कैसे भूलें !!!
कैसे भूलें? हम कोई बात भूलते नहीं हैं, हमारी स्मरण शक्ति बहुत मजबूत है। जो लोग इस भ्रम में रहते हैं, उन्हें “विषधर” से मिलकर उनकी आंतरिक पीड़ा को समझना चाहिए। आज जो लोग इस भ्रम में जी रहे हैं, कल उनका भी यह भ्रम टूटेगा!
बात यह है कि दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (#SECR) रेल के एक महाप्रबंधक हुआ करते थे—अरुणेंद्र कुमार। पहले ये मुंबई सेंट्रल के #DRM भी रहे और फिर रेलवे बोर्ड में ईडीसीसी, फिर एएम/पीयू भी रहे। फिर ये फुल जुगाड़ और तिकड़म करके जीएम बनें, और फिर मेंबर मैकेनिकल और चेयरमैन/रेलवे बोर्ड भी बन गए, #UPA-II के अंतिम अंतिम दिनों में (जून 2013–दिसंबर 2014)।
इन कुटिल महाशय की पत्नी को शराब पीने का बहुत शौक था—अभी-भी होगा—फिलहाल तो यह कंफर्म नहीं है, मगर फिर रेलवे क्लब में नशे में धुत्त होकर वरिष्ठ अधिकारियों पर उल्टी कर देना और उनको अपमानित करना—इनकी आदत थी। पूरा सिस्टम डरा हुआ था कि मैडम आएँगी, शराब पिएँगी, उल्टी करेंगी और फिर सार्वजनिक रूप से उन्हें नीचा दिखाएँगी।
हमने इस भय के माहौल में #अरुणेंद्रकुमार और उनकी महापियक्कड़ #लुगाई के बारे में तब काफी कुछ लिखा था। इसीलिए अरुणेंद्र कुमार ने हमें प्रतिबंधित किया, हमारे विरुद्ध चिट्ठियाँ लिखीं, और दिवंगत रंजीत सिन्हा—सीबीआई के तत्कालीन डायरेक्टर—से मिलकर हमारे घर-ऑफिस में सीबीआई की रेड करवाई, लेकिन अंत में जीत सच की हुई।
रंजीत सिन्हा दिवंगत होने से पहले 2G घोटाले में बहुत बदनाम हुए थे। #सुप्रीमकोर्ट ने उनके नेतृत्व वाली #CBI को “पिंजरे का तोता” कहा था। जो व्यक्ति अपनी गलत गतिविधियों के कारण लगातार बदनाम रहा हो, और इसीलिए बुरी गति को प्राप्त हुआ हो, दिवंगत होने के बाद उसे और बुरा कहना उचित नहीं होगा!
वहीं #अरुणेंद्रकुमार ने अपने मेंबर मैकेनिकल/रेलवे बोर्ड बनने की राह में अपने ही बैचमेट #RSVirdi पर फर्जी विजिलेंस केस करवाया था, मेंबर मैकेनिकल बनने के लिए इन्होंने हर वह हथकंडा अपनाया था—तिकड़म की थी—जो एक कुटिलतम व्यक्ति कर सकता है। विरदी ईमानदार हैं, यह सब जानते थे, और अंततः यही साबित भी हुआ। लेकिन वह मेंबर नहीं बन पाए, जीएम से ही उन्हें रिटायर होना पड़ा था।
ये सब 12-13 साल पुरानी बातें हैं..
आइए वर्तमान में चलते हैं-
शुक्रवार, 25 अप्रैल, 2025 को #CBI ने—जिसने हमारा दरवाजा खटखटाया था 11 साल पहले—ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे (#SECR) में एक चीफ इंजीनियर और एक प्राइवेट कंपनी के मैनेजिंग डायरेक्टर (#MD) को 23 लाख की रिश्वत के लेनदेन के गंभीर आरोप में गिरफ्तार किया।
April 26, 2025-पढ़ें: “CBI arrests CE/SECR and 3 others in ₹32 lakh bribery case”
लेकिन कहानी कहाँ मोड़ लेती है, वह ये है: इस निजी कंपनी के बोर्ड पर अरुणेंद्र कुमार डायरेक्टर हैं। प्रश्न ये कि एक #कंस्ट्रक्शन कंपनी में अरुणेंद्र कुमार नाम का ये मैकेनिकल इंजीनियर क्या कर रहा है? वह भी रिटायरमेंट के 10-11 साल बाद?
हमने ये बार-बार लिखा कि-मंत्री जी, आपका सिस्टम अभी-भी “डीप स्टेट” के हाथों में है। ऐसे अधिकारी—जिन्होंने विजिलेंस के नाम पर अत्याचार किया—स्वयं भ्रष्टाचार और जोड़तोड़ के अंतर्राष्ट्रीय खिलाड़ी रहे हैं। यही देखें, जिसने अपने ही ईमानदार बैचमेट और अन्य पर पूरे झूठे विजिलेंस केस लगाए, उसकी ही कंपनी के एमडी को सीबीआई ने पकड़ा है।
लेकिन घूम-फिरकर यही बात आती है, कि एक मैकेनिकल इंजीनियर क्या कर रहा है निजी कंस्ट्रक्शन कंपनी में? वह भी वहाँ, जहाँ वह जीएम रहा? सीबीआई को इस पहलू को भी गहराई से देखना चाहिए!
#मोदी जी, सरकार तो आपने बना ली, मगर नौकरशाही के #डीपस्टेट को आप अपदस्थ नहीं कर पाए, अब तो इसे अपदस्थ कर अपना सिस्टम बनवाइए!