शुरू हुई मंत्री को गुमराह करने की तिकड़मबाजी

CCRB और MTRS की जोड़ी ने दिखाना शुरू कर दिया अपनी अकर्मण्यतापूर्ण काबिलियत!

विश्वसनीय सूत्रों के हवाले से खबर है कि चेयरमैन सीईओ रेलवे बोर्ड (सीसीआरबी) और मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक (एमटीआरएस) की अकर्मण्य जोड़ी ने आखिर नए रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव को भी अपने मकड़जाल में जकड़ना शुरू कर दिया है।

सूत्रों का कहना है कि प्रूव्ड और सक्सेसफुल डिजाइन वाले “वंदे भारत एक्सप्रेस” के निर्माण के पूर्व स्पेसिफिकेशन पर ही इसका उत्पादन शुरू किए जाने के मंत्री के सही आदेश के बाद उपरोक्त अकर्मण्य द्वय ने फिर उहापोह और अनिर्णय की स्थिति बना दी है।

परंतु इस मामले में जानकारों का कहना है कि “अकर्मण्य सीसीआरबी और सर्वथा अक्षम रहे एमटीआरएस का यह ख्याली पुलाव कभी पकेगा नहीं, कभी सफल नहीं हो पाएगा, मगर रेल को सही पटरी पर लाने का मंत्री का उद्देश्य अवश्य बेपटरी हो सकता है।”

उनका कहना है कि “यही रेल की नियति रही है, जैसा कि “रेल समाचार” ने बार-बार हर मंत्री को आगाह किया है कि रेलवे बोर्ड की नौकरशाही को मंत्रियों को चाही-अनचाही सुविधाएं मुहैया करवाकर और उन्हें सुविधाभोगी बनाकर गुमराह करने में महारत हासिल है, वही फिर से होता दिख रहा है। यह अत्यंत दुर्भाग्यपूर्ण है।”

उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि आखिर इस सब के पीछे सीसीआरबी और एमटीआरएस का निहित उद्देश्य क्या है? वे आखिर क्यों इस मामले में मंत्री को दिग्भ्रमित कर रहे हैं? क्या उनका भी “किसी अपने” को फेवर करने का कोई छुपा एजेंडा चल रहा है, जैसा कि उनके पूर्ववर्ती और उसके एजेंट्स का हुआ करता था?

उन्होंने कहा कि “नए मंत्री से इसी दांवपेंच को तोड़ने की आशा की जा रही है, क्योंकि उनका अपने पूर्ववर्ती जैसा कोई निहित उद्देश्य नहीं दिखाई दे रहा है। वह केवल रेल को सही दिशा में और सही पटरी पर दौड़ाना चाहते हैं। उम्मीद तो यही है कि वह रेलवे बोर्ड के इस मकड़जाल को तोड़कर आगे बढ़ने में सफल होंगे।”

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