“बिल पास हो गया है, जल्दी आकर मिलो!”
पश्चिम रेलवे कंस्ट्रक्शन एकाउंट्स में चरम सीमा पर व्याप्त है भ्रष्टाचार!
पश्चिम रेलवे कंस्ट्रक्शन में नहीं रह गया है सेंसिटिव पोस्ट का कोई नियम!
अब तो कांट्रेक्टर भी पूछने लगे हैं सेंसिटिव पोस्ट का मतलब!
महोदय, मैं आपके बहुपठित #Railwhispers के माध्यम से एक ज्वलंत मुद्दे पर माननीय रेलमंत्री, चेयरमैन/सीईओ/रेलवे बोर्ड, रेलवे बोर्ड विजिलेंस, महाप्रबंधक/पश्चिम रेलवे, पीएफए/पश्चिम रेलवे और एसडीजीएम/पश्चिम रेलवे का ध्यान आकर्षित कराना चाहता हूं।
श्रीमान जी, पश्चिम रेलवे, चर्चगेट, मुंबई के सर्वे एंड कंस्ट्रक्शन एकाउंट्स डिपार्टमेंट में आजकल व्याप्त भ्रष्टाचार अपनी चरमसीमा पर है। कांट्रेक्टर्स के बिल पास करने वाले कर्मचारियों को उस जगह पर 6 वर्षों से अधिक समय तक बनाए रखकर सीवीसी और रेलवे बोर्ड की गाइड लाइन की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां सेंसिटिव पोस्ट का कोई रूल ही नहीं रह गया है।
महोदय, इसके जन्मदाता यहां एक सीनियर एएफए निरंजन लाल जी हैं, जो इसके पहले मुंबई सेंट्रल में कार्यरत थे। इनके विषय में ऐसा कहा जाता है कि इनके कार्यालय में आने वाले हर कांट्रेक्टर को इनकी जेब में रोज कम से कम 50 से 100 रुपया अवश्य डालना चाहिए। यानि यह 50-100 रुपये में ही यह अपना ईमान बेचने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। इतना गिरा हुआ स्टैंडर्ड है इनका!
महोदय, जब इनका ट्रांसफर सर्वे एंड कंस्ट्रक्शन विभाग, चर्चगेट में हुआ तो बताया जाता है कि अपने बॉस को पट्टी पढ़ाकर एक अन्य सीनियर एएफए का भी सारा चार्ज स्वयं हस्तगत कर लिया। इसके साथ ही कांट्रेक्टर्स के बिल पास करने का भी अधिकार अपने पास रख लिया। जब से इन्होंने ये सारे चार्ज हस्तगत कर लिया, तभी से कांट्रेक्टर्स से अपने सीयूजी मोबाइल से बात करने लगे और फोन पर ही पैसे की डिमांड करते हैं। इनसे ऊबकर कई कांट्रेक्टर्स ने इनका फोन ब्लाक कर दिया है।
महोदय, इस बात के प्रमाण स्वरूप इनकी कॉल डिटेल्स चेक की जा सकती हैं। किसी भी कांट्रेक्टर का बिल आता है तो सारे पैसे ये महाशय एडवांस में ले लेते हैं। बाद में बंटवारा करते हैं। ये तो कांट्रेक्टर्स को डायरेक्ट फोन करके सूचना देते हैं कि “बिल पास हो गया, जल्दी आकर मिलो!” फिर कांट्रेक्टर आता है और इनको एडवांस भुगतान करके अपना बिल लेकर जाता है।
महोदय, इन्होंने अपनी पोस्ट की गरिमा भी नहीं रखी और इतने नीचे गिर गए कि बैंक गारंटी और एफडीआर रिलीज करने के लिए भी पैसे लेना शुरू कर दिया। एक बार इतनी घटिया हरकत किया कि इलेक्ट्रिकल के एक कांट्रेक्टर की एफडीआर रिलीज करने के लिए उससे 50 रुपया ले लिया। इनकी निम्न स्तरीय हरकतों के बारे में जितना भी कहा जाए, उतना कम है।
इन्होंने अपनी सीनियर एएफए की पोस्ट का रत्ती भर भी ख्याल नहीं रखा। अगर इसकी जांच कराई जाए, तो इनकी असलियत का पता चलेगा। मुंबई सेंट्रल से लेकर चर्चगेट तक इनकी भ्रष्ट हरकतों की बहुत तारीफ (चर्चा) होती है। कहा जाता है कि डिप्टी एएफ एंड सीएओ/कंस्ट्रक्शन की बड़ी कृपा है इन पर. मैं भी एक कांट्रेक्टर हूं, पर आज तक मैंने रेलवे में इतना घटिया ऑफीसर नहीं देखा था।
महोदय, इन्होंने बिल पासिंग क्लर्क को 6 साल से भी ऊपर होने के बावजूद ट्रांसफर नहीं होने दिया, क्योंकि इनकी पूरी चेन बनी हुई है लूटने की। हम जैसे छोटे कांट्रेक्टर को अपना पैसा लेने के लिए न जाने कितने दिनों तक भटकना पड़ता है। इनके आगे-पीछे चक्कर लगाने पड़ते हैं। इनकी चिरौरी विनती करनी पड़ती है। कृपया इस मुद्दे की जांच कराई जानी चाहिए।
महोदय, निवेदन है कि कृपया मेरी पहचान उजागर न की जाए, वरना ये लोग मेरा काम करना दूभर कर देंगे।
एक कांट्रेक्टर/इलेक्ट्रिकल, पश्चिम रेलवे, मुंबई
उपरोक्त मामले के संदर्भ में #Railwhispers द्वारा एएफ एंड सीएओ/सी/पश्चिम रेलवे भुवनेश्वरी देवी को अवगत कराया गया। इसके अलावा उन्हें यह भी बताया गया कि डीलिंग स्टाफ लगातार दो-दो, तीन-तीन टर्म एक ही पोस्ट पर बैठा हुआ है, उसका रोटेशन नहीं हो रहा है। यह भी एकाउंट्स विभाग में कदाचार का एक सबसे बड़ा कारण है। उन्होंने दोनों मामलों पर उचित संज्ञान लेने और कार्रवाई करने की बात कही है।
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