कोरोना: अंधेरे में एक रोशनी – राजेंद्र भरुड़, कलेक्टर नंदुरबार, महाराष्ट्र

इस वैश्विक महामारी के दौर में हजारों मौतों और अव्यवस्था के बीच हम सबने महाराष्ट्र के पिछड़े और आदिवासी जिले नंदुरबार में तैनात कलेक्टर राजेंद्र भरुड़ का नाम शायद सुन लिया होगा!

उनकी सफलता के पीछे मुख्य कारण हैं –

1. वे खुद आदिवासी क्षेत्र से आते हैं। वहीं पले-बढ़े हैं। इसलिए उन्हें गरीब, पिछड़े क्षेत्र के समाज की बेहतर समझ है।

2. एमबीबीएस डॉक्टर हैं। इस पृष्ठभूमि ने उन्हें तुरंत उन सभी सुविधाओं को जुटाने-बढ़ाने की समझ दी, जिसकी कोरोना की रोकथाम में जरूरत थी।

3. दक्षिण भारतीय राज्यों की तरह महाराष्ट्र में भी सिविल सर्वेंट बेहतर क्षमता और आजादी के साथ बिना राजनीतिक हस्तक्षेप के काम कर सकते हैं, गंगा घाटी की चापलूसी भरी राजनीति से अलग।

4. और अंतिम बात यह कि आईएएस उर्फ हाकिम बनने के अहंकार, ठसक, सुविधाओं, अंग्रेजियत.. से वह अभी दूर हैं।

ऐसी हर सफलता से पूरा देश सबक सीख सकता है! सत्ता भी और शासन-प्रशासन भी! यूपीएससी भी – जो अंग्रेजी और अमीरों के पक्ष में हमेशा झुका नजर आता है।

#प्रेमपाल_शर्मा की फेसबुक वॉल से, 9 मई, 2021

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