ईसीआर एसएलटी स्कैम: सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं! मेरी कोशिश है कि ये सूरत बदलनी चाहिए!
एसएलटी स्कैम के पैसों से जीएम बनने की जुगत की जा रही है, बेनामी संपत्तियों में निवेश, जातिवाद, पक्षपात और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया जा रहा है! पद के दुरुपयोग की कोई बात ही नहीं हो रही है, क्योंकि पद का उपयोग केवल करप्शन को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। रेलवे बोर्ड हाथ पर हाथ धरे बैठा है, उधर पीएम नरेंद्र मोदी की कही बातों पर से लोगों का भरोसा उठ रहा है!
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ की बात कहते हैं, तब उनकी कथनी, करनी और नीयत में कोई अंतर नहीं होता। परंतु जब उनकी इस बात का संदर्भ, सरकारी पदों पर बैठे भ्रष्ट बाबुओं को छोड़कर, केवल विपक्षी अथवा राजनीतिक विरोधियों पर लागू होता दिखाई देता है, तब सरकार के भ्रष्टाचार कम होने के दावों पर हंसी आती है, और तब अदम गोंडवी की यह प्रसिद्ध पंक्तियां बरबस याद आ जाती हैं –
तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है!
मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है!!
रेलवे बोर्ड में बैठे हुक्मरान, जो पूर्व मध्य रेलवे (ईसीआर) में स्पेशल लिमिटेड टेंडर (एसएलटी) स्कैम के वृहद खुलासे के बाद भी कान में तेल डालकर सोये हुए हैं, सैकड़ों करोड़ के स्कैम के उजागर होने के बाद भी मरघट जैसा यह सन्नाटा इस बात की ओर संकेत कर रहा है कि चांडाल चौकड़ी के शातिर सीएओ और मुनीम जी ने या तो सबको सेट कर दिया है, या फिर सबको डरा-धमकाकर मामले को रफा-दफा कर दिया गया है। रेलवे बोर्ड की तरफ से कोई त्वरित कार्यवाही न होने का यह अंदेशा शुरू से ही था, क्योंकि –
यहां तहजीब बिकती है, यहां फरमान बिकते हैं!
जरा तुम दाम तो बोलो, यहां ईमान बिकते हैं!!
ऐसा लगता है कि शीर्ष अधिकारियों और विजिलेंस के लोगों को चढ़ावे का इंतजार था। तो क्या अब यह मान लिया जाए कि चढ़ावा चढ़ने पर रक्षक के रूप में बैठे भक्षक मदमस्त हो गए और संभवतः मामले को दबा दिया गया?
सबसे दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है कि रेलमंत्री की सलाहकार मंडली, जिसे सब कुछ बखूबी पता है, या तो रेलमंत्री तक यह बात पहुंचने नहीं दे रही है, या फिर रेलमंत्री इस मामले में चांडाल चौकड़ी के पैरोकारों के चंगुल में फंसकर उनकी फर्जी कहानी में उलझकर रह गए हैं! जबकि रेलमंत्री को यह जानना आवश्यक है कि इस एसएलटी स्कैम की बंदरबांट किसी भी आवश्यक अपरिहार्य कार्य के लिए नहीं, बल्कि पैसे की उगाही, भाई-भतीजावाद, जातिवाद, पक्षपात और एक खास षड्यंत्र के तहत की गई है।
यही सभी कार्य ओपन टेंडर में कम रेट्स पर भी दिए जा सकते थे और ये वहीं साबित भी हो चुका है कि एक मामले में कमीशन की राशि का निर्धारण न होने पर उस कार्य की एसएलटी निरस्त कर दिया गया। बाद में वही कार्य खुली निविदा में बहुत ही कम दर पर एक प्रतिष्ठित फर्म को दिया गया है। सिविल इंजीनियरिंग के सामान्य कार्य एसएलटी के माध्यम से बांटे गए, इससे भारतीय संविधान में निहित मूल अधिकार – सभी को समानता का अवसर – का खुलेआम उल्लंघन हुआ है।
रेलमंत्री को यह समझना चाहिए कि “यह एसएलटी स्कैम आटे में नमक नहीं, बल्कि नमक में आटे की तरह है। फिर भी ईसीआर के कुछ अधिकारी नमक की रोटी घूस की चटनी के साथ चाव से खा रहे हैं और रेलवे बोर्ड में बैठी सभी अधिकृत अथॉरिटी ऐसा होते हुए मूकदर्शक की भांति केवल टुकुर-टुकुर निहार रही हैं!”
लालकिले की प्राचीर से प्रधानमंत्री द्वारा ‘भ्रष्टाचार मुक्त भारत’ के संकल्प का मखौल उड़ा रहा है यह एसएलटी स्कैम! परंतु रेल मंत्रालय की चुप्पी है। अब और कितने सबूत चाहिए इस करोड़ों के एसएलटी स्कैम की उच्च स्तरीय जांच के लिए? और कितने कारण चाहिए चांडाल चौकड़ी को वहां से तुरंत शंट करने के लिए? पटना से बाहर की सीबीआई से जांच करवा लें, क्योंकि इनके जातपात के भ्रष्टाचार की जड़ें इतनी गहरी हैं कि लोकल सीबीआई पर भी भरोसा नहीं किया जा सकता! यह चांडाल चौकड़ी अपने सदस्यों को बचाने के लिए किसी भी स्तर तक जा सकती है।
शातिर सीएओ और मुनीम जी के चमचे अपने आकाओं के गलत काम को सही ठहराने की कोशिश करते हुए हर जगह लामबंदी कर रहे हैं। रेलमंत्री केवल इतना पता कर लें कि इन वर्तमान भ्रष्ट द्वय के ईसीआर के इस सीएओ और पीएफए की पोस्ट पर आने से पहले सिविल इंजीनियरिंग के कार्यों के लिए कितने रुपये के और किस-किस तरह के कार्यों के एसएलटी दिए गए थे?
यह आंकड़े बहुत हैरत में डालने वाले होंगे, क्योंकि इस चांडाल चौकड़ी के पहले पिछले 4-5 सालों में, जिस दौरान सबसे ज्यादा काम हुए, पूर्व मध्य रेलवे ने एक कुशल प्रशासक के नेतृत्व में नई लाइनों का कीर्तिमान बनाया, उस दौरान सिविल इंजीनियरिंग के इक्का-दुक्का ही एसएलटी हुए, वह भी अर्जेंट नेचर के स्पेशलाइज्ड वर्क्स के लिए! अभी ऐसा क्या हो गया कि एसएलटी का अंबार लग गया? ऐसी क्या अर्जेंसी थी कि सीएओ और मुनीम जी ने सैकड़ों करोड़ के एसएलटी नियम और कानून को ताक पर रखकर अपनी और अपने चहेतों की जेबें भरने के लिए कर दिए?
बाकी सब छोड़िए, वहीं पर, उसी बिल्डिंग में, एकदम बगल में ही, एक और सीएओ बैठा है, जिसने इस फ्रॉड सीएओ से ज्यादा काम करवाया, ज्यादा दूरी/किमी की नई लाइनें खोलीं, उसके मातहत ज्यादा से ज्यादा एक-दो एसएलटी हुए होंगे, वह भी एसएंडटी डिपार्टमेंट के अर्जेंट काम के लिए, जो कि निहायत ही जरूरी थे।
सारे नियम-कानून, दिशा-निर्देशों की खुलेआम धज्जियां उड़ाकर जनरल नेचर के सिविल कार्यों के हाई रेट में, वह भी एसएलटी क्यों हुए, यह कोई राकेट साइंस नहीं है, इसे समझना किसी मूढ़मति सक्षम प्राधिकार के लिए भी कठिन नहीं है! जानकारों का रेलमंत्री से अनुरोध है कि वे अपने चित्त की शांति के लिए किसी भी अन्य रेलवे, जहां सबसे ज्यादा काम हुए हों, वहां के एसएलटी के माध्यम से हुए वर्क्स का नेचर और कुल मूल्य की जानकारी मंगा लें, उनको इस लूट के लिए किसी अन्य प्रमाण की आवश्यकता नहीं रहेगी!
उनका कहना है कि “यह बहुत बड़ा स्कैम है, इसकी निष्पक्ष जांच बहुत आवश्यक है। उससे भी ज्यादा आवश्यक है इस सीएओ और मुनीम जी सहित चांडाल चौकड़ी के सभी सदस्यों को पूर्व मध्य रेलवे से तुरंत बाहर किया जाना, क्योंकि इनके रहते कोई भी निष्पक्ष जांच संभव नहीं है।” वह कहते हैं, “एक बार इस चौकड़ी के सूत्रधारों को रेल-बदर करके इनके समय में हुए सारे कार्यों की जांच निष्पक्ष और स्वतंत्र एजेंसी से करवा ली जाए, सब दूध का दूध और पानी का पानी हो जाएगा!”
जानकर सूत्रों से पता चला है कि रेलवे बोर्ड में बैठे हुक्मरान और चांडाल चौकड़ी के कदरदान इस शातिर सीएओ को पूर्व मध्य रेलवे का पीसीई बनने के लिए उसके हाथ-पांव जोड़ रहे हैं, ताकि उनकी रेगुलर सप्लाई जारी रहे, जिससे कि चांडाल चौकड़ी और मजबूती से अपने भ्रष्टाचार की जड़ें जमा सके। जानकारों ने कहा कि “पीसीई बनने के बाद ये सीएओ, मुनीम जी के साथ मिलकर जो कुछ भी रहा सहा बचा होगा, वह भी लूट लेगा!”
उनका कहना है कि यही सीएओ कुछ दिन पहले पीसीई का लुकिंग ऑफ्टर चार्ज देखते हुए चांडाल चौकड़ी के एक और मेंबर के साथ मिलकर पैसे लेकर ट्रांसफर/पोस्टिंग का खुला खेल खेला तथा बीसियों लोगों को जातपात के नाम पर और पैसा लेकर इधर से उधर किया। अगर रेलमंत्री या रेलवे बोर्ड ने इस पर अविलंब कोई कारगर कदम नहीं उठाया, तो यह अकर्मण्य और घुन्ने जीएम तथा काठ का उल्लू बनकर बैठे एसडीजीएम को बेवकूफ बनाकर अथवा संतुष्ट करके जातपात की फसल काटते हुए भ्रष्टाचार करता रहेगा।
यह भी सुनने में आया है कि “चांडाल चौकड़ी के हिमायती बाकी लोगों, जो कि पीसीई बन सकते थे, का ईसीआर से बाहर ट्रांसफर करा दिया जा रहा है, या फिर यहां आने के इच्छुक सक्षम अधिकारियों को डरा-धमकाकर नाम वापस लेने पर मजबूर किया जा रहा है!”
भारतीय रेल में भ्रष्टाचार का इस तरह का नंगा नाच शायद ही कभी हुआ होगा। विश्वसनीय सूत्रों का कहना है कि “मुनीम जी को संरक्षण देने वाली ताकतें शातिर सीएओ जैसे कुछ अन्य धूर्तों के भी पालन-पोषण का जिम्मा उठा रही हैं। इसकी एवज में सीएओ ने मुनीम जी के साथ मिलकर अपने-अपने चहेतों को रेवड़ी की तरह एसएलटी बांटी हैं!”
सूत्रों का कहना है कि हद तो तब हो जाती है जब जाति के लिए सूरदास बन किसी भी स्तर तक गिरने के लिए तैयार मुनीम जी और शातिर सीएओ का वरदहस्त प्राप्त एक कनिष्ठ अधिकारी, जो कि इन लोगों की ही जाति का है, तथा विजिलेंस के जमाने से ही चोरी और वसूली के लिए कुख्यात है, वह भी नंगा नाच कर रहा है। मुनीम जी के नाम पर लेखा विभाग के कर्मचारियों और अधिकारियों को डरा-धमकाकर वसूली का नया कीर्तिमान बना रहा है। कोई भी कर्मचारी या अधिकारी, यहां तक कि ठेकेदार भी, इस दुर्दांत जूनियर स्केल अधिकारी के खिलाफ बोलने से डर रहे हैं।
सूत्रों का कहना है कि सुना तो यहां तक भी गया है कि इस जूनियर स्केल अधिकारी के यहां ट्रांसफर/पोस्टिंग की अर्जियां लगती हैं और मुनीम जी के नाम पर यह वसूली भी करता है। दुर्भाग्य की बात यह है कि कई सीनियर अधिकारियों को भी उसके दरबार में हाजिरी लगाते देखा गया है। लेखा विभाग के बड़े से बड़े अधिकारी मुनीम जी के इस स्वजातीय जूनियर स्केल अधिकारी से थर-थर कांपते हैं तथा उसको कोई भी काम देने से पहले उसकी सहमति और अनुमति भी लेते हैं।
सूत्रों के अनुसार लेखा स्टाफ में तो इस जूनियर स्केल अधिकारी का डर इस कदर व्याप्त है कि कोई भी स्टाफ इसके बारे में कुछ भी बोलने से डरता है। एक स्टाफ ने बहुत ही डरी-सहमी आवाज में बताया कि अगर कोई भी स्टाफ कुछ पूछ लेता है, जो इन महाशय को पसंद नहीं है, तो उस पर ट्रांसफर की तलवार लटक जाती है। इसी डर और संरक्षण का फायदा उठाकर इसने अपने बेटे को प्रॉक्सी-ठेकेदार बना दिया है। सूत्रों का कहना है कि “कुछ एसएलटी, खासकर एक इलेक्ट्रिकल वर्क का, तो इसके बेटे के लिए ही विशेष रूप से अवार्ड किया गया, ताकि वह अपना झोला भर सके!”
सच कोने में है दुबका, दरारों से झांक रहा है!
झूठ, भ्रष्ट मदमस्त हो, चौराहे पर नाच रहा है!!
चांडाल-चौकड़ी के कर्ता-धर्ता एक-दूसरे की इमेज चमकाने और इनके अहसानों तले दबे अकर्मण्य जीएम को बरगलाने में लगे हैं। जीएम इनके इशारों पर ही नाचते हैं, शायद वह भी इनके डर से इनको खुश रखते हैं। शायद यही कारण है कि प्रधानमंत्री की एंटी करप्शन मुहिम को ठेंगा दिखाती पूर्व मध्य रेलवे की इस चांडाल चौकड़ी ने शान से बिना भय के अपने कुकृत्यों को बदस्तूर जारी रखा हुआ है।
एसएलटी स्कैम के पैसों से जीएम बनने की जुगत की जा रही है, बेनामी संपत्तियों में निवेश, जातपात, पक्षपात और भाई-भतीजावाद को बढ़ावा दिया जा रहा है। पद के दुरुपयोग की कोई बात ही नहीं हो रही है, क्योंकि पद का उपयोग केवल भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने के लिए किया जा रहा है। इधर रेलवे बोर्ड हाथ पर हाथ धरे बैठा है, उधर प्रधानमंत्री की कही बातों पर से लोगों का भरोसा उठ रहा है!
कहने को तो ये लोग भारत सरकार के उच्च अधिकारी हैं, अच्छी जगहों से पढ़े-लिखे होंगे, लेकिन २१वीं सदी में जात-पात के नाम पर इनकी जिहादी मानसिकता, भारत की शिक्षा प्रणाली, इनके संस्कार और प्रथम श्रेणी नौकरी की चयन प्रक्रिया इत्यादि पर गंभीर प्रश्न चिन्ह लगाते हैं।
समर शेष है, नहीं पाप का भागी केवल व्याध!
जो तटस्थ हैं, समय लिखेगा उनके भी अपराध!!
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी
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