मांग के अनुरूप राज्यों को उपलब्ध कराई जाती रहेंगी श्रमिक स्पेशल ट्रेनें

11 जून तक भारतीय रेल द्वारा चलाई गईं कुल 4277 श्रमिक स्पेशल ट्रेनें

मांग के अनुरूप भारतीय रेल द्वारा राज्यों को श्रमिक स्पेशल ट्रेनें आगे भी उपलब्ध कराई जाती रहेंगी। यह जानकारी उत्तर मध्य रेलवे द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में दी गई है। विज्ञप्ति में कहा गया है कि रेलवे बोर्ड ने 29 मई, 3 जून और 9 जून को राज्यों को इस विषय पर पत्र लिखकर इस बात पर जोर दिया कि “अनुरोध के 24 घंटे के भीतर भारतीय रेल द्वारा वांछित संख्या में श्रमिक स्पेशल ट्रेनें उपलब्ध कराई जाएंगी।”

उत्तर मध्य रेलवे मुख्य रूप से “पासिंग-थ्रू” रेलवे है और गुजरने वाली श्रमिक स्पेशल और खाली कोचिंग रेक्स को उ.म.रे. द्वारा कुशल तरीके से संचालित किया गया। ओरिजनेटिंग तथा टरमिनेटिंग श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को संभालने के अलावा, उत्तर मध्य रेलवे ने 2358 पासिंग श्रामिक स्पेशल और 2412 खाली कोचिंग रेक्स को संचालित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

पासिंग थ्रू श्रमिक स्पेशल ट्रेनों के संचालन में उत्तर मध्य रेलवे के महत्व का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि भारतीय रेल द्वारा 11 जून तक चलाई गई कुल 4277 श्रमिक स्पेशल में लगभग 55.13% उत्तर मध्य रेलवे के किसी न किसी रूट पर संचालित हुई हैं।।

बहरहाल, पहले यह कहा गया कि अब चूंकि सभी राज्यों से श्रमिक अपने घर-गांव जा चुके हैं, अतः अब श्रमिक स्पेशल ट्रेनों का संचालन बंद करके 1 जून से 200 गाड़ियां चलाई जाएंगी। इन्हें शुरू भी किया गया, परंतु रेगुलर गाड़ियों को “स्पेशल” बनाकर! अब पुनः श्रमिक स्पेशल ट्रेनों को राज्यों के माथे मढ़कर फिर से चलाने की बात कही जा रही है। अतः सीधी बात यह है कि रेलवे बोर्ड में बैठी मोहम्मद-बिन-तुगलक की आधुनिक संतानों, जिन्होंने भारतीय रेल को बरबाद करने में पहले ही कोई कसर उठा नहीं रखी, ने अब तय कर लिया है कि वे रेलवे को पूरी तरह बरबाद करके ही मानेंगी! निशांत वर्मा ने ठीक ही कहा है-