निजीकरण के चलते रेलवे में भर्ती की फर्जी सोशल मीडिया पोस्टों से पैदा हुई बड़े पैमाने पर बेरोजगारों को ठगे जाने की आशंका
जैसा कि यहां एक इमेज दिखाई दे रही है। यह इमेज पिछले कई हफ्तों से सोशल मीडिया पर घूम रही है। इसे देखकर बहुत सारे बेरोजगार युवाओं द्वारा इस बारे में पूछताछ की जा रही है कि क्या यह पोस्ट सही है।
कहने को तो यह एक रिक्रुटमेंट ड्राइव है, जो कि गुजरात की “खगोल कारपोरेशन लिमिटेड” के नाम से है।
गूगल पर सर्च करने से तो इस नाम से कोई संदर्भ प्राप्त नहीं हो पाया है।
लेकिन अनुमानित तौर पर यह एक फर्जी कंपनी लग रही है, जो कॉर्पोरेट(निजी) ट्रेन में भर्ती का वादा करके बेरोजगारों को ठगने और उनसे रुपये ऐंठने का प्रयास करती नजर आ रही है।
रेलवे के निजीकरण का भारी हो-हल्ला होने के चलते किसी कंपनी में कौन-किसको-कब-कैसे भर्ती कर रहा है, या नहीं कर रहा है, या भर्ती के नाम पर धोखा दे रहा है, इस पर सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होने वाला है।
लखनऊ-दिल्ली तेजस एक्सप्रेस में युवतियों के शोषण का विरोध करने पर उनमें से कईयों को नौकरी से निकाल बाहर किया गया और बाकियों को निकाले जाने की धमकी दिए जाने की खबर पहले ही काफी वायरल हो चुकी है।
इस हिसाब से ऐसा लगता है कि रेलवे सहित बीपीसीएल, कांकोर इत्यादि जैसे विभिन्न बड़े-बड़े सरकारी संस्थानों के निजीकरण के भयंकर दुष्परिणामों में से एक यह भी बेरोजगारों को ठगने के रूप में सामने आ सकता है।
अतः रेल प्रशासन सहित सरकार को भी ऐसी गतिविधियों का उचित और आवश्यक संज्ञान लेना चाहिए, जिससे उसकी तदर्थ नीतियों के चलते देश में बढ़ी बेरोजगारी के कारण बेरोजगार युवाओं को इस तरह के निजी स्वार्थों के जाल में फंसने से बचाया जा सके।