डीईई/ऑपरेशन मुंबई मंडल मध्य रेल की कुटिलता का तत्काल संज्ञान लिया जाए
डीईई को वहां के लिए तत्काल प्रभाव से रिलीव किया जाना चाहिए जहां के लिए लगभग साढ़े तीन महीने पहले उनका ट्रांसफर आर्डर हुआ था
मुंबई उपनगरीय रेल नेटवर्क पर जहां सीमित संख्या में लोकल ट्रेनों का संचालन किया जा रहा है, जहां कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप से लगभग हर रेलकर्मी प्रभावित हो रहा है और जहां सैकड़ों रेलकर्मी अकाल काल कवलित हो चुके हैं, वहां डीईई/ऑपरेशन जैसे कुछ सैडिस्टिक टाइप के अधिकारी मोटरमैनों एवं अन्य रनिंग स्टाफ का इस या उस कारण अथवा बहाने से उत्पीड़न करने से बाज नहीं आ रहे हैं।
बताते हैं कि डीईई/ऑपरेशन, मुंबई मंडल, मध्य रेलवे, जिसकी तिकड़मी कार्यशैली से कुछेक को छोड़कर लगभग सभी मोटरमैन और सारे एलआई/सीएलआई परेशान हैं, द्वारा शनिवार, 8 मई को कुछ लोको इंस्पेक्टरों को दवाब में लेकर उनके नामिनेटेड 4-4 मोटरमैनों को परिवार सहित वेब मीटिंग के लिए विवश किया गया।
मीटिंग में सीनियर डीईई/ऑपरेशन एवं एईई/ऑपरेशन और उनके लोको इंस्पेक्टर्स की उपस्थिति में उन मोटरमैनों के परिवारिक सदस्यों को डीईई/ऑपरेशन द्वारा मोटरमैन की कठिन ड्यूटी के बारे में जानकारी दी गई। उनकी पत्नियों और बच्चों को उनका सहयोग करने के लिए कहा गया।
मोटरमैनों का कहना है कि सीधे शब्दों कहा जाए तो हमें परोक्ष रूप से धमकाया गया। उनका कहना था कि इन ऑफिसरों की बीवियां तो किटी पार्टी करती रहें, क्योंकि रेलवे इनको दहेज में मिली है और मोटरमैन को चूंकि रेलवे ने नौकरी पर रखा है, इसीलिए उसका सारा परिवार भी रेलवे की तीमारदारी में लगा रहे।
पता चला है कि उक्त वेब मीटिंग में जब एक मोटरमैन की पत्नी ने कहा कि “हमारे पति प्रतिदिन ड्यूटी जाते हैं, उनसे अधिक ड्यूटी कराई जाती है, प्रॉपर रेस्ट भी नहीं दिया जाता, तो घर पर मैं और मेरे बच्चे बहुत भयभीत रहते हैं, क्योंकि हमारी जानकारी में हमारे अनेकों परिचित मोटरमैन तथा लोको पायलट, सहायक लोको पायलट आदि की कोविड के कारण जान जा चुकी है। इसका कोई उचित हल ढूंढ़ा जाए।”
इस पर उक्त महिला को वेब मीटिंग में बैठे तीनों अधिकारियों में से किसी को उसका कोई यथोचित जवाब देते नहीं बना।
अब जहां कोविड महामारी में भी काम करने और अपनी ड्यूटी पर तत्पर रहने वाले कर्मचारियों के प्रति सहानुभूति रखने और संवेदनशीलता जताने का समय है, वहां सीनियर डीईई/ऑपरेशन और डीईई/ऑपरेशन ने अपने स्टाफ की जान आफत में डालने के साथ-साथ अब उनके परिवारों को भी धमकाना चालू कर दिया है।
हालांकि कुछ वरिष्ठ मोटरमैनों एवं सीएलआई ने कहा कि इस तरह की काउंसलिंग करने में कोई हर्ज नहीं है, परंतु इसके लिए यह उचित समय नहीं था।
इसके अलावा मोटरमैनों या रनिंग स्टाफ के कार्य का जो सरलीकरण, निर्धारित व्यवस्था रेल प्रशासन अथवा संबंधित अधिकारियों को करनी चाहिए, उसकी जिम्मेदारी उनके परिवार पर डालना और परिवार को भी उनके काम में शामिल करना, यह कौन सी नियमावली में आता है? परिवार के साथ बात करने का अधिकार डीईई/ओ जैसे निकम्मे, नालायक और निहित स्वार्थ में काम करने वाले अधिकारियों को किसने दिया? रेल प्रशासन को यह स्पष्ट करना चाहिए।
सूत्रों का कहना है कि इस कथित वेब मीटिंग के लिए पिछले दो-तीन सालों में जिन मोटरमैनों ने स्पेड जैसी गलतियां की थीं, उन्हें दबाव में लेकर या ज्यादा दंड देने की बात कहकर अक्षरशः ब्लैकमेल करके इस निरर्थक मीटिंग का करिश्मा किया गया। वस्तुत: यदि देखा जाए तो इसका कोई सकारात्मक परिणाम भी नहीं प्राप्त हुआ। फिर इस कथित मीटिंग का औचित्य क्या था?
रेल प्रशासन द्वारा खासतौर पर डीईई/ओ की इस बर्बरता अथवा कुटिलता पर न सिर्फ तत्काल संज्ञान लिया जाना चाहिए, बल्कि उन्हें वहां के लिए तत्काल प्रभाव से रिलीव किया जाना चाहिए जहां के लिए लगभग साढ़े तीन महीने पहले उनका ट्रांसफर आर्डर हुआ था। क्रमशः