“संकट की इस घड़ी में राजनीति न करो!”

निशांत वर्मा ने ली नरेंद्र मोदी की क्लास

जब शराब-बंदी करनी थी, तब नोटबंदी कर दी !

जब टैक्स कम करके व्यापारियों को राहत देनी थी, तब जीएसटी लगा दी !

जब ऐम्स और यूनिवर्सिटी बनानी थीं, तब 3000 करोड़ की मूर्ति बनवा दी!

जब 2 करोड़ नौकरियां हर साल देनी थीं, तब सबको चौकीदार बना दिया !

जब बेरोजगारी हटानी थी, तब पकौड़ों की रेहड़ी लगाने की सलाह दे दी !

जब सामाजिक सौहार्द बढ़ाना था, तब सारे देश में सामाजिक वैमनस्यता पैदा कर दी !

जब बाढ़ रोकने के लिए बांध बनाने थे, तब पूरे देश में पार्टी मुख्यालय और कार्यालय बनवा दिया !

जब हवाई मार्ग से जवानों को सुरक्षित भेजना था, तब सड़क मार्ग से भेजकर 40 जवान शहीद करवा दिए !

जब कोरोना वायरस से बचाव के लिए रणनीति बनानी थी, तब ट्रंप की आरती उतारी जा रही थी !

जब मास्क बनवाने थे, तब गरीबी छुपाने के लिए दीवार बनवाई जा रही थी !

जब वेंटीलेटर खरीदने थे, तब विधायक खरीदे जा रहे थे !

जब विदेशियों को रोकना था, तब मध्य प्रदेश में सरकार बनाई जा रही थी !

जब डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए उपकरण मुहैया कराने थे, तब ताली-थाली पीटवाई जा रही थी।

जब लॉकडाउन करने से पहले तैयारी करनी थी, तब अपने भक्तों की संख्या चेक की जा रही थी।

जब डॉक्टरों और स्वास्थ्यकर्मियों को सुरक्षा मुहैया करानी थी, तब मोमबत्ती जलाने की सलाह दी जा रही थी।

अब प्रवचन दिए जा रहे हैं – “आत्मनिर्भरता” पर !!

सरकार की नाकामी पर बात करो, तो कहा जाता है कि संकट की इस घड़ी में राजनीति न करो! तो क्या संकट की यह घड़ी सिर्फ देश लूटने का अवसर प्रदान करने के लिए आई है!?

साभार: सोशल मीडिया