कोरोना: फील्ड में कार्यरत रेलकर्मियों को उचित सुरक्षा उपलब्ध नहीं, विभाग प्रमुखों के आदेश भेदभावपूर्ण

दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के प्रमुख मुख्य विद्युत अभियंता (पीसीईई) द्वारा एक व्हाट्सऐप मैसेज देकर कोरोनावायरस से बचाव के लिए प्रत्येक क्रू-चेंजिंग पॉइंट पर गुड्स/कोचिंग ट्रेनों के इंजनों के प्रत्येक हैंडल और लोको पायलट एवं सहायक लोको पायलट की सीटों आदि को सेनेटाइज करने के लिए कहा गया है।

परंतु पीसीईई के इस मैसेज में गार्ड्स ब्रेक वैन के लिए ऐसा कोई आदेश नहीं है।

क्या ब्रेक वैन में गार्ड्स को #कोरोनावायरस का कोई जोखिम नहीं है?

समझ में नहीं आता कि पीसीईई जैसा विभाग प्रमुख और वरिष्ठ रेल अधिकारी भी अपने मातहत रेल कर्मचारियों के प्रति इतना असंवेदनशील और लापरवाह कैसे हो सकता है! वह ऐसे समय में भी ऐसा कोई भेदभाव कैसे कर सकता है?

ऐसे भारी जोखिम के समय भी अपने दायित्वों को फील्ड में बखूबी निभा रहे फ्रंटलाइन रेल कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए रेल प्रशासन को अविलंब उचित और भेदभाव रहित कदम उठाना चाहिए!

एडमिनिस्ट्रेशन के आगे नतमस्तक फ्रंटलाइन स्टाफ

एक देश – विभिन्न कानून

रनिंग सहित फ्रंटलाइन स्टाफ को कोरोना की आग में झोंक देना

1 अन्हाइजिनिक ब्रेथ-एनालायजर टेस्ट लगातार जारी

2 साइन ऑन-ऑफ मैनुअल रजिस्टर यथावत चालू

3 ट्रिप शीट रजिस्टर चालू

4 रनिंग रूम में सामूहिक खान पान ,बिस्तर एवम स्नान घर, टॉयलेट का उपयोग ।

5 लॉबी एवम रनिंग रूम में पर्याप्त मात्रा से हैंड वाश या senitiser नदारत या बिल्कुल नही होना। स्वयं का व्यवस्था करना।

6 डॉक्यूमेंट, जैसे कॉशन आर्डर, बीपीसी, मेमो, टेलीफोन आदि का हस्तानांतरण जारी।

7 सोशल डिस्टेंस का कोई पालन नहीं।

8 कुर्सी-टेबल का सेनेटाइज न होना।

9 एक ही टेप नल से सामूहिक पानी भरना।

10 #WHO एवं भारत सरकार द्वारा जारी गाइडलाइन की खुली अवहेलना

उपरोक्त तमाम विपरीत परिस्थितियों के बावजूद रनिंग स्टाफ सहित समस्त फ्रंटलाइन वाणिज्य स्टाफ अपने कार्य और दायित्व के प्रति समर्पित है। तथापि उनके कोरोनावायरस से ग्रस्त होने की आंशका और जोखिम बना हुआ है। रेल प्रशासन को समय रहते आवश्यक कदम उठाने चाहिए।