जीएम का एक्स्ट्रा ऑर्डिनरी एक्सपीरियंस: जीएम/उ.म.रे. से स्टाल वेंडर ने की ओवर चार्जिंग!
प्रयागराज ब्यूरो: उत्तर मध्य रेलवे के महाप्रबंधक प्रमोद कुमार, कल बुधवार, 1 जून 2022 को देर रात के समय एकाएक कानपुर सेंट्रल स्टेशन के एक खानपान स्टॉल पर सामान्य यात्री की वेशभूषा में सिर पर गमछा बांध कर देहाती बनकर पहुंचे और स्टाल के काउंटर पर खड़े वेंडर से पानी की एक बोतल देने को कहा। जिस पर वेंडर ने उनसे निर्धारित 15 रुपये की जगह 20 रुपये की मांग की और लिया भी।
हालांकि ये ओवरचार्जिंग अमूमन पूरी भारतीय रेल पर हो रही है, लेकिन महत्वपूर्ण बात ये है कि एक जोनल महाप्रबंधक ने इस प्रकार की शिकायत की सत्यता को जानने के लिए किसी अन्य को न भेजकर मौके पर स्वयं पहुंचकर इस गंभीर अनियमितता को पकड़ा।
निश्चित रूप से जीएम प्रमोद कुमार की यह एक अत्यंत सराहनीय पहल है, लेकिन यह तभी सार्थक होगी, जब केवल दोषियों पर ही नहीं, बल्कि इसके लिए जिम्मेदार वहां कार्यरत सभी संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर भी कड़ा ऐक्शन लिया जाए।
कानपुर के स्थानीय मीडिया पर्सन और वहां पर कार्यरत रेल कर्मचारियों से प्राप्त जानकारी को अगर सही माना जाए तो कानपुर सेंट्रल स्टेशन पिछले साल से ही अराजकता की जद में आ गया था जिसके लिए प्रमुख रूप से जिम्मेदार रहे हैं यहां के तत्कालीन स्टेशन निदेशक!
सूत्रों से प्राप्त खबरों के अनुसार तत्कालीन डिप्टी सीटीएम एवं स्टेशन निदेशक ने एक तरह से अवैध कमाई करने के चक्कर में यहां कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर सभी प्रकार की अवैध गतिविधियों की छूट दे रखी थी, जिसमें खानपान स्टॉल्स और वाहन पार्किंग की ओवर चार्जिंग भी शामिल रही है।
अब चूंकि उनका स्थानांतरण कानपुर से उ.म.रे. मुख्यालय, प्रयागराज हो गया है, इसलिए अब रेल कर्मचारी भी खुलकर बोल रहे हैं कि उन्होंने कानपुर एरिया में भ्रष्टाचार का नया अध्याय लिखा।
बहरहाल, न जाने कितनी बार रेल मंत्रालय से लेकर जोन और मंडल के अधिकारी, विभिन्न विभागों के विभाग प्रमुख इत्यादि कानपुर आए-गए, लेकिन किसी को इस अराजकता की भनक नहीं लगी, या फिर उन सभी ने इस बारे में जानने की कोशिश नहीं की! जबकि इनमें से किसी न किसी का डेरा आए दिन कानपुर सेंट्रल रेलवे स्टेशन पर रहता है।
चाहे चलती ट्रेन हो या रेलवे स्टेशन, हर जगह ओवरचार्जिंग हो रही है, अवैध वेंडर्स की भरमार है, सर्वसामान्य यात्री लुट रहे हैं। सार्वजनिक भ्रष्टाचार और लूट खुलकर हो रही है। यात्री शिकायतों का अंबार लगा हुआ है। तथापि इसकी रोकथाम के लिए जिम्मेदार आरपीएफ और वाणिज्य विभाग सुशुप्तावस्था में हैं। शिकायतों के निपटारे में केवल खानापूरी हो रही है, कारगर कार्रवाई सुनिश्चित नहीं हो रही। अतः स्थिति यथावत है।
वाणिज्य विभाग का कहना है कि आरपीएफ अवैध वेंडिंग से लेकर ओवरचार्जिंग जैसी घटनाओं के लिए जिम्मेदार है। वाणिज्य अधिकारियों का कहना है कि जब वाणिज्य कर्मचारी अवैध वेंडर्स की धरपकड़ करते हैं तो आरपीएफ के लोग सहयोग नहीं करते, क्योंकि वह खुद अवैध काम करवाते हैं, रेल में अवैध वेंडर आरपीएफ की ही देन हैं।
जबकि आरपीएफ अधिकारियों एवं सिपाहियों का कहना है कि वाणिज्य विभाग के निरीक्षक और अधिकारी खानपान स्टॉल तथा अवैध वेंडरों से हफ्ता लेते हैं, इसलिए वह लोग इन्हें बचाते हैं।
इस प्रकार से देखा जाए तो दोनों विभाग ने केवल अपनी जिम्मेदारियों से भाग रहे हैं, बल्कि एक-दूसरे पर दोषारोपण करके अपनी-अपनी खाल बचा रहे हैं। बहरहाल रेल प्रशासन को चाहिए कि इस प्रकार की अवैध गतिविधियों को रोकने हेतु एक मजबूत पारदर्शी सिस्टम विकसित किया जाए, जिसमें जवाबदेह किसी भी प्रकार से बच न सकें।
अब जब जोनल प्रभारी अर्थात महाप्रबंधक ने स्वयं इस अनियमितता, जिसकी सर्वाधिक यात्री शिकायतें दर्ज होती हैं, का जीवंत अनुभव किया है, तब न केवल इन शिकायतों की गंभीरता को समझा जाना चाहिए, बल्कि उम्मीद की जाती है कि अब कम से कम भारतीय रेल का एक जोन तो ओवर चार्जिंग की समस्या से मुक्त होगा।