WCRMS से “भटनागर एंड संस” के निष्काशन पर हाईकोर्ट ने लगाई मुहर
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ से हुआ वंशवाद का विधिक अंत
अब सीआरएमएस पदाधिकारियों से इस प्रयोग को मध्य रेलवे में भी दोहराने की अपील
वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ में जारी गतिरोध पर 23 दिसंबर 2021 को हाईकोर्ट ने विराम लगाते हुए आर. पी. भटनागर एवं उनके पुत्र अमित भटनागर के संघ से निष्काशन को सही ठहराते हुए विगत 30/11/2021 को नई कार्यकारिणी पर लगाई गई रोक को हटा लिया। हाईकोर्ट के इस फैसले से अब “वंशवाद मुक्त” संघ की नई कार्यकारिणी स्वतंत्र रूप से कार्य कर सकेगी तथा फंड का सही उपयोग भी किया जा सकेगा।
संघ के संयुक्त महामंत्री सतीश कुमार के अनुसार हाईकोर्ट के निर्णय से सी. एम. उपाध्याय संघ के अध्यक्ष बने रहेंगे तथा महामंत्री अशोक शर्मा के नेतृत्व में नई कार्यकारिणी को कानूनी मान्यता मिल गई है। उन्होंने कहा कि उक्त निर्णय से संघ से निष्काशित भटनागर पिता-पुत्र को तगड़ा झटका लगा है।
संघ के मीडिया प्रभारी रोमेश चौबे ने बताया कि सविता त्रिपाठी एवं एस. के. सिन्हा ने हाईकोर्ट को गुमराह करते हुए नई कार्यकारिणी पर 30 नवंबर 2021 को चार्ज नहीं लेने का आरोप लगाते हुए फंड की निकासी पर रोक लगवाई थी। इस पर संघ के अधिवक्ताओं ने पैरवी करते हुए दस्तावेजों के साथ संघ का पक्ष रखा, जिसके फलस्वरूप हाईकोर्ट द्वारा वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ की अशोक शर्मा एवं सी. एम. उपाध्याय के नेतृत्व वाली कार्यकारिणी को पूर्णतया कार्य करने की मान्यता दे दी गई है।
इस संबंध में अशोक शर्मा, महामंत्री, वेस्ट सेंट्रल रेलवे मजदूर संघ द्वारा महाप्रबंधक पश्चिम मध्य रेलवे सुधीर कुमार गुप्ता तथा प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी एस. के. अलबेला को हाईकोर्ट के निर्णय की प्रति के साथ एक पत्र विधिवत रूप से सौंपा गया। उक्त निर्णय से संघ के सभी पदाधिकारियों ने हर्ष व्यक्त करते हुए इसे सही दिशा में संघर्ष की विजय बताया है। उन्होंने मध्य रेलवे के सीआरएमएस पदाधिकारियों से इस प्रयोग को वहां भी दोहराने की अपील की है।
ट्रेड यूनियन गतिविधियों के जानकारों का कहना है कि “ऐसा ही होता है जब कोई बाप समय रहते अपनी विरासत नहीं छोड़ता, तब सक्षम हो चुकी संतानें उससे सब छीन लेती हैं।” उनका यह भी कहना है कि “यह तब और भी अवश्यंभावी हो जाता है जब कोई बाप अपनी बेमुराद औलाद को बाहर से लाकर सालों से संगठन में कार्यरत सैकड़ों लोगों के ऊपर जबरन थोप देता है।”
उन्होंने यह भी कहा कि “हालांकि रेलकर्मी डॉ आर. पी. भटनागर का बहुत सम्मान करते हैं, क्योंकि उनकी भलाई के लिए डॉ भटनागर ने संघ के माध्यम से लंबा संघर्ष किया। परंतु अपने बेटे को बाहर से लाकर संघ के सैकड़ों वरिष्ठ पदाधिकारियों पर थोप देने से उन्होंने अपना यह सम्मान खो दिया। उनका कहना है कि किसी ने नहीं सोचा था कि जीवन के इस आखिरी दौर में डॉ भटनागर को यह दिन भी देखने पड़ेंगे!”
मध्य प्रदेश हाईकोर्ट का निर्णय:
The High Court Of Madhya Pradesh
WP No. 25629 of 2021
(SMT. SAVITA TRIPATHI AND OTHERS Vs TRADE UNION AND OTHERS)
Jabalpur, Dated : 23-12-2021
Shri Jai Kumar Pillai, learned counsel for the petitioners.
Shri Sankalp Kochar, learned counsel for the respondent Nos. 2 and 3.
Heard learned counsel appearing for the parties on the question of vacating interim relief and for dismissal of the present writ petition.
Learned counsel appearing for respondent Nos.2 and 3 has pointed out that outgoing President Mr. R. P. Bhatnagar has challenged the same order which is impugned in the present petition i.e. order dated 22.10.2021 before the Industrial Court, Bhopal and the said proceedings were withdrawn vide order dated 29.10.2021 at Page No. 122 of I.A. No.12293/2021.
He further states that civil suit was also filed by the same person which has also been withdrawn on 30.11.2021 from the Court of 8 th Civil Judge, Senior Division, Jabalpur. According to him, the present is a sponsored petition at the behest of Shri R.P. Bhatnagar.
The aforesaid submissions have been vehemently opposed by learned counsel appearing for the petitioners and he states that there are two FIRs against the respondent Nos.2 and 3 and names of office bearers in the impugned order dated 22.10.2021 have been sent behind the back of the petitioners and the other stakeholders.
Since the interim order dated 24.11.2021 is in operation which states that the office bearers should not take charge in pursuance to order dated 22.10.2021 and neither the petitioners nor respondent Nos. 2 and 3 are allowed to withdraw funds from WCRMS, the same is causing immense confusion in the functioning of WCRMS, therefore, taking into consideration the overall facts and circumstances of the case and the fact that vide Annexure R/8 of I.A. No. 12293/ 2021, the charge was already taken over by the office bearers on 28.10.2021.
The said order dated 28.10.2021 is not under challenge in the present writ petition. It is, therefore, thought apposite to modify the order dated 24.11.2021 to the extent that the charge will remain continue with the office bearers as per communication dated 28.10.2021 (Annexure R/8 at Page No.89 of I.A. No. 12293/2021) and in the meantime, the outgoing office bearers also shall not be entitled to operate the accounts of the association.
However, it is clarified that in case of any emergent need or urgency or to incur day to day expenses, the present office bearers as per communication dated 28.10.2021 (Annexure R/8), will be entitled to operate the bank account subject to maintaining the record thereof to be produced before this Court on the next date of hearing.
List the matter for further consideration in the second week of January, 2022.
(PURUSHAINDRA KUMAR KAURAV)
V. JUDGE
As per Certified copy dtd. 24.12.2021.
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