बिगड़ी दुनिया की व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के तेरे ढंग भी कितने निराले हैं प्रभु !
अद्भुत! राष्ट्रों की सीमाएं टूट गईं। युद्ध के नगाड़े थम गए, आतंकी बंदूकें खामोश हैं;
अमीर-गरीब का भेद मिट गया।
आलिंगन, चुम्बन का स्थान; मर्यादित आचरण ने ले लिया।
क्लब, स्टेडियम, पब, मॉल, होटल, बाजार के ऊपर अस्पताल की महत्ता स्थापित हो गई।
अर्थशास्त्र के ऊपर चिकित्साशास्त्र स्थापित हो गया।
एक सुई और एक थर्मामीटर; गन, मिसाइल, टैंक से अधिक महत्वपूर्ण हो गए।
मंदिर बंद, चर्च बंद, दरगाह, मस्जिद बंद!
सार्वजनिक आवागमन और यातायात सब बंद हो गया।
धन-संपत्ति, ऐश्वर्य सब थोथा नजर आने लगा !!
हृदय में विराजमान प्रभु को पूजा जा रहा है।
धर्म पर अध्यात्म स्थापित हो गया।
भीड़ में खोया आदमी, परिवार में लौट आया !!
सिर्फ एक वायरस…???
सिर्फ इस एक वायरस ने सबकी सांसें अटका दीं !!
हां, प्रकृति ने मनुष्य की प्रवृत्ति पर विजय प्राप्त कर ली !!
वाह प्रभु…!! बिगड़ी दुनिया को और इसकी बदचाल हो चुकी व्यवस्थाओं को दुरुस्त करने के तेरे ढंग भी कितने निराले हैं!!🤗
हे ईश्वर ! सचमुच तेरी महिमा अपरंपार है !!
आप सर्वशक्तिमान हैं…!!
🙏🙏 आपकी जय हो प्रभु !!