झंझारपुर-निर्मली आमान परिवर्तित रेलखंड तथा निर्मली-आसनपुर कुपहा नई रेल लाइन का उद्घाटन
88 वर्षों बाद विभाजित मिथिलांचल के बीच स्थापित हुआ रेल संपर्क
कोसी नदी के दोनों छोरों पर बसे लोगों की पूरी हुई वर्षों पुरानी मांग
गोरखपुर ब्यूरो: रेल, संचार, सूचना एवं प्रौद्योगिकी मंत्री, भारत सरकार अश्विनी वैष्णव, द्वारा शनिवार, 7 मई 2022 को नई दिल्ली से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पूर्व मध्य रेलवे के झंझारपुर-निर्मली नव आमान परिवर्तित रेलखंड (32 किमी) तथा निर्मली-आसनपुर कुपहा नई रेल लाईन (6 किमी) का उद्घाटन किया गया। तत्पश्चात रेलमंत्री ने नए रेलखंड पर ट्रेन सेवाओं के परिचालन का शुभारंभ गाड़ी संख्या 05553 झंझारपुर-सहरसा डेमू स्पेशल को उद्घाटन हरी झंडी दिखाकर किया।
इस अवसर पर रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से झंझारपुर में उपस्थित गणमान्य अतिथियों एवं जनसमूह को संबोधित करते हुए कहा कि आज का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि आज 88 वर्षों के बाद इस क्षेत्र की एक बहुत बड़ी समस्या का समाधान हुआ है।
रेलमंत्री ने कहा कि इस रेलखंड के चालू हो जाने से कोसी नदी के दोनों छोर के लोगों की वर्षों पुरानी लंबित मांग पूरी हो रही है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री का विजन है कि पूर्वी क्षेत्र के उदय से ही भारत का उदय संभव है। साथ ही उन्होंने कहा कि बिहार में रेल अवसंरचना एवं यात्री सुविधा के विकास कार्यों हेतु इस वर्ष ₹6600 करोड का आवंटन किया गया है।
इस अवसर पर झंझारपुर स्टेशन पर भी एक समारोह का आयोजन किया गया जिसमें ऊर्जा, योजना एवं विकास मंत्री, बिहार सरकार, बीजेंद्र प्रसाद यादव, परिवहन मंत्री, बिहार सरकार, श्रीमती शीला कुमारी, सांसद (झंझारपुर) रामप्रीत मंडल, सांसद (सुपौल) दिलेश्वर कामैत, सांसद (मधेपुरा) दिनेश चन्द्र यादव, विधायक (झंझारपुर) नीतीश मिश्रा सहित कई गणमान्य उपस्थित थे।
विदित हो कि यह रेल परियोजना 206 किमी लंबे सकरी-लौकहा बाजार-निर्मली एवं सहरसा- फॉरबिसगंज आमान परिवर्तन परियोजना का भाग है। इस परियोजना की कुल स्वीकृत लागत ₹1584 करोड़ है। इसके साथ ही ₹491 करोड़ की लागत से कोसी मेगाब्रिज का निर्माण किया गया है जिसे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 18 सितंबर, 2020 को देश को समर्पित किया था। इस 32 किमी लंबे झंझारपुर-निर्मली आमान परिवर्तन तथा 6 किमी लंबी निर्मली-आसनपुर कुपहा नई रेल लाइन के निर्माण पर ₹456 करोड़ की लागत आयी है।
इस रेलखंड के चालू हो जाने से 88 वर्षों के बाद दो भागों में विभाजित मिथिलांचल के बीच रेल संपर्क पुनः स्थापित हो जाएगा। इससे इस क्षेत्र के लोग रेलवे के विशाल नेटवर्क से जुड़ जाएंगे, इससे लोगों के लिए आर्थिक समृद्धि का द्वार भी खुलेगा।