गलती का त्वरित सुधार ही, गलती न दोहराने का सर्वोत्तम उपाय है!
डीआरएम/इलाहाबाद को वापस लेना पड़ा अपना नियम विरुद्ध और अनाधिकार आदेश
डीआरएम/इलाहाबाद द्वारा सीनियर डीसीएम को तुरंत प्रभाव से ट्रांसफर करने का जो नियम विरुद्ध और अनाधिकार आदेश 29 नवंबर को जारी किया गया था, प्राप्त जानकारी के अनुसार उसे कल 3 दिसंबर को वापस ले लिया गया है।
उल्लेखनीय है कि इस संबंध में ‘कानाफूसी.कॉम’ ने कल ही “डीआरएम/इलाहाबाद नि किया जीएम और रेलवे बोर्ड के अधिकारों का अतिक्रमण” शीर्षक खबर प्रकाशित की थी। डीआरएम और रेल प्रशासन ने इस खबर को गंभीरता से लिया तथा उचित कदम उठाते हुए गलती का सुधार कर किया।
बड़े-बुजुर्गों ने सही ही कहा है कि गलती समझ में आने के बाद जितनी जल्दी उसका सुधार कर लिया जाए, उतना ही अच्छा है। अतः डीआरएम/इलाहाबाद ने अपनी गलती का अहसास करते हुए उसका सुधार कर लिया। इससे बेहतर और कोई बात नहीं हो सकती।
तथापि यहां यह देखना भी जरूरी है कि यदि आवेश में आकर किसी वरिष्ठ अधिकारी से इस प्रकार की कोई गलती हो रही हो, तो तत्काल उसे इसका संज्ञान कराना कार्मिक विभाग का दायित्व है। यह दायित्व निभाने के बजाय कार्मिक विभाग ने जस का तस डीआरएम के आदेश का पालन किया। उसका यह कृत्य चमचागीरी और चापलूसी में गिना जाएगा, जबकि उसका असली दायित्व नियम और प्रक्रिया का पालन करना और करवाना है।
बहरहाल, ‘अंत भला तो सब भला’ वाली कहावत को चरितार्थ करते हुए अब आगे ऐसी स्थिति को न दोहराया जाए, इस बात का ध्यान रखना जरूरी है।