यांत्रिक कारखाना गोरखपुर की सतत विकास यात्रा
स्वर्णिम अतीत को संजोए रखने वाला एक रेल कारखाना
गोरखपुर ब्यूरो: पूर्वोत्तर रेलवे मुख्यालय गोरखपुर स्थित यांत्रिक कारखाना की औपचारिक स्थापना वर्ष 1903 में हुई थी, जिसे बंगाल एवं असम नाॅर्थ वेस्ट रेलवे लोकोमोटिव एवं कैरेज कारखाना का नाम दिया गया था। पूर्वोत्तर रेलवे के संचालन के दृष्टि से यह कारखाना बहुत ही महत्वपूर्ण है। यह कारखाना कुल 29.8 हेक्टेयर भूमि में फैला हुआ है। इसमें से 12.6 हेक्टेयर क्षेत्रफल में विभिन्न वर्कशाॅप तथा कार्यालय स्थित हैं।
इससे पहले यह कारखाना सोनपुर में था, जहाँ प्रतिवर्ष बाढ़ आने के कारण कई महीनों तक कारखाने का काम बंद हो जाया करता था। वर्ष 1898 के सर्वे के बाद सोनपुर से कारखाने को गोरखपुर स्थानांतरित करने का कार्य प्रारम्भ हुआ, जो लगभग पांच वर्षों के उपरांत वर्ष 1903 में पूर्ण हुआ। इस कारखाने में ब्रॉड गेज (बीजी) यानों का सावधिक पुनर्कल्पन वर्ष 1984 में प्रारंभ कर दिया गया था तथा स्टीम लोको का सावधिक पुनर्कल्पन वर्ष 1994 में बंद कर दिया गया।
आजादी के बाद भारतीय रेलों का पुनर्गठन हुआ और बदले परिदृश्य में सवारी एवं माल डिब्बा तथा स्टीम लोको की मरम्मत तथा उत्पादन इकाई के रूप में गोरखपुर कारखाने का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण हो गया। तत्कालीन रेल प्रशासन द्वारा कारखाने के स्वर्णिम भविष्य का पूर्वानुमान लगाते हुए वर्ष 1952 में इसके आधुनिकीकरण तथा विकास का एक प्रारूप तैयार हुआ। गोरखपुर कारखाने का प्रारूप 50 वर्षों की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर किया गया था। इस योजना के अंतर्गत कई नए शाॅपों तथा उत्पादन इकाईयों का निर्माण हुआ।
यह गर्व की बात यह है कि वर्ष 1970 में गोरखपुर कारखाने को सबसे पहले नेशनल सेफ्टी (एक्सीडेंट फ्री) अवार्ड मिला था, उसके बाद वर्ष 1973, 1977 तथा 1979 में भी यह अवार्ड गोरखपुर कारखाने को ही मिला। कारखाने के भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्ष 1998-99 में लगभग 20 करोड़ का वर्कशाॅप प्रोग्राम कारखाने के विस्तार हेतु रेलवे बोर्ड को भेजा गया। इसके तहत कारखाने की सावधिक पुनर्कल्पन की क्षमता 75 कोच प्रतिमाह से 125 कोच प्रतिमाह बढ़ाए जाने का प्रस्ताव भेजा गया।
रेलवे बोर्ड ने इस प्रस्ताव को सहर्ष स्वीकृति प्रदान कर दी। धीरे-धीरे इस योजना के अंतर्गत स्वीकृत राशि से नए निर्माण कार्य पूरे हुए। इसी क्रम में वर्ष 2001 में मीटर गेज का पुनर्कल्पन जनवरी में बंद किया गया। साथ ही यांत्रिक कारखाना गोरखपुर बड़ी लाइन यानों के सर्वाधिक पुनर्कल्पन का कारखाना बन गया।
वर्ष 2003 में यांत्रिक कारखाना गोरखपुर ने अपना शताब्दी वर्ष पूरा किया। वर्तमान में यह कारखाना अपनी क्षमताओं में वृद्धि करता हुआ नई-नई मशीनों और संयंत्रों के प्रयोग द्वारा उत्कृष्ट कार्य करता हुआ नई ऊंचाईयों की ओर कदम बढ़ा रहा है। इस प्रकार 20वीं सदी के दौरान कारखाने ने अपनी विकास यात्रा की अनेक महत्वपूर्ण मंजिलों को सफलतापूर्वक पार किया।
इस दौरान अपने उत्पादों को लगातार समायानुकूल परिवर्तित कर ओपन लाइन को महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान किया। वर्तमान में यांत्रिक कारखाने में एलएचबी एवं मेमू कोचों का भी पुनर्कल्पन कार्य किया जा रहा है। यह कारखाना अपने स्वर्णिम अतीत को संजोए हुए है।