रेल में हादसे – गलती मोदी जी की है!
मोदी सरकार का तीसरा कार्यकाल कंचनजंगा एक्सप्रेस रेल हादसे से आरंभ हुआ है। जिसमें अब तक प्राप्त जानकारी के अनुसार तीन रेलकर्मियों सहित 15 लोग मारे गए हैं और 60 से अधिक लोग घायल हुए हैं।
#Kanchanjungaexpress train accident at New Jalpaigudi
2014 में #NDA सरकार अर्थात् मोदी सरकार ने आते ही चूरेब रेल हादसा देखा था। उसके बाद रेल में दस लाख करोड़ से अधिक निवेश रेल में किया गया, कैपेसिटी और सेफ्टी को बढ़ाने के बहाने।
कैपेसिटी तो इतनी बढ़ी कि ट्रेनें घड़ी के बजाय कैलेंडर से चल रही हैं। भीषण गर्मी में ट्रेन ऑपरेशन क्रिमिनल #incompetence से हो रहा है।
मंत्री जी वार रूम में बैठे हैं, अब मंत्री जी साइट पर जा रहे हैं। क्या मजाक बन गया है? अब आजकल में ही एक्स और इंस्टाग्राम पर चालू हो जाएगा कि कैसे मंत्री जी रेल गाड़ी और ट्रैक का निरीक्षण कर रहे हैं। मंत्री जी आपके पहले भी रेल चलती थी। रेल अधिकारी और कर्मचारी जानते हैं कि रेल कैसे चलती है, और कैसे चलाई जाती है, आपसे और आपके #IRMS लेवल 16/17 से तो बेहतर ही जानते हैं।
मंत्री जी मजाक बंद करें, मोदी जी ध्यान दें, लोग मर रहे हैं। मोदी जी, हर हादसे को बालासोर की तरह सीबीआई जाँच के बहाने डायवर्ट करके अपने मंत्री की अक्षमता को कब तक दरकिनार करते रहेंगे?
मोदी जी, ये गलती आपकी है, आपने एक अक्षम/अयोग्य व्यक्ति को रेलमंत्री बनाया है, वह भी दुबारा!
ये पूरी तरह से मैनेजमेंट की फेलियर है और जिम्मेदारी मंत्री और उनके द्वारा चयनित IRMS के लेवल 16/17 के #मेंबर, #CRB, #DRM और बोर्ड अधिकारियों की है।
जानते हैं, राष्ट्रीय रेल अकैडमी (#NAIR) जो मैनेजमेंट और सेफ्टी की शीर्षस्थ एकेडमी थी, जिसके नीचे रेल के सारे सेंट्रल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट (#CTI) चलते थे, वह पूरी तरह से बंद कर दी गई है। रेल अधिकारियों, DRM, GM की ट्रेनिंग बंद हो गई, और यहाँ अब रेलमंत्री के मित्र का गति शक्ति विश्वविद्यालय चल रहा है।
रेल में 2019 के बाद इंजीनियरिंग/सिविल अधिकारियों की भर्ती नहीं हुई है। पूरा नीचे का सिस्टम प्रमोटी अधिकारियों के पास चला गया है, जो उसी रेलवे और उसी डिवीजन में जॉइन करके वहीं पूरी सर्विस निकाल देते हैं। हमें किसी अधिकारी की श्रेणी के प्रति दुर्भाव या पूर्वाग्रह नहीं है, लेकिन रेल के मैनेजमेंट में जैसे सभी सरकारी विभागों में होता है, डायरेक्ट और प्रमोटी अधिकारियों का बैलेंस अति आवश्यक है। यदि अगले साल से इंजीनियर और सिविल अधिकारी भर्ती होंगे भी, तो भी सात साल का गैप आ चुका होगा।
हमने कई बार बताया है कि कैसे रेल में चल रहे बड़े भ्रष्टाचार को चुनिंदा बड़े वेंडर और कांट्रेक्टर कंट्रोल करते हैं। इनकी सीधी पहुँच रेल भवन के दूसरे फ्लोर (बोर्ड सदस्य) से लेकर तीसरे (मंत्री और उनका सेल) और पाँचवे (विजिलेंस) फ्लोर तक है।
RDSO को खत्म या महत्वहीन करने से अब रेल टेक्नोलॉजी पर बात करने वाले केवल कुछ बड़े वेंडर ही बचे हैं। #RDSO में आपको ऐसे अधिकारी चाहिए जो राजनेता न हों, politically correct न हों। सच बोलने पर विजिलेंस केस बनाने का फार्मूला अब फेल हो चुका है।
समय आ गया है कि रेल अधिकारियों का रोटेशन पुरानी जोनल रेलों की सीमाओं में होना प्रारंभ हो, पुरानी रेलों को वापस #restore किया जाए। यूनियन पदाधिकारी भी रेल कर्मचारी हैं और सरकार से सैलरी लेते हैं, वह भी ट्रांसफर होने चाहिए। उनका भी रोटेशन होना चाहिए। रेल यूनियनों के पदाधिकारियों के रेल में कार्यरत रिश्तेदारों की लिस्ट सार्वजनिक हो और उनकी पोस्टिंग और प्रमोशन बताए जाएँ।
रेलवे विजिलेंस में चल रहे घोटालों पर श्वेत पत्र निकाला जाए। कैसे अधिकारियों पर केस बने, बंद हुए, और कैसे उन्हें ईमानदारी की कीमत चुकानी पड़ी।
रेल में 2014 के बाद से ही रीएंगेजमेंट/एक्सटेंशन वाले #CRB रहे हैं, बोर्ड कभी बड़ा हो गया, कभी छोटा, इमोशनल इंटेलिजेंस के नाम बहुत बड़ा conflict of interest के साथ मंत्री के सलाहकार ने स्कैम किया। रेल भवन छोटा न करने के बजाय सेफ्टी डायरेक्टोरेट में उन सबको रख लिया गया, जिन्हें दिल्ली में रहना था। ट्रैक पर कौन है?
क्यों #सीमाकुमार, जिनको #MOBD का कार्यकाल ख़त्म होते ही 12 घंटों में दूसरी नौकरी पर रख लिया, की कोई जवाबदेही नहीं? जबकि ये बताया गया कि कैसे उनके ही डायरेक्ट मातहत ने उनका इंटरव्यू लिया, CRB के दबाव में कमेटी ने recommend किया और MOBD के अन्य मातहत ने इसे approve कर दिया। प्रथम दृष्टया कंचनजंगा रेल हादसे में ट्रैफिक विभाग की गलती आ रही है, क्यों सीमा कुमार को इसकी जवाबदेही से दूर रखा जाए?
जब बहुत बड़ी संख्या में #LHB कोच खड़े हैं, तब यात्री गाड़ी #ICF कोच से क्यों चल रही हैं? रेल की कोच फैक्ट्री वन्दे भारत के झुनझुने में लगी पड़ी हैं और रेल का आम यात्री भीषण गर्मी में प्रताड़ित हो रहा है। हमने बताया कि कैसे ग़लत ऑपरेटिंग निर्णयों और उदासीनता से लखनऊ के दोनों मंडलों, जो पूरी तरह से यूनियन द्वारा नियंत्रित हैं, में यात्रियों को टार्चर किया जा रहा है।
#KMG अर्थात् रेल भवन का “खान मार्केट गैंग” पिछले दस सालों में बहुत फला फूला है।
#सुधीरकुमार के ट्रांसफॉर्मेशन डायरेक्टोरेट और बाद में रेलमंत्री पर उनका पूरा नियंत्रण से वेंडरों को फायदा बहुत पहुँचा, लेकिन रेल व्यवस्था पूरी तरह से बैठ गई। अधिकारी भर्ती प्रभावित हुई और सबॉर्डिनेट कर्मचारी भर्ती भी, जिसका खामियाजा मोदी जी आपने इस चुनाव में भुगता है।
मंत्री जी रेल एक्स, यूट्यूब और इंस्टाग्राम पर नहीं चलती है। यह आप कब समझेंगे!
#IRMS का लेवल 16/17, जिससे जीएम और बोर्ड मेंबर बनते हैं, यह अब पूरी तरह से मंत्री के हाथ में है। DRM की अधिकतर जमात मंत्री के सेल के रहमोकरम पर है। इनकी #incompetence क्रिमिनल स्तर की है। आप जिम्मेदारी से नहीं बच सकते-ये आपके चुने हुए हैं-इनको गाली देने से अब कुछ नहीं होगा।
रेल और रक्षा, दो ऐसे विशेष विषय हैं, जो विशेषज्ञता (#expertise) की माँग करते हैं! यहाँ प्रोत्साहन देकर ही सही काम ले सकते हैं, यहाँ हर दिन सुबह-शाम नीचे से ऊपर तक सबको गाली देने से कुछ हासिल नहीं होगा!
हमारे विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि जिस सेक्शन में कंचनजंगा एक्सप्रेस का यह हादसा हुआ है, उस सेक्शन की ऑटोमेटिक ब्लॉक सिग्नलिंग का काम कुछ महीने पहले ही हुआ था। बताया गया कि इसमें क्योसन का सारा इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग का सिस्टम लगाया गया है, जबकि यह काम कोलकाता की सबसे बदनाम सिग्नलिंग फर्म #MRT ने किया है, जिसे हमेशा मंत्री सेल का संरक्षण प्राप्त रहा। इस हादसे से सारे सिग्नलिंग कांट्रेक्टर्स शर्मशार हैं।
और हाँ, ऐसे एक्सीडेंट कवच से भी नहीं बचेंगे। कृपया इस बात को नोट करके रखें, किसी भ्रम में न रहें, और इसकी भी डुगडुगी बजाना बंद करें, क्योंकि आपके इस “कवच” के भीतर बहुत बड़ा झोल है, जो शीघ्र ही उजागर होगा।
मंत्री जी, आपके सफेद कुर्ते पर निर्दोष रेलयात्रियों के खून के दाग हैं। यह दाग किसी सीबीआई जाँच से भी साफ नहीं होंगे!