चीफ यार्ड मास्टर, कानपुर की रासलीला

कोई कड़ी कार्रवाई नहीं, महिला कर्मचारी की शिकायत पर यार्ड मास्टर का किया गया सिर्फ ट्रांसफर

कानपुर : वैसे तो पूरा रेल महकमा ही इस वक्त कुछ नाकाबिल उच्चाधिकारियों की करतूतों से परेशान है। वहीं कुछ जोनल रेलों में अपनी अलग मनमानी चल रही है। लगता है कि पूरी व्यवस्था ही निरंकुशता का शिकार हो गई है।

अब इसी के चलते कथित चरित्रहीनता का एक मामला उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज मंडल का सामने आया है, जहां मनमानी और कदाचारी कारनामों का कोई अंत नहीं है।

प्रयागराज ऐसा मंडल है जहां नियमों की परिभाषा
अधिकारी अपने हिसाब से तय करते हैं, चाहे लॉकडाउन में दूसरे शहर में नियम विरुद्ध स्थानांतरण की बात हो, पूर्व सीनियर डीसीएम का डीआरएम/प्रयागराज द्वारा बिना अधिकार के स्थानांतरण का मामला हो, अथवा री-एंगेज्ड स्टाफ को चॉइस के आधार पर कुछ को टर्मिनेट करने और कुछ को बनाए का मामला हो.. ये तो कुछ उदाहरण मात्र हैं।

अब इसका एक ताजा उदाहरण देखने में आया है, जो कि कानपुर के चीफ यार्ड मास्टर (#CYM) की कथित रूप से मातहत महिला कर्मचारियों के शारीरिक शोषण वाले कारनामों का है।

ऑपरेटिंग विभाग, उत्तर मध्य रेलवे द्वारा प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त सीवाईएम मातहत महिला कर्मचारियों के शोषण के लिए पहले से कुख्यात रहा है। फिर भी इसे प्रमुख पद पर ही रखा गया।

इसका परिणाम यह हुआ है कि वह ड्यूटी के नाम पर महिलाओं का शोषण करने लगा। तंग आकर एक महिला स्टाफ द्वारा रिकॉर्डिंग सबूत के साथ उक्त सीवाईएम के खिलाफ डीआरएम/प्रयागराज को शिकायत की गई।

इस शिकायत की जांच के नाम पर संबंधित अधिकारियों द्वारा केवल इतना किया गया कि उक्त आरोपी सीवाईएम को यार्ड मास्टर के पद से हटाकर भोगांव स्टेशन का स्टेशन सुपरिटेंडेंट (एसएस) बना दिया गया।

अब देखने वाली बात यह है कि इतने बड़े कांड के बाद भी डीआरएम द्वारा कोई कड़ा कदम नहीं उठाया गया।

कर्मचारियों का कहना है कि उत्तर मध्य रेलवे में पूरा सिस्टम इसीलिए चौपट है क्योंकि जीएम/उ.म.रे. भी इसी वर्ष दिसंबर में सेवानिवृत्त हो रहे हैं। इसके साथ ही वह उत्तर रेलवे के जीएम का भी अतिरिक्त प्रभार देख रहे हैं। इसलिए वह हर हफ्ते प्रयागराज से दिल्ली और दिल्ली से वापस प्रयागराज आने-जाने में व्यस्त हैं।

दूसरी तरफ डीआरएम/प्रयागराज का कार्यकाल भी पूरा हो चुका है और वह भी अपने मनमाफिक जगह जाने की जुगाड़ में लगे हैं। ऐसे में निचले स्तर पर तो कर्मचारी और अधिकारी ऐसी ही रासलीलाएं करते नजर आएंगे।

बाकी रेलमंत्री और सीआरबी को तो रेलवे को गर्त में पहुंचाने के प्रयास में जोर-शोर से लगे रहने के कारण वैसे भी फुर्सत नहीं हैं कि वह यह देख-सुन सकें कि मंडलों और जोनों के मुखिया क्या कर रहे हैं? अथवा उनकी जवाबदेही तय कर सकें।

सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार उक्त क्लिप सीवाईएम और जीएमसी यार्ड कानपुर में कार्यरत एक महिला पॉइंट्समैन की बताई गई है।