रेलवे और रेलवे के पीएसयू में चल रहा “बिड कैपेसिटी” घोटाला

रेलवे और रेलवे के लगभग सभी उपक्रमों (पीएसयू) में “बिड कपैसिटी” का एक और बड़ा घोटाला चल रहा है। बताते हैं कि इस घोटाले तहत प्राइवेट कार्य करने वालों के टेंडर पास किए जा रहे हैं। उनका फाइनेंशियल टर्न ओवर तो काउंट हो रहा है, पर उनके रनिंग प्राइवेट कार्यों की डिटेल्स नहीं मांगी जा रही है।

उल्लेखनीय है कि निर्धारित प्रावधानों के अनुसार, टेंडर प्रतिस्पर्धा में बिडर्स को समान कार्यों के लिए फाइनेंशियल टर्न ओवर के साथ उनके रनिंग कार्यों की डिटेल्स भी अनिवार्य रूप से देनी होती है। परंतु प्रस्तुत मामले में कुछ बिडर्स द्वारा रनिंग प्राइवेट कार्यों की डिटेल्स नहीं दी जा रही है, और न ही संबंधित अधिकारियों द्वारा वह मांगी जा रही है।

इस प्रकार रेलवे और इसके लगभग सभी पीएसयू द्वारा टेंडर्स के निर्धारित प्रावधानों का उल्लंघन करके अंदरूनी सेटिंग के तहत कुछ प्राइवेट प्लेयर्स को ओब्लाइज किया जा रहा है, जो कि सरकार और उसके संस्थानों की न केवल घोषित/निर्धारित नीति के विरुद्ध है, बल्कि इससे सरकार को भारी वित्तीय हानि हो रही है।

#Railwhispers के पास इसके पर्याप्त उदाहरण और साक्ष्य उपलब्ध हैं। इसके अलावा ऐसा लगता है कि इस तरीके से पच्चीसों साल से सरकारी कार्य कर रहे पुराने विश्वसनीय स्टेकहोल्डर्स को बाहर करने की नीति अपनाई जा रही है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार सरकारी कार्य कर रहे कुछ ठेकेदारों ने हाल ही में एक मीटिंग की है, जिसमें ऐसे अवार्ड किए कार्यों, जिनमें प्राइवेट की फाइनेंशियल टर्न ओवर कंसीडर की गई है, उनकी शिकायत कम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया, पीएमओ, सीवीसी, सीबीआई को लिखित शिकायत और अन्य संबंधित विभागों को ज्ञापन दिया जाना तय किया गया है।

बताते हैं कि ठेकेदारों द्वारा संयुक्त रूप से एक केस सुप्रीम कोर्ट में भी दाखिल करने पर विचार-विमर्श किया जा रहा है। जारी…