नए सीआरबी की खोज

वर्तमान सीआरबी जया वर्मा सिन्हा के रिटायरमेंट में दो महीने बचे हैं। 31 अगस्त 2024 को उनका कार्यकाल – एक महीने की सर्विस पर ग्यारह महीने का रीएम्प्लॉयमेंट – पूरा हो रहा है। हालाँकि उनके शीघ्र ही किसी ट्रिब्युनल में जाने की चर्चा भी है। उनकी जगह नए #सीआरबी की खोज शुरू हो गई है।

इस संदर्भ में तीन नामों की चर्चा हो रही है – पहले नंबर पर मेंबर इंफ्रास्ट्रक्चर ए. के. खंडेलवाल हैं, दूसरे नंबर पर मेंबर ट्रैक्शन एंड रोलिंग स्टॉक सतीश कुमार हैं, और तीसरे नंबर पर दक्षिण पूर्व रेलवे के महाप्रबंधक अनिल कुमार मिश्रा का नाम है।

इस संदर्भ में वीडियो रिपोर्ट भी देखें-

उल्लेखनीय है कि #एकेखंडेलवाल (#IRSE 1987) का कार्यकाल केवल चार महीने बचा है, जबकि #सतीशकुमार (#IRSME 1986) भी इसी साल रिटायर होने वाले हैं, अर्थात् इन दोनों में से किसी के पास पूरा एक साल का कार्यकाल नहीं है।

जानकारों का कहना है कि इनमें से किसी एक को सीआरबी बनाने का अर्थ यह होगा कि इन्हें रीएम्प्लॉयमेंट करना होगा, जो रेलवे के वर्तमान परिदृश्य में उचित नहीं होगा। उनका कहना है कि वर्तमान में इस पद के योग्य हरीशंकर वर्मा (L-17/#DGIRITM) और अनिल कुमार मिश्रा (L-16/#GMSER) हो सकते हैं, क्योंकि इन दोनों अधिकारियों के पास पर्याप्त कार्यकाल है।

जानकारों का यह भी कहना है कि यदि रेलमंत्री अर्थात् सरकार को केवल डॉटेड लाइंस पर साइन करने के लिए स्टेच्यु टाइप कलेक्टर सीआरबी चाहिए, तो अलग बात है, जिसके चलते रेल की वर्तमान दुर्गति हुई पड़ी है, वरना अब सरकार को चाहिए कि रीएम्प्लॉयमेंट अथवा रिएंगेजमेंट-एक्सटेंशन की परिपाटी को सिरे से समाप्त करके प्रॉपर कार्यकाल – कम से कम डेढ़-दो साल – वाले अधिकारी को ही चेयरमैन, रेलवे बोर्ड (सीआरबी/सीईओ) के पद पर लाया जाना चाहिए।

उनका यह भी कहना है कि यही नीति बोर्ड मेंबर्स और जीएम के लिए भी लागू होनी चाहिए, जिनका कार्यकाल क्रमशः न्यूनतम एक साल और दो साल बाकी हो, उन्हें ही बोर्ड मेंबर और जीएम बनाया जाना चाहिए।

इसके साथ ही रेलमंत्री #IRMS को या तो समाप्त करें, या फिर इसकी कड़ी समीक्षा की जानी चाहिए तथा इसे पारदर्शी बनाते हुए बोर्ड मेंबर और जीएम का कार्यकाल सुनिश्चित किया जाना चाहिए।

और अगर रेलमंत्री या सरकार को केवल अयोग्य, अक्षम, जी-हुजूरी करने वाले चापलूस ही पसंद हैं, जो केवल उनकी हाँ में हाँ मिलाएँ, यस सर-जी सर करें, तो फिर रेल का और अधिक कबाड़ा करवाने के लिए उन्हें तैयार रहना होगा।