MD/PRCL की नियुक्ति: रेल मंत्रालय की किरकिरी

MD/PRCL की नियुक्ति: रेल मंत्रालय की किरकिरी-लाज बचाने के लिए सेलेक्शन की नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी

अब रेल मंत्रालय ने पीपावाव रेल कार्पोरेशन लिमिटेड (#PRCL) के प्रबंध निदेशक (#MD) पद पर नियुक्ति को लेकर अपनी नीति में कुछ कथित संशोधन करने का निश्चय किया है।

#Episode-26: #Railgate-8: #MDPRCL – लाज बचाने के लिए सेलेक्शन की नई व्यवस्था लागू करने की तैयारी👇

रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) के विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार एमडी/पीपावाव पोर्ट की सेलेक्शन कमेटी का चेयरमैन अब #PRCL का कोई पूर्व एमडी हुआ करेगा।

दरअसल, मूल मुद्दे से भटकाने या गुमराह करने का प्रयास है ये नई नीति, बल्कि जानकारों का तो यह कहना है कि इस तरह एमी/पीआरसीएल के पद पर सीमा कुमार के चयन में किए गए कदाचार के आरोप से बचने के लिए स्वयं सीआरबी जया वर्मा सिन्हा के दिमाग की उपज है ये कथित नई चयन नीति !

उल्लेखनीय है कि पूर्व मेंबर ऑपरेशन एंड बिजनेस डेवलपमेंट (#MOBD) सीमा कुमार का इंटरव्यू और सेलेक्शन उनके ही मातहत और उनके जूनियर PED/TT(M) प्रभाष धनसाना (चेयरमैन/सेलेक्शन कमेटी) ने किया था। इस कथित कमेटी में रंधीर सहाय ED/FX और गुजरात पीपावाव पोर्ट लिमिटेड के डायरेक्टर पी. के. मिश्रा शामिल थे।

ज्ञातव्य है कि रंधीर सहाय ने यह कहकर सीमा कुमार के चयन पर आपत्ति जताई थी और चयन पेपर पर साइन करने से मना कर दिया था कि सीमा कुमार के मातहत प्रभाष धनसाना द्वारा अपनी सीनियर अधिकारी का इंटरव्यू और सेलेक्शन करना उचित नहीं है।

यह बात प्रभाष धनसाना ने सीमा कुमार को बताई, सीमा कुमार ने सीआरबी जया वर्मा सिन्हा को इस बारे में अवगत कराया, और जया वर्मा सिन्हा ने मेंबर फाइनेंस रूपा श्रीनिवासन को बुलाकर कहा कि वह अपने मातहत रंधीर सहाय को पेपर पर साइन करने को कहें। बाद में ऐसा ही हुआ और सहाय ने फाइनली पेपर पर साइन कर दिया था।

इस तरह सीमा कुमार पीपावाव रेल कारपोरेशन की एमडी बन गईं, और उन्होंने 31 मई को एमओबीडी के पद से रिटायर होकर अगले ही दिन शनिवार, 1 जून को एमडी पद पर जॉइन कर लिया, छुट्टी के दिन पीपावाव रेल कारपोरेशन का ऑफिस जबरन खुलवाकर।

जानकारों का कहना है कि होना तो यह चाहिए था कि रेलवे बोर्ड पहले सीमा कुमार की नियुक्ति को रद्द करता, और तब नई व्यवस्था के तहत नए सिरे से एमडी का चयन करवाता।

उनका यह भी कहना है कि ऐसा इसलिए नहीं किया गया है, क्योंकि इस पूरे अनैतिक मामले में सीआरबी जया वर्मा सिन्हा और मेंबर फाइनेंस रूपा श्रीनिवासन भी पूरी तरह से लिप्त थीं और कदाचार के दायरे में आ रही थीं। स्वयं को और मेंबर फाइनेंस को बचाने के लिए रेल मंत्रालय अर्थात् सीआरबी जया वर्मा सिन्हा ने इस कथित नई व्यवस्था की खोज की है।

अब गेंद रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव के पाले में है, यदि उन्हें अपनी इमेज दुरुस्त करनी है, तो उन्हें तत्काल सीमा कुमार की नियुक्ति को रद्द करके नए सिरे से एमडी/पीआरसीएल का चयन करवाना चाहिए और साथ ही सीआरबी जया वर्मा सिन्हा एवं मेंबर फाइनेंस रूपा श्रीनिवासन के विरुद्ध सेलेक्शन कमेटी के सदस्य पर दबाव डालकर उसे अनुचित काम करने के लिए मजबूर करने हेतु अनुशासनात्मक कार्रवाई भी करनी चाहिए।

उल्लेखनीय है कि जया वर्मा सिन्हा किसी ट्रिब्युनल के सेमी जूडिसियल पद पर जाने की तैयारी में हैं, परंतु जब वह यहाँ खुलेआम अनुचित कार्य व्यवहार में लिप्त दिखाई दे रही हैं, तब क्या वह किसी सेमी जूडिसियल पद के योग्य रह जाती हैं? क्या उस पद पर जाकर वह निष्ठापूर्वक अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करेंगी?

यह प्रश्न इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि इससे पहले रेलमंत्री ने अपने एक गाँव वाले पूर्व मेंबर फाइनेंस नरेश सलेचा को अनावश्यक एक्सटेंशन दिया था, जिनके एक निर्णय से आईआरसीटीसी के शेयर औंधे मुँह गिरे थे और करोड़ों का घाटा हुआ था, यह कांड उन्होंने केवल अपने निजी हित के लिए किया था, जिसके चलते रेलवे को करोड़ों का चूना लग गया था।

इसके अलावा, जीएसटी पर जो रेलवे को करोड़ों-अरबों का चूना लगा है, उसके लिए भी यह नरेश सलेचा ही जिम्मेदार थे, क्योंकि उन्होंने रेलवे बोर्ड से जीएसटी कलेक्शन पर सभी जोनल रेलों के लिए सिंगल जेपीओ जारी करने से मना किया था और अलग-अलग जोनल रेलों से अलग-अलग जेपीओ जारी करवाए थे, जिनमें अगणित विसंगतियों के चलते रेलवे को करोड़ों का चूना लगा। तथापि उन्हें हाईकोर्ट के जज का दर्जा देकर एक ट्रिब्युनल में बैठा दिया गया।

कहीं ऐसा ही जया वर्मा सिन्हा के मामले में भी तो नहीं होने जा रहा है? क्योंकि उनको कदाचार के आरोप से बचाने के लिए ही संभवतः एमडी/पीआरसीएल के चयन की कथित नई व्यवस्था बनाई जा रही है?

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It is worth noting the curious pattern in her #CV – She has hardly worked in divisions, which is crucial for operational experience. See for yourself !