आठ महीने पहले ट्रांसफर हो चुके बीएलडब्ल्यू के पीसीएमओ को तत्काल रिलीज किया जाए!
बनारस रेल इंजन कारखाना (बीएलडब्ल्यू) अस्पताल के पीसीएमओ डेंटल भर्ती घोटाला कर भागने की फिराक में?
पूरी भारतीय रेल में कोविड के दूसरे दौर में, सबसे ज्यादा मौतें, खासकर युवाओं की, भारतीय रेल के बीएलडब्ल्यू रेलवे हॉस्पिटल में हुई थीं। जब मामला हद से ज्यादा बिगड़ गया, तब कोविड ग्रस्त जीएम ने मोर्चा संभाला, और स्वयं कंट्रोल रूम से मॉनिटरिंग शुरू की, तब कहीं जाकर स्थिति नियंत्रण में आई थी।
पीसीएमओ ने आते ही अनाप-शनाप घोटाले शुरू कर दिए? मजदूरों का अबाध शोषण किया और कोविड स्वास्थ्यकर्मियों का वाजिब भुगतान रोक दिया।
ज्ञातव्य है कि उन्होंने अत्यंत जटिल बैरियाट्रिक सर्जरी के महँगे उपकरण खरीदे, जबकि जानकारों का कहना है कि बैरियाट्रिक सर्जरी बीएलडब्ल्यू के अस्पताल में हो ही नहीं सकती। इसके अलावा और भी अनेक महँगे उपकरण खरीदे गए।
अब पीसीएमओ एक महिला प्राइवेट डेंटल डॉक्टर को कांट्रैक्ट पर लगाने के लिए जोड़-तोड़ कर रहे हैं। पूर्व पीसीएमओ डॉ पितांबर प्रसाद एवं डॉ ज्ञानेंद्र मोहन ने इस महिला प्राइवेट डॉक्टर को पहले भी सेलेक्ट करने के लिए ऐसे नियम बनाए थे, जैसे कि भारतीय रेल में और कहीं भी नहीं थे।
वह तो अच्छा हुआ कि पूर्व महाप्रबंधक रश्मि गोयल ने बारीकी से इस चोरी को पकड़कर इस महिला प्राइवेट डॉक्टर को सेलेक्ट करने वाले इंटरव्यू और प्रस्ताव को खारिज कर दिया और दुबारा निष्पक्ष सेलेक्शन कराया, जिसमें इस महिला प्राइवेट डॉक्टर से ज्यादा काबिल डॉक्टर का चयन किया गया।
अब पीसीएमओ ने इस महिला प्राइवेट डॉक्टर को एक बार फिर नियुक्त करने का जाल बुना है। इतना ही नहीं, डेंटल डॉक्टर के काम के घंटे और वेतन भी पहले ही बढ़ा दिया है। अब पीसीएमओ स्वयं इस इंटरव्यू कमेटी के अध्यक्ष होंगे और उन्होंने उक्त महिला प्राइवेट डॉक्टर को चयन का वादा कर रखा है।
उल्लेखनीय है कि पीसीएमओ का बीएलडब्ल्यू से बाहर स्थानांतरण का आदेश आठ महीने पहले जारी हो चुका है, पर वह यहां से टस-से-मस नहीं होना चाहते जब तक कि कॉन्ट्रैक्ट डॉक्टरों की भर्ती में मोटी कमाई न कर लें?
जानकारों का कहना है कि यह जाँच का विषय है कि अभी तक पीसीएमओ को रिलीज क्यों नहीं किया गया? जबकि रेलवे और स्वास्थ्य मंत्रालय के आदेशों की अवहेलना करते हुए वह कोविड स्वास्थ्यकर्मियों का वेतन और मानदेय भी महीनों से रोककर कर बैठे हैं।
उनका कहना है कि यह आवश्यक हो गया है कि पीसीएमओ डॉ सुजीत मलिक को तत्काल ट्रांसफर के लिए रिलीज किया जाए। तब तक उनके खरीद और निविदा के अधिकार स्थगित किए जाने चाहिए और उनको कोई भी भर्ती या सेलेक्शन करने से रोका जाना चाहिए।
इसके बाद उनके कार्यकलापों की विजिलेंस और सीबीआई से जॉंच कराई जाए। तभी बीएलडब्ल्यू के अस्पताल की खोई गरिमा वापस आ सकेगी और रेल कर्मचारियों का प्रशासन पर एक बार फिर भरोसा कायम होगा।
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