रेल अस्पतालों की इनडोर रोगी भर्ती सुविधा बंद करने और केवल पॉली-क्लीनिक बनाने की मल्होत्रा कमेटी की अनुशंसाओं का विरोध
संदर्भ: रेल मंत्रालय भारत सरकार द्वारा जारी पत्र क्रमांक 2021/हेल्थ/I-1/मल्होत्रा कमेटी दि. 19-03-2021.
एसोसिएशन ऑफ रेलवे नर्सेस ऑफ इंडिया (#ARNI) भारतीय रेल की सभी रेलवे नर्सेस का प्रतिनिधित्व करने वाली एक रजिस्टर्ड एसोसिएशन है। एसोसिएशन ने रेलवे बोर्ड को एक पत्र भेजकर डिवीजनल/सब-डिवीजनल रेल अस्पतालों की इनडोर रोगी भर्ती सुविधा बंद कर केवल पॉली-क्लीनिक बनाने की मल्होत्रा कमेटी की अनुशंसाओं का कड़ा विरोध किया है।
एसोसिएशन ने लिखा है कि एक तरफ इस कोरोना काल में विश्व की सभी सरकारे, स्वास्थ्य सुविधाओं को उन्नत बनाने की ओर कदम उठा रही हैं, भारत सरकार ने भी हाल में अपने बजट में वैक्सीन निर्माण और हेल्थ सर्विसेज को मजबूत करने में फंड का अलग से इंतजाम किया है। पूरे कोरोना काल में रेल मंत्रालय ने अपनी सूझबूझ और रेल स्वास्थ्य सेवा से मानव सेवा का एक अच्छा उदहारण प्रस्तुत किया था।
लेकिन दूसरी तरफ हाल ही में रेलवे बोर्ड ने मल्होत्रा समिति द्वारा की गई सिफारिशों को मानते हुए रेल प्रशासन द्वारा डिवीजनल एवं सब-डिवीजनल रेल अस्पतालों की इनडोर रोगी भर्ती सुविधा को बंद कर मात्र पॉली-क्लीनिक बनाने का तुगलकी फरमान जारी कर दिया है। यह उचित नहीं है।
एसोसिएशन ने लिखा है कि पहले की भांति इस मुद्दे पर रेल प्रशासन का ध्यान आकर्षित करते हुए रेलवे हेल्थ सर्विसेस को मजबूत करने के लिए 10 महत्वपूर्ण बिंदुओं पर गौर करने का आग्रह करती है, जो कि निम्नानुसार हैं –
- स्वास्थ्य सेवाएं लोक कल्याण का विषय हैं, जिसमें लाभ-हानि से परे मात्र जनकल्याण की भावना निहित है। विश्व स्वास्थ्य संघठन (#WHO) भी सभी के लिए आसानी से उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की वकालत करता है। ऐसे समय में रेल मंत्रालय तथा रेलवे बोर्ड द्वारा डिवीजनल एवं सब-डिवीजनल रेल अस्पतालों की इनडोर रोगी भर्ती सुविधा बंद कर पॉली-क्लीनिक बनाना, जन कल्याण की भावना के विरुद्ध है और यह रेल कर्मचारियों के बेसिक हेल्थ राइट्स को भी प्रभावित करेगा।
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यह तो सर्वविदित है कि कोरोना विश्व महामारी के शुरूआती दिनों में निजी चिकित्सा सेवा प्रदाताओं का रवैया गैर जिम्मेदार था। उन कठिन परिस्थितियों में सरकारी स्वास्थ्य कर्मियों द्वारा ही उचित तथा जरूरी स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान की गई थीं। इसमें रेलवे हेल्थ सर्विसेस ने भी अपनी अहम् भूमिका निभाई थी। ऐसे में एसोसिएशन का मानना है कि रेलवे हेल्थ सर्विसेस को और ज्यादा मजबूत बनाकर देश और रेलवे के विकास में योगदान देकर रेलवे को गौरवांवित करना चाहिए।
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कोरोना विश्व महामारी से लड़ाई के दौरान पूरा विश्व अपनी मूलभूत तथा ढ़ांचागत स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत कर रहा है। इसी कड़ी में भारत सरकार द्वारा वित्तवर्ष 2021-2022 के केंद्रीय बजट में स्वास्थ्य सेवाओ को प्राथमिकता पर रखा गया है। ऐसी विकट परिस्थितियों में रेल मंत्रालय तथा रेलवे बोर्ड द्वारा रेलवे के विभिन्न जोनल/डिवीजनल मुख्यालयों से सुदूर क्षेत्रो में स्थित डिवीजनल एवं सब-डिवीजनल रेलवे अस्पतालों की इनडोर रोगी भर्ती सुविधा बंद कर केवल पॉली-क्लीनिक बना देना न्यायोचित नहीं है।
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भारत में कोरोना विश्व महामारी के दौर में लगभग सभी सरकारी तथा निजी अस्पतालों का बेड ऑक्यूपेंसी रेश्यो (#BOR) बहुत कम था। ऐसे समय में सिर्फ बीओआर को आधार बनाकर सुदूर (पेरी-फेरी) क्षेत्रो में स्थित डिवीजनल एवं सब-डिवीजनल रेलवे अस्पतालों की इनडोर रोगी भर्ती सुविधा बंद कर मात्र पॉली-क्लीनिक बना देना बिलकुल असंगत और तर्कहीन है।
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रेलवे कर्मचारी की उत्पादकता उसके स्वास्थ्य पर निर्भर करती है। कोरोना विश्व महामारी से जारी संगर्ष में रेलवे द्वारा जो महत्वपूर्ण जीवन आवश्यक जिम्मेदारियां उठाई गई थीं, उनमें सभी रेल कर्मचारियों का योगदान निहित है। उस विकट समय में भी रेल कर्मचारी तथा उनके परिवारों को जरूरी चिकित्सा सुविधा सम्बद्ध रेलवे अस्पतालों द्वारा ही प्रदान की गई थी। इन चिकित्सा उपक्रमों को बंद करना भविष्य में भी रेलवे को प्रत्यक्ष तथा अप्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करेगा।
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कोरोना विश्व महामारी के दौरान रेलवे चिकित्सा संस्थानों द्वारा राज्य तथा केंद्रीय सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं से सामंजस्य बैठाकर स्वास्थ्य सुविधाएं प्रदान की गई थीं, #ESIC, #CGHS अन्य केंद्रीय तथा राज्य सरकारी स्वास्थ सेवाओं से सामंजस्य करके उक्त डिवीजनल एवं सब-डिवीजनल रेलवे अस्पतालों को चलाया जा सकता है। मात्र बंद कर पॉली-क्लीनिक बना देना एकमात्र विकल्प नहीं होना चाहिए।
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मल्होत्रा कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार लगभग सभी डिवीजनल एवं सब-डिवीजनल रेलवे अस्पतालों में विशेषज्ञ चिकित्सकों के पद खाली पड़े हैं। मात्र #MBBS चिकित्सकों के भरोसे बीओआर प्रतिशत बढ़ाना बिल्कुल सही नहीं है।
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रेलवे स्वास्थ्य सेवा प्रणाली सवयंभू तथा जांची-परखी व्यवस्था है। सिस्टम की अनदेखी और प्राइवेट रेफरल सिस्टम की वजह से यह आज नाराजगी की सबब बन चुकी है। कई डिवीजनल एवं सब-डिवीजनल रेलवे अस्पतालों में बिस्तर संख्या मात्र 10 से 20 के बीच है, जबकि स्वास्थ्य मंत्रालय की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के अधीन समकक्ष सीएचसी अस्पतालों में बिस्तर संख्या 50 होती है तथा विशेषज्ञ चिकित्सक जैसे फिजीशियन, शल्य चिकित्सक, शिशु रोग विशेषज्ञ, स्त्री रोग विशेषज्ञ आदि उपस्थित रहते हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय की स्वास्थ्य सेवा प्रणाली के अनुसार रेलवे को अपनी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली में सुधार करना चाहिए।
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रेल प्रशासन को उत्तम स्वस्थ्य सुविधाओं को विकसित करने के लिए अपनी हेल्थ सर्विसेस को आधुनिक मेडिकल टेक्नोलॉजी, स्वास्थ्य विशेषज्ञों की नियुक्ति तथा आधारभूत सुविधा को मजबूत करते हुए एक स्ट्रांग रेफरल सिस्टम बनाना चाहिए, जिसमें डिस्पेंसरी से मरीज को रेलवे के सेंट्रल हॉस्पिटल में रेफर करने की चेन बन सके। रेल प्रशासन अपनी सामाजिक जिम्मेदारी से विमुख हो रहा है तथा ऐसे अस्पतालों को बंद करके और प्राइवेट हॉस्पिटल्स में रेफरल को बढ़ावा देकर करप्शन को बढ़ाने का काम कर रहा है, जो कि रेल कर्मचारियों, उनके आश्रितों तथा पेंशनरों के लिए एक बड़ी असुविधा का कारक बनेगा।
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जिस प्रकार से श्रम मंत्रालय भारत सरकार द्वारा विगत वर्षो में ESIC अस्पतालों को विकसित कर बड़े चिकित्सा संस्थान तथा मेडिकल कॉलेज तक बनाए गए हैं। ठीक उसी प्रकार रेल मंत्रालय को भी अपने वर्तमान चिकित्सा उपक्रमों को विकसित करना चाहिए एवं सेंट्रल हॉस्पिटल के साथ अटैच्ड मेडिकल कॉलेज एंड अलाइड हेल्थ सर्विसेस डेवलप करनी चाहिए, जो रेलवे हॉस्पिटल्स को मैनपावर भी देगा और रेल कर्मचारियों को बेहतर सुविधा भी प्रदान करेगा।
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सब डिवीजनल रेलवे अस्पतालों में बाह्य विभाग के बाद के समय में भी जरूरी आपातकालीन चिकित्सा सुविधा मिलती है। अतएव एक सामान्य प्रश्न ये भी उठता है कि वृद्ध तथा लाचार रेलवे पेंशनर एवं रेल कर्मचारी की रात्रि ड्यूटी के दौरान उसके परिवार के सदस्य, आपातकाल में चिकित्सा जरूरत पड़ने पर प्राइवेट (इम्पैनल्ड) अस्पतालों में कैसे जा पाएंगे. जबकि अधिकतर सब-डिवीजनल रेलवे अस्पताल, रेलवे कॉलोनियों के समीप ही स्थित हैं।
अतः एसोसिएशन ऑफ रेलवे नर्सेज ऑफ इंडिया ने रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) से अनुरोध किया है कि रेलवे चिकित्सा उपक्रमों को उन्नत तथा विकसित बनाकर रेल सेवा में समर्पित करना चाहिए, ताकि देश के स्वास्थ्य विकास में रेलवे का एक सुदृढ़ योगदान दिया सके। उत्तम स्वास्थ्य में ही विकसित देश का सपना साकार हो सकेगा और रेलवे भी देश की लाइफ लाइन होने का अपना कर्तव्य निभा पाएगी।
एसोसिएशन ने आशा व्यक्त की है कि रेल प्रशासन उसके द्वारा दिए गए उपरोक्त सुझावों को अमल में लाने का प्रयास करेगा और रेल कर्मचारियों के हितों को मद्देनजर रखते हुए मल्होत्रा समिति के सुझाव खारिज कर यथास्थिति बनाए रखकर रेलवे हेल्थ सर्विसेस को मजबूत करने का प्रयास किया जाएगा।