रेल प्रशासन की भयानक लापरवाही
कर्फ्यू और संपूर्ण लॉकडाउन के बावजूद स्टाफ को घर से निकलने और दूर-दराज ड्यूटी पर जाने को मजबूर कर रहे हैं रेल अधिकारी
कल्याण रेलवे अस्पताल द्वारा कोरोना फंड का दुरुपयोग, खरीदी सेंक करने की मशीन
रविवार, 22 मार्च को जनता कर्फ्यू लागू होने के एक दिन पहले रेल प्रशासन द्वारा मुंबई से उत्तर भारत के लिए 12-14 ट्रेनें चलाए जाने से बड़ी मूर्खता और कोई हो ही नहीं सकती। फिर जनता कर्फ्यू का क्या फायदा हुआ? यदि सरकार चाहती थी कि सभी लोगों का केयर हो, तो बंदी सबके लिए होनी चाहिए थी।
रेल प्रशासन ने #कोरोनावायरस से इन रेलयात्रियों की सुरक्षा के लिए क्या व्यवस्था की, किसी को भी पता नहीं? कितना मास्क और सेनिटाइजर रेलवे स्टाफ को उपलब्ध कराया गया, इसका कोई आंकड़ा उपलब्ध नहीं है, बल्कि खबर यह है कि ये जरूरी चीजें फील्ड में सीधे यात्रियों के संपर्क में आने वाले फ्रंटलाइन स्टाफ को कतई उपलब्ध ही नहीं कराई गईं।
सबसे बुरी स्थिति में रेलवे के अस्पताल हैं, जहां एक तो पहले से ही दुर्दशा थी। फिर बिना किसी तैयारी के प्रधानमंत्री स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए भी इनको नामांकित करके इनका और ज्यादा कबाड़ा कर दिया गया। अब कोरोनावायरस के मरीजों-रोगियों के संपर्क में आने वाले डॉक्टरों-नर्सों और पैरा मेडिकल स्टाफ तथा अन्य को कोई सुरक्षा साधन उपलब्ध नहीं हैं।
The Worst Condition in Railway Hospital, Tundla, NCRly
जले में खाज की स्थिति यह है कि कोरोनावायरस से बचाव के लिए दो-चार लाख रुपए का जो जरूरी फंड जोनल एवं डिवीजनल रेलवे अस्पतालों को मिला, उसमें भी घालमेल कर लिया गया। ऐसी खबर मिली है कि मध्य रेलवे के कल्याण स्थित डिवीजनल रेलवे अस्पताल के लिए कोरोना से संबंधित जो दो लाख रुपए का फंड आया, उसमें से 80,000 रुपए खर्च करके एक सेंकने वाली बाईपेप मशीन खरीद ली गई, इसका कारण यह बताया गया कि अस्पताल की वेंटिलेटर मशीन लंबे समय से खराब है। तथापि इस बाईपेप का फिलहाल कोई औचित्य नहीं था और न ही यह भविष्य में कभी सर्वसामान्य रेलकर्मियों के काम आने वाली है।
प्रधानमंत्री के जनता कर्फ्यू का मजाक तो रेल मंत्रालय उड़ा रहा है! जब सभी लोगों को घरों में रहने का आग्रह किया जा रहा है, तो रेल मंत्रालय के गैरजिम्मेदार और उठल्लू निर्णयों के तहत एक दिन पहले अर्थात 21 मार्च को मुंबई, पुणे आदि जगहों से सामान्यतः मजदूरों को स्पेशल ट्रेनों में भर-भरकर क्यों भेजा गया? यह तो हद है!
हद यह भी है कि मुंबई सहित पूरे महाराष्ट्र में लागू कर्फ्यू तथा लॉकडाउन के बावजूद बिना कोई उचित सुरक्षा संसाधन उपलब्ध कराए ही सीनियर डीसीएम और डीसीएम, मुंबई मंडल, मध्य रेलवे द्वारा वाणिज्य स्टाफ को जबरन ड्यूटी पर जाने के लिए मजबूर किया जा रहा है। आदेश का पालन न होने पर स्टाफ के खिलाफ राजद्रोह के तहत मामला दर्ज कराने की धमकी दी जा रही है। ऐसी ही खबरें पूर्व रेलवे सहित अन्य जोनल रेलों एवं मंडलों से आ रही हैं।
रेल प्रशासन के पास कोई ऐक्शन प्लान नहीं है। जबकि एक सामान्य नागरिक भी पिछले हफ्ते से कह रहा था कि इस वक़्त भारत में कोरोना वायरस का फैलाव रेलवे के माध्यम से होने की सबसे ज्यादा संभावना है। जबकि रेल प्रशासन अब जागा है, जब काफी हद तक मामला बिगड़ चुका है। अभी भी आदेशों में कोई स्पष्टता नहीं है कि इस दौरान क्या रेलवे स्टेशन पूर्णतया बंद रहेगा या टिकटिंग संबंधी काम चलता रहेगा?
वास्तव में रेलवे के माध्यम से देश में कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए 9-10 मार्च से ही पूर्णतः लॉकडाउन की जरूरत थी। ये कैसे होगा, इसका कोई भी प्लान 21-22 मार्च तक भी रेल प्रशासन तय नहीं कर पाया था। रेल मंत्रालय ने दो लाइन का मात्र आदेश दे दिया कि फ्रेट सर्विस को छोड़कर सभी सेवाएं बंद रहेंगी। जबकि इस आदेश में यह भी स्पष्ट नहीं था कि इस दौरान रेलवे परिसर में कोई भी मूवमेंट नहीं होगा और न ही कोई कैंटीन तथा आवश्यक सेवाओं को छोड़कर कोई कार्यालय इत्यादि नहीं खुलेगा।
अब जब स्थिति भयावह रूप ले चुकी है तब रेल प्रशासन को इसका अंदाजा हुआ है। वह भी कानाफूसी.कॉम द्वारा लगातार इस बारे में प्रधानमंत्री और पीएमओ को ट्वीट करके सूचित किए जाने के बाद जब वहां से डांट पड़ी तब रेलवे बोर्ड नींद से जागा। इसके बाद रात 10 बजे सभी जोनल जीएम्स के साथ वीडियो कांफ्रेंसिंग की गई।
उसमें भी सिर्फ 25 मार्च की आधी रात तक के लिए ही गाड़ियां रद्द करने का निर्णय रेलवे बोर्ड ले पाया। इसके बाद जब लगातार लिखकर यह कहा गया कि इतने से बचाव होना संभव नहीं है, तब देर रात को 31 मार्च तक के लिए सभी गाड़ियां रद्द करने का निर्णय लिया गया। ऐसे #क्षणिकबुद्धि चेयरमैन, रेलवे बोर्ड द्वारा वक्त रहते उचित निर्णय नहीं लिए जाने से न सिर्फ पूरे देश के कोरोना की चपेट में आने की आशंका पैदा हो गई है, बल्कि हजारों रेलयात्रियों को भी उन्होंने संकट में डाल दिया है।
#Maharashtra has reported highest #Corona cases
— kanafoosi.com (@kanafoosi) March 22, 2020
Yet,#MR & #CRB facilitated travel of over 30k people from there to Bihar, UP&WB
Travelers of 12trns will reach destinations during #JanataCurfew ordered by #PMO
Surefire way to created crowds in confined places & spread infection pic.twitter.com/iMCS3lIQSz
Just when there was a need to limit travel #Rly ran 12spl trains from Maharashtra to Bihar, WB&UP
— kanafoosi.com (@kanafoosi) March 22, 2020
30,000 peope traveling by these trains will reach during #JanataCurfew#MR & #CRB deserve summary dismissal for this
Sure way to spread #Corona from #Maharashtra to rest of #India pic.twitter.com/KlAyxIDU7Y
संकट के समय #रेलवे_का_मूर्खतापूर्ण_कदम
— kanafoosi.com (@kanafoosi) March 22, 2020
20/21 मार्च को #Corona पीड़ित #महाराष्ट्र से 12 स्पेशल ट्रेनों में 30,000 यात्री बिहार, UP&WB भेज दिया
जब इस अनावश्यक यात्रा पर पाबंदी लगनी थी, तो #PMO पूरे देश में संक्रमण फैलाने के लिए जिम्मेदार #रेलमंत्री और #CRB को तुरंत बर्खास्त करे pic.twitter.com/torgUaVv1z
अब आया न समझ में!
— kanafoosi.com (@kanafoosi) March 22, 2020
पर अब क्या फायदा जब महाराष्ट्र, गुजरात प.बंगाल, तमिलनाडु, केरल से हजारों लोग #वायरस लेकर उत्तर प्रदेश-बिहार के गांवों में पहुंचने वाले हैं
कब तक उन्हें स्टेशनों पर पेड-दाना-पानी मुहैया कराएंगे!#निर्णय लेने में सर्वथा #अक्षम ऐसे #CRB को फौरन #बर्खास्त किया जाए! pic.twitter.com/2jmwOmLz8R