#KMG व्यवस्था में रेल सिस्टम खतरे में है? अगर अब भी कारगर कदम नहीं उठाए गए तो!
आप पूरी तरह निर्दोष हैं, लेकिन एक विजिलेंस इंस्पेक्टर जिन्हें #RKJha-#RKRai-#AshokKumar जैसे पेशेवर विजिलेंस अधिकारी भ्रष्टाचार और अक्षमता के डेडली कॉम्बिनेशन के साथ डील करते हैं तो आपके पास कोई सहारा नहीं बचता!
एक वरिष्ठ अधिकारी ने डॉ. रवींद्र कुमार – सेवानिवृत्त आईआरपीएस – के रविवार, 16 अप्रैल 2023 को प्रकाशित लेख – “#Venom spitting dragon name #Vigilance” पर अपनी टिप्पणी भेजी है, #Railwhispers उनकी इस तीखी टिप्पणी को थोड़ा संपादित करके अपने पाठकों के सामने रख रहा है।
डॉ. रवींद्र कुमार के लेख को पढ़ा: दिल-दिमाग बुरी तरह बोझिल हो गया, जब वह लिखते हैं:
“I met my Member and shared with him my desire to ‘admit’ charges. He looked surprised and asked me ‘You know the meaning of this? you may be penalised’. I replied in affirmative and informed him I have no physical energy and mental make up to pursue the case, so better it is to admit and be done with it. With the help of same very kind officer I drafted my confession and after a week I was ‘let off’ with a lightest possible penalty. I am forever grateful to understanding and helping people in this chain. I cannot describe in words the feeling of great relief.”
आप जानते हैं कि आप पूरी तरह निर्दोष हैं, लेकिन एक विजिलेंस इंस्पेक्टर जिन्हें #RKJha-#RKRai-#AshokKumar जैसे पेशेवर विजिलेंस अधिकारी भ्रष्टाचार और अक्षमता के डेडली कॉम्बिनेशन के साथ डील करते हैं तो आपके पास कोई सहारा नहीं बचता, हां, यदि आप #AKLahoti साहब जैसी पृष्ठभूमि रखते हैं, तो शायद आपके लिए सारे दरवाजे खुले हैं अपनी बात रखने के लिए!
सबसे बड़ी बात यह कि #RKJha-#RKRai जैसे ऐलानिया भ्रष्ट रेल अधिकारी जब पूरे विजिलेंस विभाग को ‘चकलाघर’ में तब्दील कर देते हैं, तब भी इनका कुछ नहीं बिगड़ता। पैसा लाइए, काम करवाइए। #AshokKumar जैसे अधिकारी बाल्यावस्था से ही विजिलेंस में पालित-पोषित हैं, यह क्या बड़े टेंडर देखकर उस पर विजिलेंस एंगल सर्टिफाई करेंगे? इनके हाथ सैकड़ों अधिकारी डॉ रवींद्र कुमार की तरह न केवल चोटिल होते हैं, बल्कि भीषण मानसिक वेदना से गुजरते हैं, परंतु ये घोषित भ्रष्ट और पूरी तरह अनुभवहीन विजिलेंस इंस्पेक्टर और अधिकारी उनके स्वाभिमान को अपने पैरों तले रौंद देते हैं।
#Railwhispers की मांग से सभी रेल अधिकारी सहमत हैं!
#Railwhispers ने अपने क्राउडसोर्स नेटवर्क से कई बड़े सुझाव दिए हैं:
हर केस में जहां विजिलेंस एंगल बनाए गए हैं वहां विजिलेंस अधिकारी स्पष्ट लिखे कि यदि इस फाइल को वे डील करते तो वे क्या निर्णय लेते और क्यों? अनुशासनिक अधिकारी (#DA) इन दोनों views को – आरोपित अधिकारी और विजिलेंस अधिकारी के निर्णय को तौलकर निर्णय ले कि क्या जो विजिलेंस अधिकारी कह रहा है वह कितना व्यावहारिक (#practical) है!
जिन विजिलेंस के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के और अक्षमता/अयोग्यता के आरोप सिद्ध हुए हैं, जिसके चलते bothced-up इंवेस्टीगेशन इनका नॉर्म रहा, इनको पनिश किया जाए, रेल की गति अवरुद्ध करने के लिए!
क्यों विजिलेंस रिपोर्ट पर यह भी रिकॉर्ड पर लिया जाए कि कौन-कौन से हस्ताक्षर वह हैं जो एक्सटेंशन पर हैं, या जो ओवरस्टे के लोग हैं!
क्यों न अनुशासनिक अधिकारी इस पर भी कमेंट करे कि संबंधित विजिलेंस अधिकारी के पास उक्त केस डील करने का पर्याप्त अनुभव है!
यह एक सामान्य बात मानी जाती है कि आप किसी वकील से चिट्ठी डलवा दीजिए, रेल के रिटायर्ड अधिकारी बहुतायत में ऐसी चिट्ठियां लिखवाते रहते हैं। इनको पता है कि विजिलेंस प्रकोष्ठ में इतनी कॉम्पिटेंस नहीं कि वे इस खेल को समझ सकें। डॉ रवींद्र कुमार को तो उन विजिलेंस इंस्पेक्टरों ने ही निपटा दिया जो उनके द्वारा करवाई परीक्षा में पास नहीं हुए। कितना बढ़िया तरीका था हिसाब बराबर करने का!
डॉ रवींद्र कुमार ने यह बात अपने उच्चाधिकारियों को अवश्य बताई होगी, लेकिन विजिलेंस के पास जो वीटो है उसे झा-राय-अशोक कुमार जैसे लोग भली-भांति प्रयोग करना जानते हैं। बिना गलती किए डॉ रवींद्र कुमार अपनी गलती स्वीकारते हैं और पनिशमेंट लेकर, केस बंद करवाकर व्यवस्था को धन्यवाद देते हैं।
{डॉ रवींद्र कुमार, दक्षिण मध्य रेलवे के सेवानिवृत्त प्रमुख मुख्य कार्मिक अधिकारी (#PCPO) और सुप्रसिद्ध व्यंग्यकार/साहित्यकार हैं!}
क्यों न हर विजिलेंस केस में यह डिक्लेरेशन लगाया जाए कि विजिलेंस इंस्पेक्टर कभी इस अधिकारी द्वारा ली गई परीक्षा में नहीं बैठे! विजिलेंस अधिकारी का कोई स्वयं का कैरियर संबंधी रास्ता तो नहीं प्रशस्त हो रहा! इससे अनुशासनिक अधिकारी के पास स्पष्टता रहेगी।
भले ही आपके 100 केस ‘path breaking’ रहे हों, 101वें केस में आपकी प्रशासनिक गलती भी विजिलेंस एंगल बन सकती है, क्योंकि विजिलेंस वाला आपके इसी केस को देख रहा है, जबकि आपके #PHOD, #GM, #Member आपके बाकी सभी केस को देखते हैं, लेकिन अनुभवहीन और भ्रष्ट विजिलेंस व्यवस्था निर्मम होकर ही आपके केस में अपना स्वार्थ देखेगी। यही है रेल में #KMG की भ्रष्ट व्यवस्था!
उल्लेखनीय है कि अनुभवहीन यदि भ्रष्ट नहीं भी है, तो भी वह, अपने नंबर बढ़ाने के लिए जिद करता है, अड़ा रहता है, कि इस केस में विजिलेंस एंगल है। ध्यान रहे, कहानी इसी एंगल के चलते बनती है।
#Railwhispers ने बार-बार यह बात उठाई की #CVO/#RDSO जैसे नाजुक पद पर एक भगोड़े (#absoconder) को लगा दिया गया और जब तक #Railwhispers ने इसे प्रकाशित नहीं किया था, तब तक कुछ नहीं हुआ। वहीं #RKJha-#RKRai के भ्रष्ट नेक्सस को सब जानते थे, क्यों नहीं इनके ऊपर क्रिमिनल केस दर्ज करवाए गए?
विजिलेंस द्वारा किए botched-up इंवेस्टीगेशन की सूची क्यों नहीं प्रकाशित होती?
क्यों नहीं झा-राय-अशोक कुमार द्वारा डाल किए गए विजिलेंस केसेस की सूची प्रकाशित होनी चाहिए?
क्यों नहीं विजिलेंस में पोस्टेड सभी #SAG और #HAG अधिकारियों के कैरियर प्रोफाइल पब्लिक किए जाते?
डॉ रवींद्र कुमार जैसे कितने दर्दनाक मामले हैं, अब समझ में आता है कि रेल का भविष्य क्यों अंधकारमय है? और इसका कुछ नहीं हो सकता, अगर अब भी कारगर कदम नहीं उठाए गए तो! अकर्मण्य बचते-बचाते नौकरी कर लेते हैं, लेकिन यह केवल रेल में ही संभव है कि ऐसे लोग पुरस्कृत होते हैं – नौकरी में भी और रिटायरमेंट के बाद भी! क्रमशः जारी..
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी