हावड़ा पार्सल/गुड्स में बीसों साल से जमे हुए हैं कुछ खास रेलकर्मी!
मंडल के प्रत्येक वाणिज्य अधिकारी को प्रतिमाह होती है 50 हजार से 5 लाख की अवैध कमाई?
सीवीसी/विजिलेंस के सभी डायरेक्टिव ताक पर, भ्रष्ट स्टाफ को प्राप्त है अधिकारियों का संरक्षण
कोलकाता: हावड़ा पार्सल, दांकुनी गुड्स, पाकुर गुड्स, बर्दवान पार्सल, भद्रेश्वर गुड्स, श्रीरामपुर पार्सल, बाली गुड्स, त्रिवेणी गुड्स। पूर्व रेलवे, हावड़ा मंडल के इन सभी महत्वपूर्ण पार्सल/गुड्स डिपो में करीब 20-25 सालों से लगातार कुछ विशेष कर्मियों की पोस्टिंग है, जो कुछ संबंधित वाणिज्य अधिकारियों की जरूरतों और हितों का पूरा ख्याल रखने की महारत रखते हैं।
इनमें से कुछ नाम और उनकी खास विशेषताएं इस प्रकार हैं-
1. सुभाष चौधरी, ईआर मेंस कांग्रेस से संबंधित हैं। हावड़ा टिकट बुकिंग में बीएस1 हैं। पार्सल में 25 साल रहे हैं। वहां भी सिर्फ साइन किए, काम कभी नहीं किया, आज भी नहीं कर रहे हैं। सिर्फ पैसा उगाही करना ही इनका प्रमुख काम है।
2. संजीव गुप्ता, अभी सीएस1/हावड़ा पार्सल में पदस्थ हैं, पहले बीएस1 रहे हैं। यह भी ईआर मेंस यूनियन से संबंधित हैं। यह काउंटर पर कभी काम नहीं करते, यह पैसा नहीं लेते हैं, मगर ‘इजी वर्किंग’ को ही प्रीफर करते हैं।
3. सुमन बोस, पार्सल शेड नं.3 में पदस्थ हैं, सीपीसी यानि चीफ पार्सल क्लर्क हैं। 18 साल से एक ही सीट पर काम कर रहे हैं। पहले माल बुकिंग में थे और अब डिस्पैचिंग में हैं। डिस्पैच में कभी विजिलेंस केस होने का डर नहीं रहता है। इसलिए यह हमेशा सेफ साइड पोस्टिंग में रहने वाले खास प्राणी हैं। हावड़ा पार्सल का यह सबसे मलाईदार शेड है। यह मोस्ट सेंसिटिव पोस्ट है। फिर भी यह यहां पिछले 18 सालों से जमे हुए हैं।
4. अजय कुमार, सीएस1 हैं, नौकरी में आने से लेकर अब तक पार्सल में ही पदस्थ हैं। कर्मचारियों द्वारा इन्हें हावड़ा मंडल सहित संपूर्ण पूर्व रेलवे पार्सल का ‘माफिया’ बताया गया है। यह विभागीय प्रमुख को साधकर पूरे जोनल पार्सल को कंट्रोल करते हैं। कर्मचारियों ने बताया कि यह इतने पावरफुल हैं कि इन्होंने पदोन्नति से पहले वर्तमान सीसीएम/पीएम की पोस्टिंग सीनियर डीसीएम, हावड़ा के पद पर करवाई थी, जिनकी कमजोरी पैसा और शबाब दोनों रही हैं। इसी संदर्भ में उनकी पत्नी की शिकायत पर उन्हें हावड़ा से हटाया गया था।
बताते हैं कि इनके पहले वाले सीनियर डीसीएम, जो आज पूर्व तट रेलवे में डीआरएम हैं, की पोस्टिंग भी अजय कुमार ने ही करवाई थी। अजय कुमार को हावड़ा पार्सल से कुछ समय के लिए तब हटाया गया, जब उनके खिलाफ एक बड़ा विजिलेंस केस हुआ था। इनकी कैश हैंडलिंग करीब 10 साल से आजतक बंद है। आज भी इनकी पोस्टिंग पार्सल एकाउंट में है, मगर हावड़ा पार्सल शेड नं.3 में इंचार्ज के तौर पर काम कर रहे हैं। वहां इनसे सभी स्टाफ इसलिए डरता है, क्योंकि यही सब कुछ तय करते हैं कि किसको कितना पैसा पहुंचाना है। यह पीएस/पीसीसीएम अजय राय, जो पहले बुकिंग/आरक्षण क्लर्क थे और बाद में एसीएम में पदोन्नत होकर अधिकारी बन गए, के लंगोटिया यार (बैचमेट) हैं।
5. जॉय बल्लभ, भी यहां काफी समय से पदस्थ हैं, सीपीसी हैं। एक विजिलेंस केस होने के बाद इनका ट्रांसफर हावड़ा बुकिंग से तारकेश्वर बुकिंग में हुआ था। फिर वापस वहां से जुगाड़ लगाकर जल्दी ही हावड़ा पार्सल में आ गए। दुबारा जब विजिलेंस केस हुआ, तब इनको हावड़ा बुकिंग में भेजा गया था, मगर आज तक यह न वहां गए और न ही संबंधित अधिकारियों ने इनके ट्रांसफर आर्डर पर अमल करवाने की जरूरत समझी। जबकि अन्य लोगों का आर्डर उसी दिन या 2-3 दिन में लागू करवाया जाता है। तथापि जॉय बल्लभ महोदय का आर्डर आज तक नहीं लागू हुआ।
बताते हैं कि हावड़ा पार्सल से एसीएम/कोचिंग, एसीएम/गुड्स, डीसीएम और सीनियर डीसीएम आदि सबका न सिर्फ खास ख्याल रखा जाता है, बल्कि सबका हिस्सा भी उनके ओहदे के अनुसार समय पर पहुंचाया जाता है।
कर्मचारियों का कहना है कि सिर्फ हावड़ा पार्सल से डीसीएम को कुछ नहीं मिलता। बाकी सब जगह से मिलता है। कर्मचारियों के अनुसार एसीएम/कोचिंग और एसीएम/गुड्स में से प्रत्येक को हावड़ा पार्सल से प्रतिमाह 40-50 रुपये मिल जाते हैं, जबकि हावड़ा पार्सल को छोड़कर बाकी सभी जगह से डीसीएम को कुल मिलाकर एक लाख की आमदनी प्रतिमाह हो जाती है।
वहीं सीनियर डीसीएम को सब जगह से कुल मिलाकर प्रतिमाह लगभग पांच लाख रुपये मिलते हैं। इस समस्त जानकारी को अधिकारिक तौर पर वेरीफाई करने का कोई माकूल जरिया मीडिया के पास नहीं हो सकता है। अतः इसका पता सीबीआई और विजिलेंस को सभी संबंधितों की व्यक्तिगत चल-अचल संपत्तियों की जांच करके लगाया जाना चाहिए।
कानाफूसी.कॉम के पास अधिकारियों को पहुंचाई जाने वाली राशि के अलावा उपरोक्त से संबंधित सभी पर्याप्त और आवश्यक दस्तावेजी सबूत मौजूद हैं। हावड़ा मंडल के उपरोक्त पांचों महान पार्सल कर्मियों के खौफ से आतंकित और उत्पीड़ित कुछ रेलकर्मियों का यह भी कहना था कि यदि कोई उच्च वाणिज्य अधिकारी किसी आपातकालीन स्थिति में इनसे कभी यह फरमाइश कर दे कि एक घंटे में 50 लाख रुपये की जरूरत है, तो यह लोग उससे पहले ही यह रकम उस तक पहुंचा देने की पूरी क्षमता रखते हैं। यही नहीं, इन्होंने इसी की बदौलत करोड़ों की संपत्ति अर्जित की है। उनका कहना है कि यदि इनकी अर्जित संपत्तियों की सीबीआई जांच करवाई जाए, तो सबकी कलई खुलकर सामने आ जाएगी। क्रमशः