रिजनरेटिव ब्रेकिंग प्रणाली से हो रही ऊर्जा की बचत
गोरखपुर ब्यूरो: रेल पथ के विद्युतीकरण से तेजगति की प्रदूषण रहित एवं किफायती रेल संचालन की सुविधा उपलब्ध हो गयी है। इसके साथ ही आधुनिक तकनीकी के 3-फेज इलेक्ट्रिक लोकोमोटिव में रिजेनरेटिव ब्रेकिंग की व्यवस्था कर दी गयी है, जिससे ब्रेक लगाने के दौरान उत्पन्न होने वाली गतिज ऊर्जा इलेक्ट्रिक ऊर्जा में परिवर्तित हो जाती है तथा रेल संचालन में होने वाले खर्च में कमी आती है।
रिजेनरेटिव ब्रेकिंग एक सामान्य ब्रेकिंग व्यवस्था है, जिसमें ट्रेन में ब्रेक लगाने के दौरान उत्पन्न होने वाली गतिज ऊर्जा (कायनेटिक एनर्जी), विद्युत ऊर्जा के रूप में परिवर्तित होकर ओवर हेड इक्वीप्मेंट (ओईएच) में पहुँचती है, जिसका उपयोग रेल संचालन में होने वाली ऊर्जा के रूप में होता है।
इस प्रणाली में लोकोमोटिव में पहिये के ब्रेक ब्लाॅक के बिना फिजिकल प्रयोग के ब्रेक लगता है। अतः ब्रेक ब्लाॅक के पहिये पर न रगड़ने से पहिये और ब्रेक ब्लाॅक में कोई घिसाव नहीं होता है। इससे भी रेल राजस्व की बचत होती है। रिजेनरेटिव ब्रेकिंग में ट्रैक्शन मोटर, जेनरेटर के रूप में कार्य करता है।
वर्तमान वित्त वर्ष 2021-22 में नवंबर, 2021 तक कुल 2464 मिलियन यूनिट ट्रैक्शन ऊर्जा की खपत हुई। रिजेनरेटिव ब्रेकिंग से कुल 15.4 मिलियन यूनिट ऊर्जा का उत्पादन हुआ, जिसके माध्यम से ₹7.08 करोड़ मूल्य के रेल राजस्व की बचत हुई।
इस प्रकार की ब्रेकिंग प्रणाली केवल थ्री-फेज इलेक्ट्रिक लोको में ही फिलहाल उपलब्ध है। पूर्वोत्तर रेलवे पर औसतन 285 इलेक्ट्रिक लोको कार्यरत हैं, जिनमें 180 थ्री-फेज इलेक्ट्रिक लोको हैं।
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