निजी कैटरिंग फर्मों से गुणवत्ता, प्रतिबद्धता और ईमानदारी की उम्मीद नहीं की जा सकती

रेल मंत्रालय को आईआरसीटीसी की जवाबदेही और उत्तरदायित्व सुनिश्चित करना होगा

आईआरसीटीसी इस वक्त भ्रष्टाचार का केंद्र बन गया है। कॉरपोरेट कल्चर के नाम पर यात्रियों से मनमानी वसूली और चुनिंदा वेंडर को कॉन्ट्रैक्ट अवॉर्ड करना ही इसका मुख्य शगल बन गया है।

पूरी भारतीय रेल की ऑनबोर्ड कैटरिंग सर्विस का लगभग 70 प्रतिशत कॉन्ट्रैक्ट एक प्रमुख निजी फर्म या उसके दूसरे छदम नामों वाली फर्मों इत्यादि को दिया गया है।

यही नहीं, ये निजी फर्में अब कैटरिंग सर्विस के साथ मैनपावर सप्लाई का भी काम देखने लगी हैं। अर्थात मैन पावर भर्ती से लेकर खिलाने-पिलाने तक का सारा ठेका निजी फर्मों या उनकी दूसरे नाम पर चल रही कंपनियों को सौंप दिया गया है।

आईआरसीटीसी केवल नाम का ही कॉर्पोरेट है, क्योंकि इसमें प्रबंधन का कार्य तो रेलवे से प्रतिनियुक्ति पर गए अधिकारी और कर्मचारी ही देख रहे हैं। इसमें कोई उच्च स्तर के पद के लिए प्रोफेशनल की भर्ती सीधे तौर पर तो हो नहीं सकती है।

अतः जब तक इसका प्रबंधन कुशल हाथों में नहीं जाएगा, ये रेलवे कैटरिंग का सत्यानाश करते रहेंगे और सरकार की भी आम पब्लिक हितैषी की छवि को भी प्रभावित करेंगे।

अब तेजस के क्रू मेंबर्स की भर्ती भी तो निजी फर्म द्वारा ही की गई है, तो फिर इनसे गुणवत्ता और ईमानदारी की उम्मीद कोई कैसे कर सकता है? ऐसे में ध्यान देने वाली बात यह है आईआरसीटीसी का प्रबंधन किसके इशारों पर काम कर रहा है?

इसी तरह आईआरसीटीसी ने हाल ही में खंडवा रेलवे स्टेशन पर रेलवे रिफ्रेशमेंट रूम (आरआर) का ठेका इसका नया टेंडर रद्द करके और बिना किसी औपचारिकता के तीन साल के लिए बढ़ा दिया गया। इसकी विस्तृत छानबीन होनी चाहिए।