सहारनपुर शेड में ठेकेदार ने टाटा पाइप के बजाय लगाया लोकल पाइप

अधिकारियों की रही शह, उत्तर रेलवे निर्माण संगठन के कामकाज में भ्रष्टाचार पर कोई अंकुश नहीं

उत्तर रेलवे निर्माण संगठन में बी. के. गर्ग के कार्यकाल से लेकर अब तक एक अनुमान के अनुसार विभिन्न निर्माण कार्यों में हजारों करोड़ का घपला हो चुका है। कहा जाता है कि उत्तर रेलवे निर्माण संगठन में असली भ्रष्टाचार की शुरुआत वास्तव में बी. डी. गर्ग के कार्यकाल से हुई। गर्ग का दिग्भ्रमित करने वाला, अवैध और अनधिकृत रूप से नियम विरुद्ध जारी किया गया वह पत्र आज भी यहां कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा माध्यम बना हुआ है।

यहां दो आइटम देखें:

  1. Same item @₹8.76 per kg & other office is paying @₹16.63

  2. Apollo Pipe is not approved in tender for Saharanpur shed, but DyCE/C/UMB breaked rules.

  • As per tender only #Jindal #TataSteel can be used Tata and Jindal make tubular pipes.

जब ₹90 की आइटम में ₹8 प्रति किग्रा का फर्क रहेगा, तब एक कांट्रेक्टर को ₹8 का फायदा होगा। ऐसे में प्रतिस्पर्धा कहीं नहीं रह जाती।

#सहारनपुर शेड (#खानआलमपुरा) का काम करने वाले ठेकेदार को रेलवे का सबसे बड़ा ‘जगलर’ बताया जाता है, जो हर काम में करोड़ों की हेराफेरी करता है। इस ठेकेदार ने सहारनपुर शेड में टाटा के #TubularTruss पाइप के नाम पर लोकल माल लगाया।

#SAIL #Jindal #Tata की जगह लोकल माल लगाया और पेमेंट भी ₹16 एक्स्ट्रा ले लिया।

दूसरे ठेकेदारों को इसी काम का सिर्फ ₹8 रेट मिला। जबकि संबंधित ठेकेदार को अभी माल की बढ़त का अलग से भुगतान किया जाना है।

ठेकेदार ने ‘स्टेज पेमेंट’ लेकर रेलवे को करोड़ों का चूना अलग से लगाया। गुणवत्ता भी खराब और वजन में भी पूरा मटीरियल नहीं दिया।

कोटेशन पर रेट तय किए। जिनसे माल लिया, उन्होंने जिंदगी में कभी रेलवे को माल सप्लाई नहीं किया।

बाजार स्रोतों के अनुसार वास्तव में लोकल पाइप, #SAIL के चैनल से ₹15 प्रति किग्रा सस्ते हैं। इस तरह संबंधित अधिकारियों ने जानबूझकर ठेकेदार को लाभ पहुंचाया।

जानकारों का कहना है कि #SAIL की वेबसाइट से एक्स-रेट या एमआरपी से यदि ठेकेदार के पाइप खरीद रेट की तुलना की जाए, तो इस महाघोटाले का पर्दाफाश हो जाएगा।

उनका कहना है कि कोटेशन देने वाली कंपनी और संबंधित ठेकेदार को अविलंब ब्लैकलिस्ट किया जाना चाहिए और इस मामले की निष्पक्ष जांच कराई जाए, यही रेल हित में होगा।

यदि बाहरी एजेंसी से जांच हो, तो एक्स्ट्रा पेमेंट यूएसओआर के आइटम नंबर 81031 के बजाय 81011 नंबर में होगा और रेलवे के करीब दो करोड़ का नुकसान बच जाएगा, वरना जैसी चमड़ी, वैसी दमड़ी वाली कहावत चरितार्थ होगी।

Purlin & wind bracing payment are to be done in USOR item no. 081011.

But by the modus operandi: purlin & wind bracing payment are done in item no. 081031.

This description is given in USOR-2010 chapter-8. Difference of ₹25 to be recovered urgently from the contractor.

This bracing is being paid in item 081031 of ₹75 instead of ₹50 in item 081011 & 081012.

Total Material is very poor quality:

  • Procured by unapproved vendors
  • Bogus test reports
  • Poor quality Welding
  • Welding Test not conducted
  • Rusted old material used from scrap dealers

👇#Actual_site_picture

On Vertical Columns, unauthorised joints are provided by providing wastage & scrap pieces, which are not allowed as per IS code.

The officer concerned is now DyG1, who has technically checked the item and both items were checked at Kashmiri Gate by the Same SSE. FA&CAO/C is requested to be correct it.

जेई और एक्सईएन को सहारनपुर से गाजियाबाद तक कहीं कोई कोटेशन नहीं मिला, बल्कि उन्हें दिल्ली (रिठाला) के ठेकेदार से यह कोटेशन मिला, जबकि गाजियाबाद में पाइप की बड़ी मंडी है।

रिठाला से कोटेशन लेना ही इस मामले में कमीशनखोरी और भ्रष्टाचार को उजागर करता है। इसमें दोनों ने टीए भी बनाया होगा!

उत्तर रेलवे निर्माण संगठन द्वारा किए गए ऐसे तमाम कार्यों की सीबीआई से जांच कराए जाने की मांग कई वरिष्ठ रेलकर्मियों सहित ठेकेदारों ने भी की है।