अपनी रनिंग लाइफ को सार्थक बनाएं! मुर्दा नहीं जिंदा कहलाएं लोको पायलट!!

अगर आप रनिंग स्टाफ से हैं, तो आपसे उम्मीद की जाती है कि आप ए-वन मेडिकल देकर भर्ती हों और सबसे खराब परिस्थितियों में भी प्रत्येक मेडिकल ए-वन पास करते हुए आखिरी मेडिकल ६०वें वर्ष में भी ए-वन ही पास हों, तभी रनिंग का लाभ मिलेगा, अन्यथा अनफिट और रनिंग के बेनिफिट्स से वंचित हो सकते हैं।

विभिन्न विषम परिस्थितियों में अपने काम को पूरी सावधानी और सतर्कता के साथ अंजाम देने वाले भारतीय रेल के रनिंग स्टाफ के सामने कड़ी चुनौतियां होती हैं। तथापि उन्हें न सिर्फ अधिकारी वर्ग की फब्तियां और उलाहने सुनने पड़ते हैं, बल्कि वेतन-भत्तों को लेकर अक्सर उन्हें जलन का शिकार भी बनाया जाता है।

जबकि उन्हें अपने काम को पूरी ईमानदारी से अंजाम देने और रेलयात्रियों को सुरक्षित उनके गंतव्य तक पहुंचाने के लिए स्वयं को शारीरिक और मानसिक रूप से पूरी तरह फिट रखने हेतु कड़ा संघर्ष करना पड़ता है।

प्रस्तुत हैं कुछ तथ्य-

★ क्या इंजन के अचानक बजते तेज हॉर्न से कान के पर्दे सुरक्षित रह सकते हैं? क्या ऐसे में हाइपरटेंशन से बचा रहा जा सकता है?

★ क्या लगातार दूर देखने से किसी की भी पास की नजर अप्रभावित रह सकती है?

★ क्या छोटी सी तंग जगह में १० से १२ घण्टे बैठकर आपका डाइजेशन ठीक रह सकता है? क्या लगातार ७ घंटे तक हाजत (नेचरल कॉल) को रोककर काम करना स्टाफ की किडनी और अन्य ऑर्गन को डेमेज होने से बचा सकते हैं?

★ क्या रेलवे, रनिंग स्टाफ को कार्यस्थल पर डायटीशियन के अनुसार भोजन सुविधाएं मुहैय्या कर रही है?

★ क्या क्रू स्टाफ सेकेंड क्लास वेटिंग रूम की तरह रनिंग रूम में खुले दरवाजे के साथ सोकर पूर्ण विश्राम कर सकता हैं?

★ क्या वाकी-टॉकी, रुपये-पैसे, मोबाइल, टार्च, फॉग सेफ्टी डिवाइस और बैग की चिंता में खुले दरवाजे के साथ पूर्ण विश्राम लिया जा सकता है?

★ क्या गर्मी में बिना पंखे के रहा जा सकता है?

★ क्या आप १२ से १६ घंटे काम करके पुनः १६ घंटे में ड्यूटी पर पूर्ण चैतन्य रह सकते हो?

★ क्या आप एक बार १२-१२ घंटे ड्यूटी के बाद ६ घंटे बाद फिर से १२ घंटे ड्यूटी के लिए पूर्ण फिट रह सकते हो?

मतलब यह कि तेज शोर, लगातार नेचरल कॉल को रोककर काम करने, लगातार बदलते परिदृश्य में दूर देखते कंसन्ट्रेशन बनाकर हर एक राउंड ट्रिप के बाद १० घंटे अंडर रेस्ट रहकर भी चुस्त-दुरुस्त रहेंगे!

इस असम्भव को भी सम्भव बनाते हैं लोको पायलट

लोको पायलट रात-दिन जागकर सभी को सुकून का सफर मुहैय्या कराते हैं।

लोको पायलट सेक्शन में सभी १७ विभागों की कमियाँ अटेण्ड करके रेल चलाते हैं।

हम ए-वन भर्ती होते हैं और बीमारियों का जखीरा लेकर रिटायर हो जाते हैं लोको पायलट।

अपने परिवार की तकलीफों में भी परिवार के काम नहीं आ पाते हैं लोको पायलट।

आम और खास को गंतव्य तक सुरक्षित पहुंचाते हैं लोको पायलट।

बदलाव के लिए लिखना सीखें।
अब हाथ पकड़कर कोई लिखना नहीं सिखाएगा।

स्वयं के लिए, रनिंग के लिए, समूह के लिए जीना सीखें लोको पायलट।

रेल को सुरक्षित चलाने के लिए अपनी समस्याओं को प्रभावी तरीके से उचित फोरम तक पहुंचाए रनिंग स्टाफ।