रेलवे में लाभ पाने का नया तरीका

उमेश गुप्ता 15 दिन पहले तक CPWI दादर के मातहत PWI ग्रांट रोड था।

बताते हैं कि ये जूनियर होते हुए भी पैसे के दम पर अब खुद CPWI दादर बन गया है।

बताया जाता है कि दो साल पहले तक ये अपनी बीवी के नाम पर रेलवे में ठेकेदारी भी करता था और खुद उसका बिल भी बनाता था। यह फाइल CBI ले गई थी!

सूत्रों का कहना है कि जैसे-तैसे किसी तरह CBI केस से बचा और बाद में उक्त टेंडर फाइल को डिवीजन से गायब करा दिया?

अब इस नए सीपीडब्ल्यूआई ने मनचाही दादर में ही पोस्टिंग पाने का एक नायाब तरीका निकाला। जहां मोदी सरकार के डर से सरकारी अधिकारी एक सादा पुष्पगुच्छ भी लेने से कतराते हैं, वहीं हाल ही में, शायद दशहरे के मौके पर, इसने एक ADEN सहित करीब 50 अधिकारियों को चांदी के वजनी सिक्के गिफ्ट किए और उनका शाल-श्रीफल से स्वागत-सत्कार भी किया।

सोशल मीडिया में इसके द्वारा ADEN के सत्कार की फोटो उपरोक्त परिचय के साथ काफी वायरल हुई है।

बढ़िया है लाभ पाने का यह तरीका! परंतु क्या रेल प्रशासन इस तरह की घटनाओं को हमेशा मूकदर्शक बनकर ही देखता रहेगा? सवाल यह भी है कि उसी जगह या उसी सेक्शन में किसी अधिकारी या कर्मचारी की प्रमोशन-पोस्टिंग कहां तक उचित है और क्या नियम विरुद्ध नहीं है?