कौन बनेगा सीआरबी! बढ़ती जा रही है दावेदारों की सूची!!

कोई पियक्कड़ और सप्लायर भी बन सकता है सीआरबी!

भारतीय रेल में लायक और काबिल अफसरों का पड़ रहा है अकाल!!

“कौन बनेगा सीआरबी”, की सूची में कुछ और दावेदारों के नाम शामिल हो रहे हैं। भारतीय रेल में काबिल और योग्य अधिकारियों का इतना अकाल पड़ता नजर आ रहा है कि अब नालायकों और नाकाबिलों में से ‘कम नालायक’ और ‘कम नाकाबिल’ ढ़ूंढ़ना पड़ रहा है। उस पर भी तुर्रा यह कि अब दारूबाज और पियक्कड़ भी इसके लिए अपनी दावेदारी पेश करने लगे हैं, यानि लॉबिंग करने में जुट गए हैं।

इसमें अब नया नाम सामने आया है, वह मेंबर ट्रैफिक, रेलवे बोर्ड पी. एस. मिश्रा का है। श्री मिश्रा का कार्यकाल कुल मिलाकर 18 महीने (DOB 02.041961) बाकी है। हालांकि जीएम में एक साल पूरा होने से पहले ही उन्हें बोर्ड मेंबर बनने का मौका मिल गया। बोर्ड मेंबर में भी अभी उन्हें कुछ ही समय हुआ है। तथापि वह एल. सी. त्रिवेदी और विद्या भूषण से इस मामले में आगे हैं।

अब अगर इलेक्ट्रिकल बनाम मैकेनिकल के वर्चस्व की लड़ाई के चलते ट्रेन-18 के प्रोडक्शन से जुड़े होने के नाते एल. सी. त्रिवेदी के पीछे विजिलेंस का सांप दौड़ाया जा रहा है, तो क्या पी. एस. मिश्रा जैसे एक दारूबाज और पियक्कड़ को सीआरबी बना देने से भारतीय रेल कोई भला हो जाएगा?

वह भी तब जब डीआरएम/रायपुर रहते हुए ‘कांताबाई’ को दारू सप्लाई करने में सबसे आगे थे? और वह भी तब जब रेलवे के विकास अथवा रेलवे के अन्य किसी नवोन्मेष में आज तक उनका रत्ती भर भी कोई योगदान नहीं है? वह सिर्फ अपनी जी-हजूरी, चापलूसी, चाटुकारिता, पिछलग्गूपन और ‘एज-प्रोफाइल’ के चलते आज यहां तक पहुंचे हुए हैं। यही नहीं, कोई दूसरा ऑप्शन मौजूद नहीं होने के कारण ही उन्हें मेंबर ट्रैफिक बनने का भी मौका मिला है। इन सबके अलावा उनकी अपनी कोई विशेषता नहीं दिखाई देती!

ऐसे में वह रेलवे का भला तो क्या करेंगे, बल्कि उनके सीआरबी बनने के बाद मनचाही पोस्टिंग पाने वाला हर भ्रष्ट अधिकारी बढ़िया और महंगी से महंगी ‘सोमरस’ की बोतल लेकर उनकी सेवा में उपस्थित हुआ करेगा। इसके अलावा सीआरबी बनने के तुरंत बाद ‘कांतारू’ के मार्गदर्शन यानि कहे अनुसार उनके काम करने के ज्यादा आसार हैं। इससे एक बार फिर रेल भवन में ‘कांतारू’ का वर्चस्व बढ़ने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। साथ ही ‘कांताबाई’ की सप्लाई लाइन भी शुरू हो जाए, तो कोई आश्चर्य नहीं होगा!

इसके अलावा कुछ ‘होशियारबाजों’ ने इसी महीने के अंत में रिटायर हो रहे एक जोनल महाप्रबंधक को भी सीआरबी के दावेदारों में शामिल कर लिया है। जबकि उसका न तो खुद कोई दावा है और न ही उसने ऐसी कोई इच्छा जताई है, बल्कि वह तो शांति से अपने रिटायरमेंट की तैयारी में लगे हुए हैं। अब इन मूढ़ होशियारबाजों को कौन बताएगा कि आजतक किसी जीएम स्तर के अधिकारी को रेलवे में सेवा विस्तार नहीं दिया गया है। फिर भले ही वह सत्ता के कितना ही नजदीक क्यों न रहा हो! रेलमंत्री चाहें भी तो इसके लिए पीएमओ को सहमत करने में उन्हें पसीना आ जाएगा। फिर भी पीएमओ उनकी बात मान ही लेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं है।