मुंबई में लोकल ट्रेनों की संख्या नहीं, लोगों की संख्या कम करें !!

टीवी न्यूज में सुना कि महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री #उद्धव ठाकरे ने मध्य रेलवे और पश्चिम रेलवे के दोनों महाप्रबंधकों को बुलाकर उनसे कहा है कि रोजाना जितनी लोकल ट्रेनें चलाई जाती हैं, उनकी संख्या घटाकर आधी कर दी जाए।

यह तो पता नहीं चला कि यह सलाह मुख्यमंत्री को किसने दी है! परंतु जिसने भी दी है वह निहायत ही गैरजिम्मेदार सलाहकार है।

यदि इस सलाह पर अमल किया गया, तो इसका परिणाम भयंकर हो सकता है, क्योंकि तब बची हुई आधी लोकल ट्रेनों में, रद्द हुई आधी लोकल ट्रेनों की भीड़ भी समा जाएगी, जो कि और भी ज्यादा खतरनाक होगा।

अच्छा तो यह होगा कि तमाम सरकारी-गैर सरकारी कार्यालय बंद करके मुंबई में लोगों की आवाजाही घटाकर अथवा सीमित करके उनकी संख्या न्यूनतम की जाए।

बल्कि बेहतर तो यह होगा कि अगले 15-20 दिनों तक मुंबई में सभी गतिविधियां ठप कर दी जाएं, यह सबसे अच्छा कदम होगा।

क्योंकि भारत में #कोरोनावायरस का फैलाव दूसरे चरण में पहुंच चुका है और मुंबई में भी इसके पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।

हालांकि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा #कोविड-19 के फैलाव को रोकने हेतु युद्ध स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं और लोगों के लिए इसकी जानकारी भी हर स्तर पर प्रसारित की जा रही है।

तथापि देश के बड़े शहरों में जनसंख्या के घनत्व और ट्रेनों में रोजाना भारी भीड़ को देखते हुए इसकी पर्याप्त रोकथाम संभव हो पाएगी, इसमें संदेह है।

मुंबई, चेन्नई और कोलकाता जैसे अति भीड़ वाले महानगरों में तो यह तब तक संभव नहीं हो पाएगा जब तक कि सभी सरकारी और गैर-सरकारी कार्यालय कुछ दिनों के लिए पूरी तरह बंद करके लोगों की आवाजाही न रोक दी जाए।

विभिन्न जोनों द्वारा अब तक करीब 100 ट्रेनें रद्द की गई हैं, जो कि वास्तव में टिकटों के बड़े पैमाने पर रद्दीकरण के कारण रद्द करनी पड़ी हैं, न कि कोरोना से लोगों को बचाने के लिए!

देश भर में रोजाना 13500 यात्री गाड़ियों का संचालन होता है। इनमें से सिर्फ 100 ट्रेनों को रद्द करने से इस महामारी से बड़ी संख्या में लोगों का बचाव असंभव है।

अतः भारत सरकार और रेल मंत्रालय को अगले 15-20 दिनों तक के लिए यात्री ट्रेनों की संख्या अति सीमित करने पर अविलंब विचार करना चाहिए, क्योंकि भारतीय ट्रेनें इस महामारी के फैलाव का सबसे बड़ा माध्यम बन सकती हैं।

इसके अलावा एकसाथ सभी गाड़ियों को ठप कर दिया जाना भी उचित नहीं होगा। परंतु मुंबई के मामले में यह अवश्य जरूरी है, क्योंकि पीक ऑवर में मुंबई की लोकल ट्रेनों में एक वर्ग मीटर की जगह पर 15 से 20 लोग एक-दूसरे से चिपककर खड़े होने के लिए मजबूर होते हैं।

इसके साथ ही यहां यह भी याद रखना जरूरी है कि जिस तरह ट्रेनों की साफ-सफाई का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है, उससे बात बनने वाली नहीं है, क्योंकि एक भी संदिग्ध या संक्रमित मरीज पूरी ट्रेन के 1000-1200 यात्रियों को संक्रमित करने के लिए पर्याप्त है। सरकार और रेल प्रशासन को यह नहीं भूलना चाहिए।

#जानहैतोजहानहै!

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