रेलवे बोर्ड के “चमचागीरी टॉप क्लास स्क्वाड” का कारनामा
यह सीटीसी स्क्वाड वास्तव में रेलवे बोर्ड में कर क्या रहा है? क्या इसकी वहां वास्तव में कोई आवश्यकता है? इसका आउटपुट वास्तव में क्या है?
#Railwhispers को अपने विश्वसनीय सूत्रों से एक बनी हुई एक्स्ट्रा फेयर टिकट (ईएफटी) प्राप्त हुई है। अगर ये ईएफटी वास्तव में सही है – फेक अथवा बोगस नहीं है – तो यह बहुत ही शर्मनाक बात है कि रेलवे बोर्ड के सेंट्रल टिकट चेकिंग स्क्वाड (सीटीसी स्क्वाड) को भी ऐसी टिकट बनानी नहीं आती और सीटीसी स्क्वाड के स्टाफ को ऐसी कौन सी आफत आन पड़ी है कि वह इस काम में लगे हुए हैं?
ध्यान से इस ईएफटी को देखें – इसके कॉलम अधूरे हैं। यह टिकट कहां से कहां तक की बनाई गई है, यह इसमें दर्ज नहीं किया गया है। स्टेशन कोड पढ़ने में नहीं आ रहा है। इसमें यात्री का नाम, आईडी नंबर और साइन भी नहीं हैं।
वैसे हमने सुना है कि “सीटीसी स्क्वाड” का सही नाम और काम ही “चमचागिरी टॉप क्लास स्क्वाड” है। इसका एक ही काम चर्चा में आता है – रेलवे बोर्ड के अधिकारियों, खासकर ट्रैफिक/कमर्शियल अधिकारियों के बैग उठाकर उनके आगे-पीछे एस्कार्ट करते हुए चलना अथवा उनकी फेमिलीज को इधर से उधर पहुंचाना!
सूत्रों का कहना है कि वैसे भी सीटीसी स्क्वाड वाले सामान्यत: चलती ट्रेनों और स्टेशनों पर ड्यूटी नहीं करते हैं। जबकि यह एक्स्ट्रा फेयर टिकट (ईएफटी) ग्वालियर स्टेशन के बाहर बनाई गई है।
उल्लेखनीय है कि ग्वालियर स्टेशन के बाहर यही गोरखधंधा सरेआम चलता है। टिकट स्टेशन पर अथवा स्टेशन परिसर में ही बनाकर यात्रियों को पकड़ा दी जाती है और आराम से टीए क्लेम कर लिया जाता है।
ऐसे में ये ऐसी रसीद कहीं वास्तव में चमचागीरी तो नहीं है? या फिर ड्यूटी दिखाने और फर्जी टीए क्लेम करने का कोई खेल चल रहा है?
ज्ञातव्य है कि इससे पहले रेलवे बोर्ड में कई एंटी-फ्रॉड स्क्वाड भी हुआ करते थे, जो अपने आपको विजिलेंस और सीबीआई से कम नहीं समझते थे। जब इनके भ्रष्टाचार की पोल खुली, तो इनको खत्म कर इनकी असली ड्यूटी पर लगा दिया गया था।
अब देखने और समझने वाली बात ये है कि यह सीटीसी स्क्वाड वास्तव में रेलवे बोर्ड में कर क्या रहा है? क्या इसकी वहां वास्तव में कोई आवश्यकता है? इसका आउटपुट वास्तव में क्या है?
इसकी गहन समीक्षा करके इसका औचित्य सिद्ध किया जाए, अन्यथा इन्हें भी वापस भेजकर इनके वास्तविक कार्य पर लगा दिया जाना चाहिए!
#CTC_Squad #RailwayBoard