“न खाऊंगा, न खाने दूंगा” जुमले की आड़ में चरम पर पहुंचा भ्रष्टाचार

भ्रष्टाचार की कमाई से खुद को बेदाग साबित करने की तकनीक ईजाद करके नौकरशाही कर रही है मौज!

चार दिन पहले 7 अप्रैल को लखनऊ में पदस्थ उत्तर रेलवे निर्माण संगठन के डिप्टी सीई/सी पुनीत कुमार के आवास से करीब ढ़ाई करोड़ नकदी की चोरी का मामला लखनऊ पुलिस ने उजागर किया और पकड़े गए चार आरोपियों से 70 लाख की नकदी भी बरामद की। अब जोधपुर में तैनात रेलवे के ही एक उपक्रम आरवीएनएल में ग्रुप जनरल मैनेजर के पद पर पदस्थ अमित जैन की लगभग साढ़े नौ करोड़ की अकूत कमाई को जोधपुर सीबीआई ब्रांच ने उजागर किया है।

अफसर दम्पति पर सीबीआई की छापेमारी: पति आरवीएनएल में जीजीएम, पत्नी आयकर आयुक्त; आठ साल में दोनों की कुल कमाई ₹3.72 करोड़, भ्रष्टाचार के जरिए बनाई ₹9.25 करोड़ की संपत्ति

उदयपुर में कार्यरत आयकर विभाग की आयकर आयुक्त (अपील) आईआरएस अल्का राजवंशी जैन और जोधपुर में रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) में ग्रुप जनरल मैनेजर उनके पति अमित जैन की अकूत काली कमाई उजागर हुई है। यह खबर विभिन्न मीडिया वेबसाइटों सहित सोशल मीडिया पर भी बहुत वायरल हो रही है।

अल्का राजवंशी जैन और उनके पति अमित जैन, उदयपुर, जयपुर और जोधपुर में एक साथ सीबीआई का छापा, लंबे अर्से से सीबीआई के रडार पर थे पति-पत्नी

प्राप्त जानकारी के अनुसार अप्रैल 2010 से जून 2018 के बीच अल्का राजवंशी जैन और अमित जैन दोनों को आय ₹3.72 करोड़ की थी, लेकिन इस अवधि में उन्होंने कुल 9.25 करोड़ रुपये की संपत्ति जुटाई। दोनों की संयुक्त आय की तुलना में 148.53% निवेश/खर्च कर दंपती सीबीआई के रडार पर आ गए।

जोधपुर सीबीआई (एसीबी) ने दोनों के खिलाफ आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया है। शुक्रवार, 9 अप्रैल को उनके जोधपुर, जयपुर और उदयपुर के ठिकानों पर सीबीआई द्वारा छापे भी मारे गए हैं।

सीबीआई की जांच शनिवार, 10 अप्रैल तड़के 3 बजे तक चली। जांच में करीब ₹7.96 करोड़ की अचल संपत्ति से जुड़े दस्तावेज, बैंक खातों एवं एफडी में करीब ₹70.4 लाख रुपये जमा होने के साथ ₹13.20 लाख की नकदी, ज्वैलरी मिली।

इसके अलावा भी उपरोक्त तीनों शहरों की कई बैंकों में लॉकर्स के कागज भी मिले हैं। आयकर आयुक्त अल्का राजवंशी जैन पूर्व में जोधपुर में भी सीआईटी (अपील) के पद पर रह चुकी हैं।

इसी दौरान उन्होंने जोधपुर की सबसे महंगी कॉलोनी उमेद हैरिटेज में एक आलीशान बंगला भी खरीदा था। सीबीआई की टीम देर रात तक इस बंगले पर छानबीन में जुटी रही।

इस मामले में सीबीआई ने जैन दम्पति के बेटे चार्टर्ड अकाउंटेंट (सीए) विकास राजवंशी को भी आरोपी बनाया है।

सीबीआई की रिपोर्ट के अनुसार, सीआईटी अल्का राजवंशी और उनके पति अमित जैन के खिलाफ प्रारंभिक शिकायत में ₹35.14 लाख कीमत की जयपुर के वैशाली नगर में प्लॉट और बनीपार्क में फ्लैट की जानकारी भी दी गई थी।

इसके बाद सीबीआई ने गोपनीय तरीके से छानबीन शुरू की, तो जोधपुर, जयपुर और उदयपुर जिले में जैन दम्पति की बेहिसाब संपत्ति होने के साक्ष्य सामने आते चले गए।

जयपुर के वैशाली नगर में विशाल बहुमंजिला इमारत है। जून 2002 में यह भूखंड ₹10,14,450 में अल्का राजवंशी के नाम पर खरीदने के बाद अप्रैल 2013 से मार्च 2015 के बीच इस पर ₹3.75 करोड़ से ज्यादा का निर्माण कार्य कराया गया।

जोधपुर के उमेद हैरिटेज में ₹1.8 करोड़ का भूखंड और इस पर ₹1.61 करोड़ का निर्माण कार्य करना पाया गया।

जयपुर सी-स्कीम के पर्ल ऐज में ₹39.19 लाख का फ्लैट, अजमेर रोड श्याम नगर वृंदावन मार्ग में अल्का राजवंशी एवं प्रभा जैन के नाम पर ₹79.21 लाख का मकान होने की भी जानकारी सामने आई।

जयपुर में बनीपार्क के कमल अपार्टमेंट में अमित जैन के नाम पर ₹25 लाख का फ्लैट मिला। यानि जैन दम्पति ने कुल ₹7.96 करोड़ से अधिक का प्रॉपर्टी में निवेश किया हुआ था।

अल्का राजवंशी के जोधपुर में एसबीआई के खाते में ₹18.29 लाख, हैदराबाद एसबीआई खाते में ₹26 हजार, पीपीएफ अकाउंट में ₹1.31 लाख, जयपुर कोटक महिंद्रा बैंक में ₹18.56 लाख, अमित जैन के नाम ₹11 लाख की कार, जोधपुर पंजाब नेशनल बैंक के खाते में ₹1.62 लाख , पीएनबी एफडी खाते में ₹14 हजार और ₹95 हजार, पीएनबी के ही एक अन्य खाते में ₹15.35 लाख, पीएनबी के आरडी खाते में ₹20 हजार, एसबीआई खाते में ₹4 हजार, एक्सिस बैंक में ₹28 हजार, हैदराबाद एक्सिस बैंक के खाते में ₹1.88 लाख, जोधपुर एक्सिस बैंक में एक-एक लाख की दो एफडीआर, जयपुर कोटक महिंद्रा बैंक में ₹12.09 लाख जमा होना सामने आया। यानि दोनों ने ₹83.99 लाख तो यहीं जमा किए हुए थे।

आयकर अपील में राहत देना पत्नी के हाथ में था, तो रेलवे के ठेकों में पति की अहम भूमिका रही।

सीबीआई सूत्रों के अनुसार आयकर से जुड़े मामलों में बकाया टैक्स के विवाद की स्थिति में जब कोई कारोबारी अपील करता है, तो उस पर सुनवाई का अधिकार (फैसलेस असेसमेंट शुरू होने से पहले तक) आयुक्त/अपील के पास होता है। यानि उस मामले में अपील करने वाले कारोबारी को राहत देनी है, या नहीं, उस पर फैसला करने की जिम्मेदारी अल्का राजवंशी पर रहती है।

इसी तरह, उनके पति अमित जैन रेलवे के उपक्रम रेल विकास निगम लिमिटेड, जोधपुर में ग्रुप जनरल मैनेजर (जीजीएम) हैं। रेलवे की इस कंपनी के जरिए करोड़ों के ठेके, रेल लाइन की डबलिंग पर सिग्नलिंग के काम की मॉनिटरिंग की जिम्मेदारी रहती है।

सीबीआई की प्रारंभिक जांच में यही सामने आया कि इन दोनों ने ही अपने पद एवं अधिकार का दुरुपयोग करके करोड़ों की संपत्ति अर्जित की और उसी से करोड़ों का निवेश प्रॉपर्टी तथा बैंकों में किया था।

सरकारी क्षेत्र, खासतौर पर रेलवे में भ्रष्टाचार चरम पर है। “न खाऊंगा, न खाने दूंगा” का प्रधानमंत्री का जुमला यहां ठीक वैसे ही अप्रभावी है, जैसे अन्य क्षेत्रों में साबित हुआ है। अतः भ्रष्टाचार खत्म करने की बात न सिर्फ बेमानी है, बल्कि यह किसी भी राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के एजेंडे पर भी नहीं है।

भ्रष्टाचार के मामले में राजनीतिक दलों द्वारा केवल खोखली बयानबाजी की जाती रही है। इसके अलावा सभी केंद्रीय और राज्य स्तरीय जांच एजेंसियों का राजनीतिक दलों और नेताओं की लौंड़ी बन जाना तथा उनके इशारों पर काम करना भी भ्रष्टाचार में वृद्धि का एक प्रमुख कारण है।

इसका एक और बड़ा कारण यह है कि आज तक भ्रष्टाचार के मामलों में पकड़े गए किसी छोटे या बड़े अधिकारी को जेल न भेजा जाना तथा उन्हें तुरंत नौकरी से बर्खास्त नहीं किया जाना भी है।

विभागीय जोड़-तोड़ और भ्रष्टाचार की कमाई से खुद को किसी बड़ी कार्रवाई से बचा लेने की तकनीक इन भ्रष्टाचारियों ने बखूबी ईजाद कर ली है, जो बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव नहीं है।

सरकार यदि सरकारी क्षेत्र में भ्रष्टाचार कम करना चाहती है, खत्म करना चूंकि सरकार के प्राथमिक एजेंडे पर नहीं है, तो सालाना आय-व्यय (प्रापर्टी रिटर्न) के ढ़कोसले को दरकिनार कर पर्यवेक्षक/निरीक्षक स्तर से शीर्ष स्तर तक उनकी कमाई की जमीनी/वास्तविक/प्रत्यक्ष जांच सुनिश्चित की जाए।

प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी