रेलवे से वेतन रेल का काम करने लिए दिया जाता है, या यूनियन का चंदा इकट्ठा करने के लिए?
यूनियन पदाधिकारियों की मनमानी, धौंसबाजी और उत्पीड़न से बचने के लिए रेलकर्मियों को ही निडर होकर सामने आना होगा और इनकी नामजद शिकायत रेल प्रशासन को करनी होगी!
उत्तर रेलवे, फिरोजपुर मंडल के पठानकोट मुख्यालय में डीजल शेड के सहायक मंडल यांत्रिक अभियंता, चीफ लोको इंस्पेक्टर और एसएसई/जनरल का काम रेल को सुचारू रूप से चलाने का है। परंतु यह तीनों अपने काम पर ध्यान देने के बजाय यूनियन के भक्त बनकर केवल यूनियनबाजी करने में लगे हुए हैं।
इनकी मनमानी और धौंसबाजी से त्रस्त-उत्पीड़ित पठानकोट डीजल शेड के कुछ रेल कर्मचारियों ने इनकी कारगुजारियों की जानकारी “रेलव्हिस्पर्स” को लिखकर पर भेजी है –
उन्होंने लिखा है कि एसएसई/जनरल लगातार 12 साल से अधिक समय से पठानकोट में ही पदस्थ है, जबकि रेलवे की ट्रांसफर पॉलिसी के अनुसार इसका नियमित आवधिक स्थानांतरण अलग-अलग स्टेशन/सेक्शन पर होना चाहिए था।
उनका कहना है कि उपरोक्त तीनों लोग अपना निर्धारित काम छोड़कर यूनियन का चंदा इकट्ठा करने के कार्य में लगे रहते हैं। इसके लिए इनके द्वारा ऑनलाइन वेतन से चंदा कटौती का फार्म भरने के लिए कर्मचारियों पर भारी दबाव बनाया जाता है।
उन्होंने लिखा है कि यूनियन पदाधिकारियों के कहने पर जो कर्मचारी यूनियन के चंदे का फार्म नहीं भरता, उसको इन तीनों लोगों द्वारा किसी न किसी बहाने बुरी तरह प्रताड़ित किया जाता है।
उनका कहना है कि अभी हाल ही में एक बिल क्लर्क के पास रेलवे की तरफ से कोई लिखित आदेश नहीं होने पर उसने कर्मचारियों के वेतन से इनके कहे अनुसार चंदा कटौती नहीं की थी। इस पर इन तीनों लोगों ने संबंधित बिल क्लर्क को धमकाया तथा चंदा नहीं काटने पर उसका ट्रांसफर करा देने की धमकी भी दी है।
कर्मचारियों ने लिखा है कि यह बात समझ से परे है कि उपरोक्त तीनों लोगों को रेलवे से वेतन रेल का काम करने लिए मिलता है, या यूनियन का चंदा इकट्ठा करने के लिए?
उन्होंने लिखा है कि अभी दो दिन पहले पठानकोट में एक वेलफेयर इंस्पेक्टर पर यूनियन के सेक्रेटरी एवं प्रधान सहित कई अन्य लोगों द्वारा हमले का प्रयास किया गया। इसकी शिकायत संबंधित वेलफेयर इंस्पेक्टर द्वारा वरिष्ठ अधिकारियों और रेलवे पुलिस के पास भी की गई है।
उन्होंने लिखा है कि “चूंकि यूनियनों के सामने रेल प्रशासन पंगु हो गया है। यहां रेलकर्मियों की सुनने वाला कोई नहीं है। अतः “रेलव्हिस्पर्स” से ही अब एक उम्मीद बची है, जिसके माध्यम से हम अपनी आवाज रेलवे की हायर अथॉरिटीज तक पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं। उम्मीद है कि इसके माध्यम से रेल प्रशासन द्वारा रेलकर्मियों की समस्याओं की सुधि अवश्य ली जाएगी तथा व्यवस्था को ठीक करने का यथोचित प्रयास किया जाएगा।”
इसका एक ही समाधान हो सकता है। वह यह कि उपरोक्त वेलफेयर इंस्पेक्टर की ही तरह, यूनियन पदाधिकारियों की मनमानी, धौंसबाजी और उत्पीड़न से बचने के लिए रेलकर्मियों को ही निडर होकर सामने आना होगा और इनकी नामजद लिखित शिकायत रेल प्रशासन को करनी होगी। तभी वे यूनियन पदाधिकारियों के उत्पीड़न से बच सकते हैं और तभी रेल प्रशासन को भी उनके विरुद्ध यथोचित कार्रवाई करने का आधार मिलेगा, वरना वह यह कहकर हमेशा अपना पल्ला झाड़ता रहेगा कि उसके पास किसी कर्मचारी की ऐसी कोई शिकायत नहीं मिली है!
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