार, जितेंद्र कुमार, बी. एल. बिश्नोई और तरुण कुमार जैसे कई अधिकारी कैसे बचे रह गए? यह आश्चर्यजनक है। इसका सीधा मतलब यह लगाया जा रहा है कि ऐसे अधिकारियों की चूंकि मजबूत राजनीतिक पकड़ है तथा इनकी पहुंच सीधे पीएमओ तक है, इसलिए ऐसे लोगों का रेल प्रशासन कुछ नहीं कर पा रहा है!
तमाम ठेकेदारों का कहना है कि यदि रेलवे के बेसकिचन और रेल भवन के सभी कॉरिडोर तथा जोनल/डिवीजनल मुख्यालयों के बाहरी गलियारों में सीसीटीवी और वाइस रिकार्डिंग मशीनें लगाई जा सकती हैं, तो ऐसे अफसरों के दफ्तरों में यह क्यों नहीं लगाई जा रही हैं? जबकि रेलवे के इन्हीं दफ्तरों में सर्वाधिक रिश्वतखोरी, कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार हो रहा है।
हालांकि तकनीकी विभागों को छोड़कर बाकी विभागों के अधिकांश अफसर सुरक्षा के दृष्टिकोण से भी अपने दफ्तरों में सीसीटीवी लगाए जाने के पक्ष में हैं। जबकि सिर्फ ‘कांट्रेक्ट मैनेजर्स’ ही इसके खिलाफ बताए जाते हैं। तथापि ज्यादातर ठेकेदारों का कहना है कि ऐसे अफसरों के दफ्तरों में ही सीसीटीवी लगाए जाने की सबसे बड़ी जरूरत है। इससे भ्रष्टाचार पर कारगर अंकुश लगाने की सरकार की मंशा भी काफी हद तक पूरी हो सकती है।