पूर्वोत्तर रेलवे की जन-परिवाद निस्तारण प्रक्रिया में व्यापक सुधार
“रेल मदद” के माध्यम से प्राप्त जन-परिवादों के निस्तारण में पूर्वोत्तर रेलवे का रिकाॅर्ड अन्य क्षेत्रीय रेलों से काफी बेहतर हुआ है!
गोरखपुर ब्यूरो: पूर्वोत्तर रेलवे यात्री प्रधान रेलवे है और यात्री संतुष्टि ही इसका परम ध्येय है। इसे ध्यान में रखकर महाप्रबंधक, पूर्वोत्तर रेलवे विनय कुमार त्रिपाठी के मार्गदर्शन में पूर्वोत्तर रेलवे के अपर महाप्रबंधक अमित कुमार अग्रवाल ने “रेल मदद” के माध्यम से प्राप्त जन-परिवादों की निस्तारण प्रक्रिया में व्यापक सुधार किया है।
इसके लिये सघन अभियान चलाकर ग्राहक संतुष्टि के पैरामीटर में अपेक्षित सुधार किया गया है। फलस्वरूप जन-परिवादों के निस्तारण में आशातीत सफलता मिली है। वर्ष 2020 में जन-परिवादों का पेंडेंसी समय 4 घंटा 34 मिनट एवं निस्तारण समय 3 घंटा 6 मिनट था तथा यात्री द्वारा दी जाने वाली रेटिंग/फीडबैक भी संतोषजनक ही रही।
जबकि निरंतर किए गए सुधारों से वर्ष 2021 में घटकर पेंडेंसी समय मात्र 9 मिनट और निस्तारण समय मात्र 13 मिनट हो गया है तथा उत्कृष्ट फीडबैक रेटिंग भी मिल रही है।
“रेल मदद” के माध्यम से प्राप्त जन-परिवादों के निस्तारण में पूर्वोत्तर रेलवे का रिकाॅर्ड अन्य क्षेत्रीय रेलों से काफी बेहतर है।
पूर्वोत्तर रेलवे पर ग्राहक संतुष्टि हेतु चलाए गए अभियानों के अंतर्गत सर्वप्रथम समस्याओं को पहचान कर उनके लिए तत्काल सुधारात्मक प्रयास किए गए। प्रतिदिन विभाग एवं मंडल के कार्यकलापों की जानकारी देने के लिए मंडल एवं मुख्यालय के अधिकारियों का वाट्सअप समूह बनाया गया।
“रेल मदद” से प्राप्त जन-परिवादों के निस्तारण में अधिक समय लगने वाले मामलों को वाट्सअप ग्रुप पर अपलोड किया गया। जन-परिवादों के निस्तारण में लगने वाले समय की गहन समीक्षा प्रतिदिन की गई।
मुख्यालय द्वारा ऐसे क्षेत्रों का वर्गीकरण किया गया जहां से निरंतर एवं रिपीटेड जन-परिवाद प्राप्त होते हैं तथा उसका विवरण संबंधित मंडलों को भेजा गया। मंडलों में नोडल अधिकारी बनाए गए तथा कर्मचारियों का उत्साहवर्धन किया गया।
इस सम्पूर्ण प्रक्रिया में कंट्रोल की भूमिका सबसे महत्वपूर्ण है, इसलिए शिकायतकर्ता से विनम्रतापूर्वक एवं शिष्टाचार से बात करने के लिए योग्य कर्मचारियों को रखा गया तथा उनको उचित प्रशिक्षण दिया गया कि सोशल मीडिया एवं “रेल मदद पोर्टल” पर प्राप्त होने वाले परिवादों पर कैसे जबाव देना है।
मंडल कंट्रोल में कार्यरत कर्मचारियों को निर्देशित किया गया कि सभी शिकायतकर्ताओं से बात कर उनका फीडबैक लिया जाए। असंतोषजनक फीडबैक प्राप्त होने पर प्रतिदिन अपर मंडल रेल प्रबंधक स्तर पर इसकी समीक्षा की जाती है।
वर्ष 2020 की एनालिसिस में यह पाया गया कि लगभग 73% जन-परिवाद कोचों में साफ-सफाई, वाटरिंग, टॉयलेट एवं कोच अनुरक्षण से संबंधित थे। इन समस्याओं को दूर करने के लिए निम्नलिखित सुधारात्मक कार्य किए गए-
• ऑन बोर्ड साफ-सफाई के लिए ओबीएचएस का चौबीस घंटे हेल्पलाईन गोरखपुर एवं ऐशबाग में बनाया गया है। ओबीएचएस हेल्पलाईन नंबर को हर कोच में प्रदर्शित किया गया है। यह प्रयोग बहुत ही सफल रहा। इससे लगभग 70 काॅल प्रतिदिन गोरखपुर के हेल्पलाइन नंबर पर प्राप्त होती हैं।
• सफाई कर्मचारियों की पहचान हो सके, इसके लिए बिना यूनीफार्म के उनको ट्रेन में जाने पर रोक लगाई गई है।
• ट्रेन में लंच/डिनर के समय डिस्पोजल प्लेट्स हटाने की ज्यादा शिकायतों के दृष्टिगत इन समयों पर विशेष ध्यान देने हेतु प्रशिक्षित किया गया।
• एसी कर्मचारियों को ट्रेन लाइटिंग एवं मोबाइल चार्जिंग से संबंधित शिकायतों को रास्ते में ठीक करने के लिए एक किट बैग दिया जाता है।
दावा एवं मोबाइल टिकटिंग से संबंधित शिकायतों की कमर्शियल कंट्रोल द्वारा 24 घंटे माॅनिटरिंग की जा रही है। मंडलों में सहायक वाणिज्य प्रबंधक स्तर पर पार्सल/लगेज की शिकायतों के लिए निगरानी की जा रही है।
रेलवे सुरक्षा बल एवं वाणिज्य कर्मचारियों के समन्वय से कोचों में अनधिकृत यात्रियों के प्रवेश पर अंकुष लगाया जा सका है।
यात्रियों को चिकित्सा सहायता के लिए उनकी सीधे चिकित्सक से बात कराई जाती है। इन सभी सुधारों से जहाँ शिकायतों की संख्या में कमी आई है, वहीं मामलों के शीघ्र एवं गुणवत्तापूर्ण निस्तारण से यात्रियों को एवं रेल उपयोगकर्ताओं की संतुष्टि का स्तर भी बढ़ा है।
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