टॉयलेट की गंदगी यात्री पर पंप हुई, फर्म पर मढ़ा गया दोष, बरी हुए अधिकारी

रेल प्रशासन यात्री सुविधाओं पर बड़ी-बड़ी बातें तो करता ही है, हजारों करोड़ रुपये भी इस मद में खर्च किया है। परंतु हाल ही में जो शर्मनाक घटना राजधानी एक्सप्रेस में घटी, उससे रेल प्रशासन के तमाम दावों की पोल खुल गई।

रेल प्रशासन द्वारा यात्री सुविधाओं को लेकर जो तमाम दावे किए जाते हैं, वह लगभग राजनीतिक दलों के दावे जैसे साबित हो रहे हैं। शुक्रवार, 15 अप्रैल 2022 को बिलासपुर राजधानी एक्सप्रेस में एक शर्मनाक घटना घटी। नागपुर से नई दिल्ली जा रही एक महिला जब ट्रेन के टॉयलेट का उपयोग करने पहुंची, तो फ्लश बटन दबाते ही टॉयलेट की सारी गंदगी उसके शरीर पर आ गिरी।

यह घटना करीब 9:00 बजे सुबह की है। घटना बिलासपुर राजधानी के बी-10 कोच के टॉयलेट में घटी थी। अमरावती का रहने वाला यह परिवार राजधानी एक्सप्रेस से नई दिल्ली जा रहा था। इस परिवार को निजामुद्दीन से दूसरी ट्रेन पकड़कर वैष्णो देवी जाना था। लेकिन इस घटना के बाद पूरा परिवार सदमे का शिकार हो गया।

परिवार ने ट्रेन में शिकायत दर्ज करने के लिए कंप्लेंट बुक मांगी, लेकिन ट्रेन में कंप्लेंट बुक उन्हें उपलब्ध नहीं कराई गई।

लगभग 11:00 बजे नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पहुंचने के बाद परिवार ने स्टेशन पर ही शिकायत दर्ज कराई। शिकायत के बाद बिलासपुर राजधानी एक्सप्रेस के बी-10 कोच के टॉयलेट को रेलवे के कई स्टाफ ठीक करने पहुंचे। यह घटना बायो टॉयलेट में घटित हुई थी।

उल्लेखनीय है कि बायो टॉयलेट को रेलवे ने सबसे बेहतर विकल्प बताया था। इस पर हजारों करोड़ रुपये भी खर्च हुए हैं। टॉयलेट को साफ रखने के लिए रेल प्रशासन द्वारा ट्रेनों में बायो टॉयलेट ही लगाए जा रहे हैं। लेकिन ऐसी घटना का घटित होना वास्तव में शर्मनाक है। इस घटना के बाद अब लोगों को ट्रेन के टॉयलेट का उपयोग करने में अत्यंत सावधानी बरतनी होगी।

यहां यह भी उल्लेखनीय है कि जब से ट्रेनों में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं, साफ-सफाई भले ही थोड़ी बढ़ी है, मगर इनके ओवरफ्लो होने, बजबजाने और भयानक बदबू मारने जैसी शिकायतों की भी बाढ़ आई है और यह शिकायतें लगातार बनी हुई हैं। इन्हें लेकर रेल प्रशासन की हालत सांप-छछूंदर जैसी हो गई है, न निगलते बन रहा है, न उगलते। परिणाम यह हुआ है कि रेल प्रशासन ने बायो टॉयलेट की कसीदाकारी करना अब बंद कर दिया है।

इस घटना की छानबीन करने पर रेलवे बोर्ड और उत्तर रेलवे के सक्षम अधिकारियों के बीच जो संवाद हुआ, उसकी जानकारी #Railwhispers को प्राप्त हुई है, जो यहां ज्यों की त्यों प्रस्तुत है –

[17/04, 8:18 AM] EDME/Chg/RlyBd:
टॉयलेट की सारी गंदगी यात्री पर गिरी, राजधानी एक्सप्रेस में घटित हुई शर्मनाक घटना –

[17/04, 8:26 AM] EDME/Chg/RlyBd:
NR to advise problem so that other railways may also check the same.

[17/04, 8:31 AM] CRSE/Chg/NR: Sir, during the investigation it is observed that the system is creating back flow when flush button is pressed during positive pressure duration of the cycle.

A flush cycle in bio-vacuum toilet consists of following stages –

Stage 1: Water supply to Pan, Outlet Pinch Valve Closes.

Stage 2: Vacuum Generation in Intermediate tank through Ejector.

Stage 3: Inlet Pinch Valve Opens and waste gets sucked from pan to Intermediate tank.

Stage 4: Inlet pinch valve closes.

Stage 5: Positive Pressure gets generated in vacuum tank.

Stage 6: Outlet Pinch Valve opens and waste transfers from intermediate tank to Bio-digester.

Stage 7: Water supply in the pan to maintain  a small water level.

In the current case, if flush button is pressed when the flush cycle is in stage 5, back flow is happening.

This incidence took place due to the error in wiring from junction box to push button (wire no. 1, which is for flush button LED, connected to push button instead wire no. 3).

Firm concerned is responsible as it is a case of error in wiring done by the firm during its last warranty attention and also the software should be made fail safe. In no case the flushing system in bio-vacuum toilet should have back flow issues.

एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर/मैकेनिकल इंजीनियरिंग/कोचिंग/रेलवे बोर्ड (ईडी/एमई/कोचिंग/रे.बो.) और चीफ रोलिंग स्टॉक इंजीनियर/कोचिंग/उत्तर रेलवे (सीआरएसई/कोचिंग/उ.रे.) के बीच हुए उपरोक्त संवाद का कुल निष्कर्ष यही है कि इस घटना के घटित होने में रेलवे का कोई दोष नहीं है। इसके लिए पूरी तरह से उक्त फर्म दोषी है, जिसने इस बायो टॉयलेट को लगाया है। प्रश्न यह है कि अगर वायरिंग में गड़बड़ी थी, तो यह उस दिन ही क्यों सामने आई?

सवाल यह भी उठता है कि अगर केवल फर्म ही दोषी है या सारी जिम्मेदारी फर्म की ही है, तो रेलवे के उन संबंधित अधिकारियों और सुपरवाइजरों की जिम्मेदारी क्या है, जो उक्त बायो टॉयलेट को लगाए जाने के समय उसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे?

इसके अलावा, सवाल यह भी है कि इससे पहले ऐसी घटना क्यों नहीं घटित हुई थी? क्या उक्त बायो टॉयलेट का उपयोग पहली बार उक्त यात्री ने किया था? क्या उससे पहले किसी यात्री द्वारा उक्त बायो टॉयलेट का उपयोग नहीं किया गया था? अगर नहीं, तो यह घटना उस दिन ही क्यों घटित हुई? और इसकी वास्तविक जिम्मेदारी किसकी है?

सवाल यह भी है कि रेलवे की ऐसी गलतियों या कमियों का खामियाजा वह यात्री क्यों भुगतें, जो राजधानी ट्रेनों में हजारों रुपये का किराया देकर यात्रा करते हैं?

#Bio_Toilet #RajdhaniExpress