रेलवे बोर्ड का पुनर्गठन, काबिल अधिकारी का अकाल

री-एंगेज्ड सीआरबी को बनाया गया भारतीय रेल का पहला सीईओ

रेलवे बोर्ड मेंबर्स की पांचों पोस्ट हुईं एक्स-कैडर

मेंबर इंजीनियरिंग और मेंबर स्टाफ की पोस्ट समाप्त

आईएएस का रेलवे में आने का रास्ता हुआ साफ

यह रेलवे में काबिल अधिकारियों की इंसल्ट है कि एक “री-एंगेज्ड” को रेलवे बोर्ड का पहला सीईओ बनाया गया। यह कहना है कई वरिष्ठ रेल अधिकारियों का।

उनका कहना है कि इससे रेलवे में आईएएस के आने का रास्ता साफ हो गया है।

उन्होंने कहा कि अब रेल अधिकारी भी सीबीडीटी बोर्ड की तरह आईएएस (रेवेन्यू सेक्रेटरी) को सलाम ठोकेंगे।

क्या रेलवे में काबिल अधिकारियों का अकाल पड़ गया है? पीएमओ से यह सवाल पूछ रहे हैं रेल अधिकारी!

इधर मंत्री या सरकार ने अपनी मंशा के अनुरूप रेलवे बोर्ड का आईआरएमएस के तहत पुनर्गठन तो कर लिया, जिसमें मेंबर पोस्टों को एक्स-कैडर करके ऐसा करने में कोई खास अड़चन नहीं थी, मगर इस प्रक्रिया की असली परीक्षा अब होनी है, क्योंकि उधर यूपीएससी ने सीएसई के बजाय ईएसई के तहत सेलक्शन करने से साफ मना कर दिया है।

ऐसे में एक संभावना यह जताई जा रही है कि हो सकता है अब बारगेनिंग (भाव-ताव) यानि पैसे का खेल शुरू हो। इसके लिए पांचों विभाग मिलकर यदि मंत्री को ईएसई और फाइनेंस का महत्व समझाने में सफल हो जाते हैं, तो सब कुछ संभव हो सकता है। बताते हैं कि इसके प्रयास भी किए जा रहे हैं।

अब देखना यह है कि रेलमंत्री यूपीएससी का क्या करते हैं? क्या अब यूपीएससी का भी तिया-पांचा किया जाएगा और उसे भी सरकार या मंत्री की मंशा के अनुरूप तोड़ा-मरोड़ा जाएगा? इन सवालों का भी जवाब शीघ्र ही सामने आ जाएगा।

बहरहाल, इस तमाम उठापटक से रेल का तो शायद ही कोई भला हो पाएगा, जबकि वर्ष 2003-04 की तरह रेल का नुकसान अवश्य होगा। जनता और देश को भी इसका कोई लाभ मिलना तय नहीं है। परंतु सरकार की वह मंशा जरूर पूरी होती नजर आ रही है कि “जमीनी स्तर पर भले ही कुछ पुख्ता हो, न हो, मगर बहुत कुछ होता नजर अवश्य आना चाहिए।”

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