यात्रियों के जान-माल के साथ खिलवाड़ करता रेलवे का पार्सल स्टाफ
रेलवे को हो रहा प्रतिदिन करोड़ों का नुकसान, घूम-फिरकर सालों से पार्सल में ही जमे कर्मचारी हो रहे मालामाल, रेलवे हो रही कंगाल!
रेल मंत्रालय (रेलवे बोर्ड) ने अभी-अभी जून’22 में 125.50 मीट्रिक टन माहवार फ्रेट लोडिंग का नया कीर्तिमान स्थापित करने का ऐलान किया है। भारतीय रेल का यह आंकड़ा बढ़कर दोगुना हो सकता है अगर फ्रेट और पार्सल/गुड्स की ओवर लोडिंग और इसमें हो रही चोरी या लूट को नियंत्रित कर लिया जाए। जानकारों का मानना है कि ऐसी कोई ट्रेन नहीं, जिसकी एक भी एसएलआर ओवर लोड होकर न जा रही हो। और अगर माल ज्यादा है, तो गाड़ियों में ज्यादा पार्सल वैन (एसएलआर) लगाई जानी चाहिए! ओवर लोडिंग और अवैध कमाई के अवसरों को समाप्त किया जाना चाहिए! वरिष्ठ नागरिकों की रियायत खत्म करके कमाई दिखाने के बजाय इस अवैध और अनावश्यक छीजन अर्थात कुछ रेलकर्मियों एवं पार्सल एजेंटों की चोरी को रोककर रेल प्रशासन अपनी कमाई बढ़ाए!
बुधवार, 29 जून 2022 को पटना पहुंची ट्रेन नं. 13202 के एसएलआर की जब जांच की गई, तो उसमें उसकी क्षमता (3.9 टन) से डेढ़ गुना अधिक सामान भरा पाया गया, जो कि रेल दुर्घटना होने का गंभीर कारण बन सकता था। पता चला है कि इस जांच के लिए यहां पहले से ही स्टाफ को तैनात किया गया था, क्योंकि दानापुर मंडल के वाणिज्य विभाग को पहले से ही इस बात की सूचना मिली थी कि उक्त एसएलआर में उसकी क्षमता से अधिक सामान लोड किया गया है।
विश्वसनीय सूत्रों से मिली अधिक जानकारी के अनुसार पार्सल विभाग के कर्मचारियों की पार्सल एजेंटों के साथ मिलीभगत के चलते पूरी भारतीय रेल में रेल राजस्व को प्रति दिन करोड़ों रुपये का चूना लगाया जा रहा है। सूत्रों ने बताया कि उपरोक्त ट्रेन में मनमाड़ पार्सल स्टाफ द्वारा अनार के 230 कार्टून और मछली के 6 पैकेज भी लोड किए गए थे। सूत्रों के अनुसार यह 236 कार्टून/पैकेज लोड करने के बाद एसएलआर का कुल लोड नासिक रोड में ही उसकी क्षमता से अधिक हो गया था।
सूत्रों का कहना है कि इसकी जानकारी सीनियर डीसीएम/भुसावल को अपने सूत्रों ने मिलने पर भुसावल स्टेशन पर इन सभी 236 कार्टूनों/पैकेजों को उतारा गया और मनमाड़ के दो कर्मचारियों को सीनियर डीसीएम/भुसावल द्वारा तत्काल निलंबित किया गया तथा उनके विरुद्ध सख्त विभागीय कार्यवाही के निर्देश भी दिए गए हैं।
इसी क्रम में सूत्रों ने बताया कि कल्याण स्टेशन पर उक्त गाड़ी के एसएलआर में करीब 2 टन माल लोड किया गया था। इसके बाद भी नासिक पार्सल स्टाफ द्वारा दो रसीद का 3.7 टन माल लोड करके प्रॉपर दिखाया गया, जबकि यह मान्य क्षमता से अधिक था। इसके बावजूद और एक रसीद, (कुल वजन लगभग 720 किलो), को भी लोड किया गया और उसे सिस्टम से छिपाया भी गया, यानि उसे रिकॉर्ड में नहीं लिया गया। यह अवैध तरीका पार्सल स्टाफ की मिलीभगत से लोडिंग पार्टियों द्वारा अपनाया जाता है। जांच होने या पकड़े जाने पर, यह कहकर कि उनकी जानकारी के बिना पार्टी द्वारा लोड कर दिया गया, पार्सल स्टाफ द्वारा अपना पल्ला झाड़ लिया जाता है।
उल्लेखनीय है कि प्रत्येक पार्सल स्टाफ को प्रत्येक एसएलआर की मान्य क्षमता बखूबी ज्ञात होने के बाद भी उसकी क्षमता से कई गुना अधिक ओवर लोड करके रेलवे की संरक्षा-सुरक्षा को दांव पर लगाया जा रहा है। यह अवैध कार्य अवैध रूप से करके लंबे समय से कोई न कोई तिकड़म करके पार्सल डिपुओं में ही जमे कर्मचारियों द्वारा न केवल रेलवे को करोड़ों का चूना लगाकर अपनी जेबें भरी जा रही हैं, बल्कि गाड़ियों में यात्रा करने वाले सैकड़ों यात्रियों के जान-माल के साथ भी खिलवाड़ किया जा रहा है।
जानकारों का कहना है कि इस प्रकार से न जाने कितने कर्मचारी व्यापारियों के साथ साठगांठ करके ओवरलोडिंग, बगैर बुकिंग, कम स्केल की बुकिंग को अधिक स्केल की गाड़ियों में लोडिंग करके रेलवे में रहकर रेलवे के लिए ही पैरासाइट बने हुए हैं और लगातार रेलवे को खोखला किए जा रहे हैं।
उनका यह भी कहना है कि इस प्रकार के कुछ खास कर्मचारी प्रशासन में भी अपनी मजबूत पकड़ बनाए रखते हैं और रोटेशन, ट्रांसफर के नियमों को ताक पर रखकर अपनी मर्जी से मलाई वाली जगहों पर अपने आकाओं अथवा यूनियनों के आशीर्वाद से एक ही जगह पर लंबे समय से चिपके हुए हैं। सभी संबंधित वाणिज्य अधिकारियों को भी इस सारी बंदरबांट का बखूबी पता है, परंतु यूनियन पदाधिकारियों की दादागीरी और अशांति पैदा करने की उनकी नुइसेंस से बचे रहने के लिए सब कुछ देखकर भी अनदेखा किया जा रहा है।
जानकारों का यह भी कहना है कि विजलेंस भी ऐसे कर्मचारियों का कुछ नहीं बिगाड़ पाता है, क्योंकि विजलेंस द्वारा भेजी गई चार्टशीट मंडल कार्यालय तक आते-आते कहां गायब हो जाती है, किसी को पता भी नहीं चलता। यहां तक कि मौके अथवा कमाई की जगह पर कोई जगह खाली नहीं होने पर कुछ जुगाड़ू कर्मचारी किसी बहाने विजिलेंस की जांच और उसकी सिफारिश पर किसी कर्मचारी को वहां से शिफ्ट करवाकर स्वयं उस जगह पदस्थ होने में सफल होते हैं। ऐसे भी कई उदाहरण हैं। वहीं छोटे-मोठे कर्मचारियों को छोटी से छोटी गलती पर मेजर (एसएफ-5) या माइनर पेनाल्टी चार्जशीट (एस एफ-11) तुरंत थमा दी जाती है। यही नहीं, कईयों का तो इतनी सी ही बात पर तुरंत अन्यत्र ट्रांसफर भी कर दिया जाता है।
जानकारों का मानना है कि ऐसे प्रमाणित मामलों में किसी कर्मचारी के केवल निलंबन का कोई मतलब नहीं है, बल्कि ऐसे मामलों के संज्ञान में आते ही संबंधित कर्मचारी का निलंबन के साथ ही दूर-दराज के स्टेशनों पर तुरंत ट्रांसफर होना चाहिए। इसके साथ ही, ऐसे में उसका कार्यकाल पूरा हुआ है या नहीं, यह नहीं देखा जाना चाहिए। यदि उक्त स्टेशन पर उस ग्रेड की पोस्ट न हो तो उसे पोस्ट के साथ स्थानांतरित किया जाए और उसके स्थान पर वहां की छोटी पोस्ट लाकर काम कराया जाए। तब शायद कुछ ठीक हो सकेगा।
बहरहाल, रेलवे पार्सल में हो रही बड़ी-बड़ी धांधलियों की यह एक बहुत छोटी सी मिसाल है। रेलवे पार्सल में सबसे बड़ा भ्रष्टाचार पार्सल स्टाफ की पोस्टिंग में है, और यह पूरी भारतीय रेल के प्रत्येक पार्सल डिपो की कहानी है। पहले भुसावल स्टेशन पर, फिर पटना जंक्शन पर यह प्रमाणित हुआ है कि ट्रेन नं. 13202 की एसएलआर लगभग डबल ओवर लोडेड थी। अब देखना यह है कि सीनियर डीसीएम/भुसावल, नासिक रोड एवं मनमाड़ के संबंधित पार्सल कर्मचारियों के विरुद्ध क्या कड़ी कार्रवाई कर पाते हैं!
सीनियर डीसीएम/भुसावल शिवराज पी. मानसपुरे के बारे में बताया गया है कि बहुत सख्त हैं। उन्होंने बड़े अधिकारियों के कथित रिश्तेदारों की फालतू प्रोटोकॉल के नाम पर मौजमस्ती करने वाले नासिक एवं मनमाड़ के वाणिज्य कर्मचारियों पर कड़ी लगाम लगाई है। स्टाफ की कई अन्य वाणिज्यिक अनियमितताओं पर भी उनकी पैनी नजर है। वह अपने सख्त अनुशासन, नियम और ईमानदारी से प्रशासन को चुस्त-दुरुस्त करने में लगे हैं। अब देखना यह है कि कामचोर, भ्रष्टाचार में लिप्त जुगाड़ू पार्सल स्टाफ एवं अन्य भ्रष्ट वाणिज्य कर्मचारियों के प्रति वह क्या मिसाल कायम करते हैं? क्रमशः
प्रस्तुति: सुरेश त्रिपाठी
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