डीआरएम/इलाहाबाद ने किया जीएम और रेलवे बोर्ड के अधिकारों का अतिक्रमण

नियम विरुद्ध और गैरकानूनी है डीआरएम/इलाहाबाद द्वारा किया गया सीनियर डीसीएम का ट्रांसफर

डीआरएम कब से किसी ब्रांच अफसर की ड्यूटी लिस्ट बदलने और ट्रांसफर करने के लिए एम्पावर हो गए!

प्रयागराज: उत्तर मध्य रेलवे में सिस्टम सही ढ़ंग से नहीं चल रहा है। यही वजह है कि मंडल रेल प्रबंधक (डीआरएम) इलाहाबाद अमिताभ ने शुक्रवार, 29 नवंबर को अचानक और अकारण सीनियर डीसीएम/इलाहाबाद नवीन दीक्षित का उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय में ट्रांसफर कर दिया तथा उन्हें तत्काल चार्ज छोड़ने का भी आदेश दनदना दिया। जबकि इसका उन्हें कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। इसके अलावा उन्होंने इस संबंध में जीएम अथवा प्रिंसिपल सीसीएम या कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी (प्रिंसिपल सीओएम) को भी विश्वास में लेने की जरूरत नहीं समझी और न ही उनकी कोई संस्तुति ली, जबकि इसके बिना वह ऐसा कोई काम नहीं कर सकते थे।

पहली बात यह है कि जब डीआरएम को किसी ब्रांच अफसर को ट्रांसफर करने अथवा उसकी ड्यूटी लिस्ट बदलने का कोई अधिकार प्राप्त नहीं है। यह अधिकार सिर्फ मुख्यालय को ही है। इस मामले में रेलवे बोर्ड के स्पष्ट दिशा-निर्देश हैं। तब डीआरएम/इलाहाबाद ने किस अथॉरिटी से यह दोनों कार्य करने की कुचेष्टा की? डीआरएम की इस कुचेष्टा के विरुद्ध जीएम सहित रेलवे बोर्ड को भी गंभीर संज्ञान लेना चाहिए। यदि ऐसा नहीं होता है, तो इससे एक गलत परंपरा का उदय होना निश्चित है। यह कहना है कई वरिष्ठ अधिकारियों का।

उत्तर मध्य रेलवे मुख्यालय के विश्वसनीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार इलाहाबाद मंडल में कैटरिंग और नॉन फेयर रेवेन्यू (एनएफआर) के मामलों को लेकर चल रही खींचतान में कुछ विवाद हुआ। सूत्रों का कहना है कि इसे लेकर एकाउंट्स विभाग ने आठ मामलों में से एक मामले में कुछ सवाल उठाए थे, क्योंकि लेखाधिकारी भी डरे हुए हैं और वह कोई जोखिम लेने को इसलिए तैयार नहीं हैं, क्योंकि हाल ही में लेखाधिकारी सहित एक टेंडर कमेटी के तीनों मेंबर्स को विजिलेंस की चार्जशीट पकड़ाई गई है।

सूत्रों ने बताया कि इसी दरम्यान डीआरएम ने रेलवे बोर्ड की एसओपी को ताक पर रखकर और जीएम एवं पीसीओएम/पीसीसीएम को बताए बिना ही एक स्टेशन डायरेक्टर और सीनियर डीसीएम की ड्यूटी लिस्ट बदल दी। नियमानुसार डीआरएम का यह कृत्य दोनों पदों को आपस में बदलने जैसा है। जबकि इसका अधिकार उन्हें प्राप्त नहीं है। सूत्रों का कहना है कि फाइल मांगे जाने संबंधी अपना लिखित जवाब सीनियर डीसीएम ने डीआरएम को भेज दिया था। तथापि उक्त जवाब पढ़े बिना ही वह फाइल दे देने के लिए इसलिए अड़े हुए थे, क्योंकि स्टेशन डायरेक्टर ने उनके कान पहले से ही भर दिए थे।

इसके बाद नियम विरुद्ध और गैरकानूनी रूप से डीआरएम ने तत्काल जो किया वह सबके सामने है। जारी आदेश में पीसीसीएम के बजाय पीसीएमएम को सूचनार्थ कॉपी भेजी गई, जो कि न सिर्फ मूर्खतापूर्ण है, बल्कि इससे यह जाहिर होता है कि उक्त आदेश जारी करने की डीआरएम को कितनी जल्दी थी। जबकि जीएम और पीसीओएम, जो कि सीनियर डीसीएम की कैडर कंट्रोलिंग अथॉरिटी हैं, को कोई कॉपी भेजने अथवा सूचित करने की जरूरत भी डीआरएम ने महसूस नहीं की। इससे यह जाहिर है कि सिस्टम को ताक पर रखने वाले डीआरएम कितने मगरूर हैं!

सूत्रों का कहना है कि नॉन फेयर रेवेन्यू को लेकर जोनल और मंडल मुख्यालय तथा स्टेशन डायरेक्टर के स्तर पर जिस तरह की खींचतान मची हुई है, उससे सिर्फ उत्तर मध्य रेलवे को ही अब तक सैकड़ों करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है। यही वजह है कि गत सप्ताह एक विज्ञापन ठेकेदार ने सीनियर डीसीएम/झांसी की शिकायत जीएम राजीव चौधरी से की थी, जिस पर बताते हैं कि जीएम ने कहा कि कुछ सड़े-गले अधिकारी नहीं चाहते हैं कि रेलवे तरक्की करे! यह मामला अगली खबर का विषय है।

फिलहाल सूत्रों का कहना है कि पीसीओएम और पीसीसीएम दोनों वरिष्ठ विभाग प्रमुखों ने सीनियर डीसीएम/इलाहाबाद नवीन दीक्षित को अपनी वर्तमान जगह पर पूर्ववत काम करते रहने को कहा है। अब देखना यह है कि तथाकथित ईमानदार रेलमंत्री, डीआरएम/इलाहाबाद जैसे मगरूर और अहंमन्य अधिकारियों के विरुद्ध कौन सा अनुशासनिक कदम उठाते हैं?