रेलवे में “विभागवाद” का क्रूर उदाहरण: ट्रेन में जगह नहीं मिली, तो काट दी टीटीई रेस्ट रूम की बिजली

संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध तत्काल कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित की जाए!

कटिहार डिवीजन, पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे के एक टीटीई से ट्रेन में जगह को लेकर हुई बातचीत का बदला विद्युत विभाग के कर्मचारियों एवं अधिकारियों ने टीटीई रेस्ट रूम की बिजली आपूर्ति ठप करके चुकाया। रेलवे में “विभागवाद” का यह न केवल एक काला और अत्यंत घिनौना चेहरा सामने आया है, बल्कि उसका सबसे ताजा और ज्वलंत उदाहरण भी है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार विद्युत टीआरडी का कुछ स्टाफ टीटीई को बिना बताए ट्रेन में चढ़ गया था और उससे जगह (बर्थ/सीट) देने को कहा। मगर होली की वापसी भीड़ के चलते ट्रेन में कहीं कोई जगह खाली नहीं थी। संभवतः टीटीई ने उनसे यही कहा कि “एक तो बिना बताए बिना पूछे ट्रेन में चढ़ गए, ट्रेन में एक भी बर्थ खाली नहीं है, अब जहां जगह मिले, वहां बैठ जाओ!”

इस पर टीटीई से खुन्नस खाया नाराज टीआरडी स्टाफ ने डीईई/टीआरडी/एनजेपी को बताया। डीईई/टीआरडी ने सीनियर डीईई/जनरल/कटिहार को बात करके न्यू जलपाईगुड़ी के टीटीई रेस्ट रूम की बिजली आपूर्ति सुबह करीब साढ़े सात बजे ठप करवा दी।

जब तमाम प्रयासों के बाद भी दोपहर बाद तक रेस्ट रूम की विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं की गई, तब चेकिंग स्टाफ ने इस बारे में #Railwhispers को घटना का विवरण बताते हुए लगभग तीन बजे सूचित किया। घटना के बारे में पहले यह बताया गया कि टीटीई ने डीईई/टीआरडी के साथ शायद कुछ दुर्व्यवहार किया था, इसलिए डीईई ने रेस्ट रूम की बिजली आपूर्ति बंद करा दी है।

तथापि कटिहार डिवीजन के अपने स्रोतों से बात करने पर पता चला कि गाड़ी में यात्रा कर रहे मंडल के ही एक अन्य ब्रांच अधिकारी के अनुसार डीईई/टीआरडी, न्यू जलपाईगुड़ी ट्रेन में नहीं आए थे, उनका कुछ स्टाफ ट्रेन में आया था और गाड़ी में कहीं कोई जगह नहीं थी, शायद जगह को लेकर ही दोनों स्टाफ के बीच कोई बातचीत हुई होगी।

असहज और किसी भी तर्क से अमान्य उपरोक्त घटना की वास्तविकता जानने तथा अधिकृत पक्ष लेने के लिए डीआरएम/कटिहार से उनके मोबाइल पर कई बार संपर्क करने का प्रयास किया गया, पर शायद कहीं अन्यत्र व्यस्त होने के कारण उन्होंने कॉल रिसीव नहीं की। तत्पश्चात इस अस्वाभाविक घटना के बारे में महाप्रबंधक/पूर्वोत्तर सीमांत रेलवे अंशुल गुप्ता को अवगत कराया गया। इसके तत्काल बाद टीटीई रेस्ट रूम, न्यू जलपाईगुड़ी की बिजली आपूर्ति बहाल की गई।

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले में सीनियर डीईई/जनरल की भूमिका कतई संदिग्ध है। सूत्रों का कहना है कि सीनियर डीईई/जी/कटिहार मंडल के व्यवहार में “विभागवाद” का कीड़ा आज भी घुसा हुआ है, यह मामला उसका प्रत्यक्ष उदाहरण है। पता चला है कि एक यूनियन पदाधिकारी ने जब उनसे रेस्ट रूम की बिजली आपूर्ति बहाल करने की बात कही, तो उन्होंने उसे जवाब दिया कि “जब तक संबंधित टीटीई आकर माफी नहीं मांगेगा, तब तक रेस्ट रूम की विद्युत आपूर्ति बहाल नहीं की जाएगी!” इस बातचीत की ऑडियो रिकॉर्डिंग #Railwhispers के पास उपलब्ध है।

कर्मचारियों का कहना है कि एक तो ऐसी कोई घटना या बातचीत नहीं हुई जैसी कि बताकर रेस्ट रूम की विद्युत आपूर्ति बाधित की गई। उनका कहना है कि अगर यह मान भी लिया जाए कि वैसी कोई घटना हुई थी, अथवा टीटीई द्वारा वैसा कोई दुर्व्यवहार किया भी गया था, तो भी विद्युत अधिकारियों एवं कर्मचारियों को रेस्ट रूम की बिजली आपूर्ति ठप करने का अधिकार कैसे मिल गया? यह एक अक्षम्य अपराध है। अतः रेल प्रशासन को संबंधित अधिकारियों एवं कर्मचारियों के विरुद्ध तत्काल कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।

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