पतन की पराकाष्ठा! ईश्वर सद्बुद्धि दे!!

सुना है चीन की नकल करने की सनक में यहां इस नेशनल रेल एंड ट्रांसपोर्टेशन इंस्टीट्यूट की शुरुआत हुई है।

चांसलर, वाइस चांसलर न जाने क्या क्या!

ऐसी दूकानें देश के हर कोने पर हैं, जो ऐसे पाठ्यक्रम चला रही हैं।

इन सब ने भारतीय रेल की गौरवशाली विरासत “रेलवे स्टाफ कॉलेज” और महाराजा बड़ौदा के दिए विशाल महल एवं प्रांगण को भी एक बाजारू स्कूल में बदल दिया है।

कुछ देश अपनी विरासत को आगे बढ़ाते हैं, तो कुछ उसका नाश करते हैं।

रेलवे ट्रैफिक सर्विस वाले लखनऊ चले गए। एकाउंट्स वाले हैदराबाद। बचा कुचा कॉलेज इस बर्बादी की तरफ बढ़ गया है!

आश्चर्य कि संघ लोक सेवा आयोग के आंगन में चुनौतियों से जूझने की बड़ी-बड़ी घोषणाएं करने वाले रेलवे के हजारों अधिकारियों में किसी को सच कहने का साहस नहीं बचा!

पतन की पराकाष्ठा! ईश्वर सद्बुद्धि दे!!

प्रेमपाल शर्मा, दिल्ली। 6 जुलाई 2021

उपरोक्त विषय पर बहुत जल्दी एक सीरीज शुरू की जाएगी – “पतन की पराकाष्ठा”